जिस तरह से एलोवेरा की मांग बढ़ती जा रही है ये किसानों के लिए बहुत फायदे का सौदा है। इसकी खेती कर और इसके प्रोडक्ट बनाकर दोनों तरह से अच्छी कमाई की जा सकती है। लेकिन इसके लिए थोड़ी सवाधानियां बरतनी होंगी। किसानों को चाहिए कि वो कंपनियों से कंट्रैक्ट कर खेती करें और कोशिश करें की पत्तियों की जगह इसका पल्प बेंचे।
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शांतिगिरी आश्रम के प्रमुख स्वामी पद्म प्रकाश ने कहा, ''एलोवेरा कार्बनडाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड को अवशोषित करता है और ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है।ऐसा माना जाता है कि एलोवेरा का एक पौधा नौ एयर प्यूरीफायर के बराबर होता है।''
अगर आप एलोवेरा की प्रोसेसिंग यूनिट लगाना चाहते हैं तो केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) कुछ-कुछ महीनों पर ट्रेनिंग कराता है। इसका रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होता है और निर्धारित फीस के बाद ये ट्रेनिंग ली जा सकती है।
एलोवेरा को आयुर्वेद में संजीवनी कहा जाता है। इसमें अमीनो एसिड की मात्रा भरपूर रहती है और विटामिन 12 की मौजूदगी से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। एलोवेरा त्वचा की देखभाल से लेकर बालों की खूबसूरती तक और घावों को भरने से लेकर कैंसर से निजात पाने तक, हर परेशानी से राहत देता है।