माहू से परेशान हैं, अपना सकते हैं ये देसी नुस्खा

Update: 2017-12-22 17:37 GMT
सरसों की फसल में माहू की कीट।

लखनऊ। रबी की फसल में 'माहू कीट' लगते ही किसानों के सामने फसल को बचाने के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो जाती थी। अब किसानों ने इस समस्या से निजात पाने के लिए देसी तरीकों को अपनाना शुरू कर दिया है।

उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले के कई किसान सरसों, अरहर, चना, मटर की फसल में लगने वाले 'माहू कीट' के लिए अब बाजार में बिक रहे रासायनिक कीटनाशक दवाइयों पर निर्भर नहीं हैं बल्कि नुस्खे का प्रयोग करके अपनी फसल को नुकसान करने से रोक रहे हैं।

मिर्जापुर जिले से 70 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में हलइया ब्लॉक के परसिया मुड़तेली गाँव में रहने वाले किसान राजपति पाल (30 वर्ष) बताते हैं, "पिछले वर्ष जैसे ही हमारे सरसों के खेत में माहू कीट लगा हमने तुरंत सोठास्त्र का छिड़काव कर दिया।" सोठास्त्र का छिड़काव करने से किसी भी फसल में लग रहे माहू कीट का प्रकोप समाप्त हो जाता है। राजपति ही नहीं, उत्तर प्रदेश के कई जिले के किसान सक्रिय रूप से माहू कीट के प्रकोप से बचने के लिए अलग-अलग तरह के देशी तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र कन्नौज के उद्यान वैज्ञानक डॉ अमर सिंह बताते हैं, "रबी की फसलों में लगने वाला 'माहू कीट' दिसंबर से फरवरी के बीच में ज्यादा लगता है, ये कीट फलियों का रस चूस लेते हैं जिससे पैदावार पर असर पड़ता है।" वो आगे बताते हैं, "इससे फसल की ग्रोथ रुकती है, दाने छोटे हो जाते हैं, जिससे तेल भी कम निकलता है।"

सरसों की फसल में माहू कीट का देशी तरीके से बचाव।

कृषि विज्ञान केंद्र कन्नौज के उद्यान वैज्ञानक डॉ अमर सिंह बताते हैं, "रबी की फसलों में लगने वाला 'माहू कीट' दिसंबर से फरवरी के बीच में ज्यादा लगता है, ये कीट फलियों का रस चूस लेते हैं जिससे पैदावार पर असर पड़ता है।" वो आगे बताते हैं, "इससे फसल की ग्रोथ रुकती है, दाने छोटे हो जाते हैं, जिससे तेल भी कम निकलता है।"

मिर्जापुर जिले के आर्ट ऑफ लिविंग के राष्ट्रीय कृषि विशेषज्ञ बालकृष्ण यादव बताते हैं, "फसल में माहू कीट लगने पर कई तरह के देशी तरीके अपना सकते हैं जैसे पांच से छह लीटर मट्ठा 100-150 पानी में मिलाकर एक एकड़ खेत में छिड़काव करने से माहू कीट नहीं लगता है।"

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वो आगे बताते हैं "सोठास्त्र एक ऐसा देशी तरीका है जिसके छिड़काव से माहू कीट समाप्त हो जाता है, फसल में सोठास्त्र का इस्तेमाल तभी करें जब माहू कीट का प्रकोप हो।"

कानपुर नगर जिला मुख्यालय से 34 किलोमीटर दूर शिवराजपुर ब्लॉक से पश्चिम दिशा में कुंवरपुर गाँव हैं। इस गाँव में रहने वाले पंचमलाल (45 वर्ष) ने साल 2012 से जैव रक्षक (अमृत पानी) बनाना शुरू किया था। पंचमलाल बताते हैं "फसल में लगे माहू कीट पतंग से लेकर फसल के बेहतर उत्पादन तक इस जैव रक्षक का प्रयोग करते हैं।"

कानपुर नगर के श्रमिक भारती संस्था के शिवराजपुर ब्लॉक समन्यवक सोमनाथ शुक्ला बताते हैं, "एक बीघा में 250 ग्राम नीम के तेल का छिड़काव करने से फसल में माहू कीट नहीं लगते हैं इसके साथ ही एक रात पहले 100 ग्राम तीखी लाल मिर्च पानी में भिगोकर सुबह उसे पीस कर छानने के बाद 200 लीटर पानी में मिलाकर एक बीघा में छिड़काव करने से सरसों में लगा माहू समाप्त हो जाता है।"

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दूध

सोमनाथ आगे बताते हैं "अमृत पानी, नीम का तेल का हर 15 दिन में अगर फसल में छिड़काव होता रहे तो माहू, कीट पतंग, खरपतवार साथ ही छुट्टा जानवर भी फसल को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।

सोठास्त्र बनाने की विधि

सोठ को 200 ग्राम दो लीटर पानी में उबालने रख दें। जब एक लीटर पानी बचे तो इसे छान लें, इसके बाद देशी गाय का पांच लीटर दूध गर्म करके मलाई निकाल लें। सोंठ काढ़ा और उबले दूध को मिलाकर 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ खेत में छिड़काव करने से माहू कीट से निजात मिल जायेगी।

अमृत पानी बनाने की विधि

एक लीटर देशी गाय का गोमूत्र, एक किलो देशी गाय का गोबर, एक किलो नीम की पत्ती बारीक पिसी हुई, 100 ग्राम गुड़, एक किलो चने का बेसन इन सभी चीजों को 10 लीटर पानी में डालकर एक घड़े में 10-15 दिन के लिए भरकर ढक दें। इसके बाद इसे छानकर किसी डिब्बे में भरकर रख लें। एक बीघा खेत में आधा लीटर अमृत पानी 200 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव करने से माहू कीट तो खत्म होता ही है साथ ही आवारा पशु भी इसकी गंध से फसल को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।

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