किसान क्रेडिट कार्ड से उर्वरक खरीदने वाले किसानों का 100 करोड़ का ब्याज होगा माफ

Update: 2017-01-19 20:47 GMT
अग्रिम भंडार करने वाले किसानों को होगा फायदा।

लखनऊ। किसान क्रेडिट कार्ड से उर्वरक खरीदने वाले हजारों किसानों के लिए अच्छी खबर है। रासायनिक उर्वरकों के भंडारण को प्रेरित करने के लिए अग्रिम भंडारण योजना के तहत लाभान्वित होने वाले प्रदेश के हजारों किसानों के ब्याज का करीब 100 करोड़ रुपया सरकार माफ करेगी। ये पैसा सीधे किसानों के खातों में भेजा जाएगा।

आचार संहिता लगी होने की वजह से फिलहाल 14.50 करोड़ रुपये का भुगतान ही किया जा सकेगा। बाकी धन आचार संहिता के बाद किसानों को मिल सकेगा। सहकारिता विभाग के उप सचिव राकेश प्रताप सिंह ने बताया “आयुक्त और निबंधक सहकारिता विभाग को लगभग 14.50 करोड़ रुपये की धनराशि आचार संहिता लगने से पहले ही जारी कर दी गई है। जिससे किसानों को अग्रिम उर्वरक भंडारण के लिए ब्याज की प्रतिपूर्ति की जाएगी।”

किसान समय पर उर्वरक प्राप्त कर सकेंगे इसलिए केंद्र के सहयोग से राज्य सरकार अग्रिम भंडारण स्कीम संचालित करती है। ताकि किसानों को ऐन वक्त पर उर्वरक की किल्लत न हो। इसके साथ ही समय से पहले खरीद करने की दशा में उसको कोई ब्याज न देना पड़े। इसलिए इस दौरान किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये खरीद पर जो ब्याज किसान का लगता है, वह सरकार रिफंड करती है। इस संबंध में उत्तर प्रदेश का कुल बजट 100 करोड रुपये का है, जिसमें से 15 करोड़ रुपये का बजट आचार संहिता लगने से पहले छह जनवरी को जारी कर दिया गया है। इसका वितरण किसानों के अकाउंट में सीधे किया जाएगा। सहकारिता विभाग की इस योजना से हजारों किसान लाभान्वित होंगे।

हर तरह के उवर्रक में मिलेगा लाभ

फसल की बुआई के दौरान किसानों को उर्वरकों के लिए परेशान न होना पड़े इसलिए वो डीएपी, काम्पलेक्स उर्वरक, यूरिया और पोटाश पहले से सहकारी समिति से खरीद लेते हैं। सरकार भी ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करती है। प्रदेश में ये योजना 2015 से लागू है, जिसके तहत जिलों में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का पर्याप्त मात्रा में भण्डारण किया गया है। इन किसानों को खरीद पर लगने वाला ब्याज सरकार वहन करती है।

“आयुक्त और निबंधक सहकारिता विभाग को लगभग 14.50 करोड़ रुपये की धनराशि आचार संहिता लगने से पहले ही जारी कर दी गई है। जिससे किसानों को अग्रिम उर्वरक भंडारण के लिए ब्याज की प्रतिपूर्ति की जाएगी।”

राकेश प्रताप सिंह, उप सचिव, सहकारिता विभाग

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