पिछले 10 वर्षों में भारत का दूध उत्पादन लगातार बढ़ा : राधामोहन सिंह 

Update: 2016-11-15 19:09 GMT
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा किसानों की आय को बढ़ाने के लिए दुधारु पशुओं की दुग्ध-उत्पादक बढ़ाने की आवश्यकता है।

नई दिल्ली (भाषा)। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने आज कहा कि विगत 10 वर्षों में भारत का दूध उत्पादन औसतन सालाना 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा है लेकिन प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता और किसानों की आय को बढ़ाने के लिए दुधारु पशुओं की दुग्ध-उत्पादक बढ़ाने की आवश्यकता है।

उन्होंने डेयरी कंपनियों से महानगरों के 100-150 किमी के दायरे में दुधारू पशु पालने वाले किसानों की कंपनियां स्थापित कराने की अपील की ताकि दूध की आपूर्ति की सहज हो और इसकी परिवहन लागत कम की जा सके।

डेयरी क्षेत्र के अंशधारकों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने यहां कहा, विगत 10 वर्षों के दौरान भारत में दूध उत्पादन में आसतन 4.2 प्रतिशत वार्षिक की वृद्धि हुई है जबकि इसी दौरान वैश्विक वृद्धि का औसत 2.2 प्रतिशत का है। वर्ष 2015-16 में वृद्धि दर कहीं 6.7 प्रतिशत रही है। पिछले वित्तवर्ष में देश का दूध उत्पादन 15.55 करोड़ टन रहा।

आजादी के समय दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धता प्रतिदिन 130 ग्राम की थी जो बढ़कर अब 337 ग्राम हो गई है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य वर्ष 2022 तक इस उपलब्धता को बढ़ाकर 500 ग्राम प्रतिदिन करने की है।
राधामोहन सिंह केंद्रीय कृषि मंत्री

वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के प्रयास के तहत सिंह ने कहा कि मुख्य ध्यान डेयरी, मत्स्यपालन और बागवानी जैसी सहायक गतिविधियों पर दिये जाने की आवश्यकता है।

मंत्री ने दूध उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बारे में भी बोला लेकिन कहा कि जलवायु परिवर्तन का सबसे कम प्रभाव स्वदेशी नस्लों के पशुओं पर होगा। सिंह ने कहा कि स्वदेशी नस्ल हृष्ट पुष्ट हैं और उनमें जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को झेलने की ताकत है।

उन्होंने कहा कि स्वदेशी गायों की उत्पादकता काफी कम है और जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर स्वदेशी नस्ल की उत्पादकता को बढ़ाने की आवश्यकता है।

सिंह ने अमूल और मदर डेयरी जैसी डेयरी कंपनियों को यह समीक्षा करने को कहा कि क्या दूध की खुदरा कीमतों की तेजी का लाभ किसानों तक पहुंचाया जाए अथवा नहीं।

उन्होंने सुझाव दिया कि डेयरी कंपनियों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र जैसे बड़े शहरों के 100 से 200 किमी के दायरे में दूध को खरीदना चाहिए जिससे परिवहन लागत कम होगी और पड़ोसी राज्यों के किसानों को मदद मिलेगी।



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