पशु गणना के लिए अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण 

Update: 2017-03-18 16:50 GMT
पशुपालन विभाग में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में पशुपालन विभाग के प्रशासन व विकास निदेशक डॉ. चरण सिंह व रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र निदेशक डॉ.एएन सिंह।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। प्रदेश में पशुओं की स्थिति का आंकलन करने के लिए पशुगणना की जाती है, इसी के हिसाब से खुरपका, मुंहपका जैसी गंभीर बीमारियों से बचने की विभाग तैयारी कर लेता है।

“योजनाओं को बनाने में आंकड़ों का विशेष महत्व रहता है, क्योंकि उसी के आधार पर योजनाएं बनती है ताकि आम जनता को इसका लाभ मिल सके।” ऐसा बताते हैं, पशुपालन विभाग के प्रशासन व विकास निदेशक डॉ. चरण सिंह।

लखनऊ के पशुपालन विभाग में पशुओं की गणना के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में प्रदेश के सभी अपर साख्यिकी अधिकारियों को पशु गणना के लिए तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया।

कार्यक्रम में प्रशिक्षण लेने आए अपर साख्यिकी अधिकारी अनिल तिवारी ने बताया, “इसमें हम ब्लॉक पर सर्वे करते है। इस सर्वे में गाय, भैंस, भेड, बकरी, सूअर, बत्त सभी पशुओं की गणना करते है। पशुओं की गणना के साथ-साथ हम पशुओं दूध, अंडा, ऊन इसके उत्पादन का भी ब्लॉक द्वारा ब्यौरा देते है।”

देश में हर पांच साल में पशुओं की गणना की जाती है। इस गणना हर राज्य से आंकड़ा लिया जाता है। देश में पशुओं की गणना वर्ष 1919 में शुरू हुई थी। 19वीं पशु गणना वर्ष 2012 में की गई थी, जिसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों ने हिस्साा लिया था। इस गणना में देश भर के सभी गाँवों और शहरों/वार्डों को कवर किया गया था।

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ वी.के.सिंह ने बताया, “खुरपका मुंहपका कार्यक्रम बड़े स्तर पर प्रदेश में चलाया जाता है। इसमें यह गणना बहुत सहायक रहती है। क्योंकि इसी के अनुसार जिलों में वैक्सीन भेजी जाती है। इसके लिए करोड़ों का बजट भी आता है।”

कार्यक्रम में एस सी शर्मा, आदेश शर्मा, चंद्रकांत त्रिवेदी ने सभी अधिकारियों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया।


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