स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। उड़द-मूंग की फसलों में इस समय फूल व फलियां आना शुरू हो गई हैं। ऐसे में बढ़ते तापमान के कारण फसल की इस अवस्था में खेत में नमी रखना बेहद ज़रूरी है। साथ ही इस समय उड़द-मूंग में पीले मौजेक रोग का खतरा बढ़ गया है। ऐसे फसल की सिंचाई करना अवश्यक है।
बढ़ते तापमान के प्रभाव से उड़द-मूंग की फसल के बचाव के बारे में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक (एग्रोनोमी) डॉ. आरएस बाना बताते हैं,’’ फसल पकने की अवस्था में सिंचाई बेहद ज़रूरी होती है। ऐसे में फसल में फलियां आने के बाद दस से 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।’’
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मूंग और उड़द की फसल इस समय पकने की अवस्था में हैं। इस समय फसल को पानी की अधिक ज़रूरत रहती है। ऐसे में किसान मौजूदा समय में खेत की नियमित सिंचाई का विशेष ख्याल रखें। ध्यान रखें कि दोपहर में सिंचाई ना करें।’’डॉ. आरएस बाना, वैज्ञानिक (एग्रोनोमी), भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान
कृषि विभाग,उत्तर प्रदेश के मुताबिक प्रदेश के दलहन उत्पादन में मूंग और उड़द जैसी फसलों का बहुत योगदान है। प्रोटीन की अच्छी मात्रा के कारण थोक बाज़ार में दालों की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। मौजूदा जायद सीजन में प्रदेश में मूंग की 50,678 हेक्टेयर और उड़द की 50,942 हेक्टेयर में बुवाई हुई है।
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‘’ इस मौसम में उड़द और मूंग की फसलों में पीले मौजेक रोग का खतरा बढ़ रहा है। यह रोग मुख्यरूप से सफेद मक्खियों के कारण फैलता है। पीले मौजेक रोग से फसल को बचाने का सबसे कारगर तरीका है फसल पर इमिडाक्लोरोपिड दवा का पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना। फसल पर इस दवा का छिड़काव करने से सफेद मक्खियों का प्रकोप कम हो जाता है और पीला मौजेक रोग खत्म हो जाता है।’’ डॉ. आरएस बाना ने बताया।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार पिछले एक सप्ताह में फुटकर मांग बढ़ने से थोक बाज़ार में उड़द दाल में 300 रुपए प्रति कुंतल और मूंग दाल में 100 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई है। ऐसे में इस वर्ष उड़द और मूंग बोने वाले किसानों को मंडी में अच्छा रेट मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
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