विदेशों में बढ़ी भारतीय भैस के मांस की मांग, पिछले साल के मुकाबले हुआ 106% निर्यात

दुनिया भर में भारतीय भैसों के मांस की मांग उसकी उच्च गुणवत्ता, पोषक तत्वों से भरपूर और जोखिम मुक्त होने के कारण तेजी से बढ़ी है। तभी तो भारत में पशुधन उत्पादों का निर्यात अप्रैल-जून (2021-22) के दौरान अप्रैल-जून, (2020-21) की तुलना में 106 फीसदी बढ़ा है।

Update: 2021-07-29 06:10 GMT

भारतीय भैंस के मांस की मांग हांगकांग, वियतनाम, मलेशिया, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, सऊदी अरब, फिलीपींस, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों में ज्यादा होने से वहां पर उनका निर्यात ज्यादा है। फोटो: विकीपिडिया कॉमन्स

पिछले एक साल में पशुधन उत्पादों के निर्यात में 106 फीसदी बढ़ गया है, जबकि इस अवधि में पहले 3668 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था जो कि बढ़कर 7543 करोड़ रुपये हो गया है।

पशुधन निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) इंडोनेशिया सहित दुनिया भर के 70 से अधिक देशों में, भारतीय भैंस के मांस का सफलतापूर्वक निर्यात कर रहा है।

अनुमानों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल-जून में पशुधन उत्पादों का निर्यात 2020-21 की इसी अवधि की तुलना में 106 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 3668 करोड़ रुपये से बढ़कर 7543 करोड़ रुपये पहुंच गया है। वहीं अमेरिकी डॉलर के आधार पर निर्यात 112 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 484 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 1023 अमेरिकी डॉलर हो गया है।

दुनिया भर मे भारतीय भैसों के मांस की मांग उसकी उच्च गुणवत्ता, पोषक तत्वों से भरपूर और जोखिम मुक्त होने के कारण तेजी से बढ़ी है। साथ ही भैंस के मांस को किसी भी जोखिम से बचाने के लिए विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (ओआईई) के दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार और निर्यात किया जाता है। भारतीय भैंस के मांस की मांग हांगकांग, वियतनाम, मलेशिया, मिस्र, इंडोनेशिया, इराक, सऊदी अरब, फिलीपींस, संयुक्त अरब अमीरात आदि देशों में ज्यादा होने से वहां पर उनका निर्यात ज्यादा है।

भारतीय भैंस के मांस की सभी खेपों का परीक्षण अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया जाता है और उन्हें कोविड-19 मुक्त प्रमाणित होने के बाद ही निर्यात किया जाता है। फोटो: पिक्साबे

भारतीय भैंस के मांस की लागत कम होने से, उसका इंडोनेशिया सहित आयात करने वाले देशों में खाद्य सुरक्षा और महंगाई के नियंत्रण में भी अहम योगदान है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भारत से केवल बिना हड्डी वाले भैंस के मांस के निर्यात की अनुमति है।

भारत दुनिया में भैंस के मांस का निर्यात करने वाले प्रमुख निर्यातकों में से एक है। देश में मांस प्रसंस्करण का विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर है। जिसके तहत प्रमाणित गुणवत्ता प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा प्रबंधन और पर्यावरण प्रबंधन व्यवस्था शामिल है।

भारत से भैंस के मांस के निर्यात कारोबार पर कोविड-19 का कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ है। यह पूरी तरह से पटरी पर है और आपूर्ति श्रृंखला में बिना किसी अवरोध के सुचारू रूप से चल रहा है। महामारी के असर के बावजूद, भारत वित्त वर्ष 2020-2021 में 3.17 अरब अमेरीकी डॉलर का निर्यात करने में सक्षम रहा है। जो कि वित्त वर्ष 2019-20 के निर्यात स्तर के बराबर है।

भारतीय भैंस के मांस की सभी खेपों का परीक्षण अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किया जाता है और उन्हें कोविड-19 मुक्त प्रमाणित होने के बाद ही निर्यात किया जाता है।

भारत ने वित्त वर्ष 2020-2021 के दौरान लगभग 41 अरब डॉलर मूल्य के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात किया है। जिसमें 17.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके तहत ताजे फल और सब्जियां, विभिन्न प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, समुद्री भोजन, मांस और मांस उत्पाद, चावल-गेहूं आदि शामिल हैं।

ताजा आंकड़ों के अनुसार, एपीडा के जरिए निर्यात होने वाले उत्पादों का निर्यात, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 23.8 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 19.97 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जो वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान 16.13 अरब डॉलर था। यहां तक कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी कृषि उत्पादों का निर्यात निर्बाध रूप से हो रहा है।

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