मछलियों से कैंसर का खतरा, आयात पर रोक लगाने की तैयारी में बिहार सरकार !

आंध्र प्रदेश, केरल और असम की मछलियों में खतरनाक स्तर के रसायनों के होने की पुष्टि हुई है। जांच में यह पाया गया कि यहां से दूसरे प्रदेशों में जाने वाली मछलियों में कैंसर कारक फॉर्मलिन के लेप का इस्तेमाल किया गया।

Update: 2019-01-14 07:06 GMT

लखनऊ। मछलियों में हानिकारक रसायनों की मौजूदगी का असर अब धीरे-धीरे व्यापक होता दिख रहा है। कई देश पहले ही इसको लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं तो वहीं अब देश के अंदर भी इसको लेकर सावधानी बरती जाने लगी है। इसी कड़ी में बिहार सरकार दूसरे प्रदेशों से आने वाली मछलियों पर रोक लगा सकती है।

आंध्र प्रदेश, केरल और असम की मछलियों में खतरनाक स्तर के रसायनों के होने की पुष्टि हुई है। जांच में यह पाया गया कि यहां से दूसरे प्रदेशों में जाने वाली मछलियों में कैंसर कारक फॉर्मलिन के लेप का इस्तेमाल किया गया। ऐसे में बिहार सरकार का स्वास्थ्य महकमा इस बात पर विचार कर रहा है कि दूसरे प्रदेशों से आयातित मछलियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया जाये। हालांकि व्यापारी इसका विरोध कर रहे हैं।

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इस बारे में बिहार के पशु और मत्स्य मंत्री पशुपति कुमार पारस ने अपने एक बयान में कहा कि दूसरे प्रदेशों से आने वाली मछलियों में फॉर्मलिन के प्रयोग की बात सुनने में आयी है। हमने कुछ सैंपल जांच के लैब भेजे हैं, अभी रिपोर्ट का इंतजार है।" लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इस पर रोक लगाने की अनुशंसा की है।

मछली उत्पादन के मामले में बिहार देश में चौथे नंबर पर है। वित्तिय वर्ष 2017-18 में यहां 5.87 लाख मीट्रिक टन मछली उत्पादन हुआ था। जबकि इस वर्ष उत्पादन का लक्ष्य 6.42 लाख मीट्रिक टन रखा गया है। राज्य में इस समय 142 मत्स्य हैचरी हो गई हैं। 2016- 17 में 3002.37 लाख मछली बीज का उत्पादन हुआ, जो 2017-18 में बढ़कर 3730.47 लाख हो गया। वहीं बीज उत्पादन में भी 24.25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

बिहार में सालाना आंध्र प्रदेश से करीब 1.5 से 2 लाख टन मछली का कारोबार होता है। जबकि सालाना खपत लगभग 6.6 लाख टन है। ऐसे में बिहार सरकार मछली के निर्यात पर भी रोक लगा सकती है। बिहार से बड़ी मात्रा में मछलियां नेपाल भी भेजी जाती हैं।

बिहार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के निदेशक (फिशरीज) निशांत अहमद ने भी कहा है कि जब तक जांच की रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है।

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पशुपति कुमार पारस आगे कहते हैं कि बिहार के लोगों को इसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। बस इतना ध्यान जरूर दें कि मछली पकाने से पहले अच्छी तरह से धो लें। केमिकल निकालने का यह सबसे सही और सरल रास्ता है।

किशोर फिश कंपनी, पटना के मालिक किशोर कुमार कहते हैं " आंध्र प्रदेश से सबसे ज्यादा प्यासी मछली आती है। अब सरकार कह रही है कि उस पर रोक लगनी चाहिए। लेकिन पहले सरकार इसकी जांच तासे कर ले। खबर आने के बाद व्यापार प्रभावित हो रहा है। अगर कैंसर होता तो मछलियां जिंदा कैसे रहती ? और अगर लेर मछली मरने के बाद लगाया जाता है तो सरकार को उस पर रोक लगानी चाहिए। मरी मछलियों पर लेप लगाने का क्या फायदा।"

कुछ दिनों पहले भारत से निर्यात होने वाली मछलियों पर सवाल उठे थे। मछली उत्पादन में धड़ल्ले से हो रहे एंटीबोटिक के इस्तेमाल के कारण आवश्यक जांच संख्या जो पहले 10 फीसदी थी उसे बढ़ाकर 50 फीसदी तक कर दिया गया है। इस दायरे में झींगा मछली ज्यादा है जिसके कारोबार से लगभग 14 मिलियन लोगों को रोजगार मिला हुआ है।

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के अनुसार भारत से झींगे के निर्यात में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार भारत ने वित्त वर्ष 2016 में वियतनाम को पछाड़ते हुए दुनिया के सबसे बड़े झींगा निर्यातक का तमगा हासिल किया था। वर्ष 2016 में भारत ने जहां 3.8 अरब डॉलर मूल्य के झींगे का निर्यात किया है वहीं वियतनाम का निर्यात 3 अरब डॉलर पर ठहरा हुआ है।

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एक्वाकल्चर सोसायटी तमिलनाडु के आंकड़ों के अनुसार 2017-18 में झींगा का उत्पादन 6 लाख टन को पार कर गया था लेकिन 2018-19 में इसमें 20 फीसदी तक की कमी आ सकती है।

राष्ट्रीय मात्सिकी विकास बोर्ड के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है जहां अभी प्रति वर्ष 6.4 मीट्रिक टन मछली उत्पादन हो रहा है।

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