ज्यादा मुनाफे और खेती को रोजगार बनाने के लिए जागरुक किसान मिलकर बना रहे एफपीओ

"एफपीओ का मकसद किसानों को नई जानकारियों से लेकर खाद, बीज, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग तक के बेहतर उपलब्ध कराना होगा। संगठन से जो लाभ होगा किसान ही उसके भागीदार होंगे।"

Update: 2018-08-28 07:05 GMT

बस्ती (उत्तर प्रदेश)। किसान अपने उत्पादों की सही कीमत पाने और अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास करने लगे हैं। किसान अब फार्मर प्रोड्यसूर कंपनी लिमिटेड (एफपीओ) बनाने के लिए एकजुट हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में भी प्रगतिशील किसानों ने इसकी कवायद शुरु की है।

"किसानों के संगठन (एफपीओ) का मकसद किसानों को नई जानकारियों से लेकर खाद, बीज, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग तक के बेहतर उपलब्ध कराना होगा। संगठन से जो लाभ होगा किसान ही उसके भागीदार होंगे।" प्रगतिशील किसान और कृषि पत्रकार बृहस्पति कुमार पांडेय ने कहा। सोमवार को बस्ती शहर में कंपनीबाग स्थित प्रेस क्लब में जिले के दर्जनों प्रगतिशील किसान एकत्र हुए। इन किसानों ने अपनी आमदनी बढ़ाने, उत्पादों के लिए अच्छा बाजार तलाशने के लिए किसान उत्पादक समूह बनाने का फैसला किया।

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इस दौरान कई किसानों ने कहा कि उनकी कमाई का बड़ी हिस्सा बिचौलियों के पास चला जाता है। एफपीओ के जरिए वो इनके वर्चस्व को खत्म कर पाएंगे। किसानों ने मिलकर ये फैसला किया इसमें ज्यादातर किसान छोटे और मंझोले होगे और लेकिन कोई भी किसान न्यूनतम शेयर धारक बनकर कंपनी का हिस्सेदार बन सकेगा।

बृहस्पति पांडे किसानों से कहा की अगर किसान फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के जरिये बीज उत्पादन या फल सब्जी, दूध आदि की प्रोसेसिंग करते हैं, तो उनको लाभ ज्यादा मिलता है, किसान कम्पनी के माध्यम से बीज, खाद, दवाई आदि का लाइसेंस लेकर, इकठठा खरीदकर आपस में सदस्य या गाँव के किसानों को बेचते हैं तो उनको कीमत कम लगती है। कंपनी के जरिये कृषि यंत्रों को खरीदकर किराये पर देने से किसानों की उपज बढेंगी।

किसान राम मूर्ति मिश्रा ने उपस्थित किसानों के समूह को बताया, "जो किसान संगठित होकर प्रोड्यूसर कंपनी बनाने के लिए आगे आएं हैं, उसमें से 33 % से अधिक सीमांत (जिनके पास एक हेक्टेयर से कम जमीन है व लघु जिनके पास 1-2 हेक्टर जमीन है, किसान कंपनी के सदस्य होने होंगे ताकि कंपनी को सरकार से मिलने वाली छूट का लाभ भी मिल जाये।)"

पत्रकार भृगुनाथ त्रिपाठी ने इस दौरान एफपीओ से जुड़ी सफलता की कहानियों से जुड़ी डाक्यूमेंट्री फ़िल्म भी दिखाई और इसके जरिये समझाने का प्रयास किया कि किस तरह से एफपीओ काम करता है। बैठक में कंपनी के पंजीकरण, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर, कंपनी के नाम, मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन आदि विषयों पर सर्व सम्मति से सहमति बनी। इस कंपनी में फसल, सब्जी, फल, दूध, मछली, मुर्गी आदि उत्पादन करने वाले किसान आसानी से शामिल हो पाएंगे। उन्होंने इस नई किसान कंपनी के लिए बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर का चुनाव सर्वसम्मति से करने का प्रस्ताव भी रखा। जिसमें बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर की संख्या 15 रखा जाना तय किया गया। इस बोर्ड में दो महिला किसानों को रखा जाना तय किया गया। इसके लिए अगली बैठक में बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर के चुनाव किये जाने पर सहमति बनी। इसी दौरान चुने गए बोर्ड डायरेक्टर में से अध्यक्ष व सचिव का चुनाव करने पर भी विचार किया।


बृहस्पति पाण्डेय ने बताया, "एक घर से केवल एक ही किसान कंपनी का सदस्य बन सकेगा। बैठक में इस बात पर भी जोर दिया गया कि कंपनी में जितने ज्यादा सदस्य होंगे उतनी अच्छी शुरुआत होगी। इसलिए शुरुआतमें किसानों की संख्या 250-500 से कंपनी शुरु की जाएगी, जिसमें लगातार विस्तार होगा।

संगठन के तहत कृषि उत्पाद की ब्रांडिंग, पैकेजिंग, मानकीकरण एवं मार्केटिंग व कृषि उत्पाद की प्रोसेसिंग करके नया उत्पाद बनाना व बेंचना, डेयरी, दुग्ध उत्पादन, मधुमक्खी पालन, रेशम कीट पालन, मुर्गीपालन सहित अन्य कृषि आधारित व्यवसाय किये जाने का निर्णय लिया गया। इस दौरान राममूर्ति मिश्र, आज्ञा राम वर्मा, जोगेंद्र सिंह, राजेन्द्र सिंह, विजेंद्र पाल, अरविंद बहादुर पाल, किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष राम मनोहर चौधरी, बृजेश शुक्ल, प्रमोद दूबे, शिव राम गुप्ता, समेत कई किसान उपस्थित रहे। 

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