मेंथा तेल वायदा में भारी गिरावट 

Update: 2018-02-06 17:23 GMT
मेंथा तेल निकालने वाली टंकी

नयी दिल्ली। सुस्त मांग और सटोरियों की ओर से सौदे घटाने से मेंथा तेल वायदा आज 2.13 प्रतिशत गिरकर 1,490 रुपए प्रति किलोग्राम पर रहा। इसके अलावा, पर्याप्त स्टाक और उत्तर प्रदेश के चंदौसी से उच्च आपूर्ति ने भी गिरावट को बल मिला।

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर मार्च डिलीवरी वाला मेंथा तेल 32.50 रुपए यानी 2.13 प्रतिशत गिरकर 1,490 रुपए प्रति किलोग्राम पर रहा। इसमें 95 लॉट का कारोबार हुआ। इसी तरह, फरवरी डिलीवरी वाला मेंथा तेल 25.10 रुपए गिरकर यानी 1.66 प्रतिशत गिरकर 1,483.80 रुपए प्रति किलोग्राम पर रहा। इसमें 193 लॉट का कारोबार हुआ।

विश्लेषकों ने कहा कि सटोरियों के सौदे घटाने और उपभोक्ता उद्योग से मांग में कमी, चंदौसी से उच्च आपूर्ति पर पर्याप्त स्टॉक के चलते मेंथा तेल की कीमतों में गिरावट रही।

भारत दुनिया में सबसे बड़ा मेंथा उत्पादक और निर्यातक है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक मेंथा के कारोबार में 75 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी भारत की है, पिछले कुछ वर्षों में सिंथेटिक मेंथा के आने से कारोबार में लगातार गिरावट हो रही थी और पिछले कई वर्षों में मेंथा ऑयल 700-1000 रुपए के बीच बिक रहा था।

मेन्था आमतौर पर जनवरी से मार्च के बीच बोया जाता है और मई से काटा जाता है। हालांकि, शिखर आगमन जून-जुलाई में देखा गया था।

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देश में सबसे ज्यादा मेंथा की बुवाई उत्तर प्रदेश के बाराबंकी और उसके आसपास होती है। यहां के जिला उद्यान अधिकारी जयकरण सिंह बताते हैं, हमारे जिले में इस बार 75 हजार हेक्टेयर का रकबा है जो पिछले वर्ष 67 हजार हेक्टेयर था।

इस बार वर्ष 2017 पूरे देश में जापानी मिंट साठ हजार हेक्टेयर भूमि में बोया गया है। इससे तकरीबन बारह हजार टन मिंट तेल का उत्पादन होगा। यह उत्पादन पूरे विश्व के उत्पादन का 75 फीसद होगा।

इनपुट भाषा

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