एक गरीब बच्चा जिसके जज्बे ने दिखाई नई राह

मध्य प्रदेश का एक युवा सात साल के गरीब बच्चे से प्रभावित होकर ज़रूरतमंदों की मदद में जुट गया। आज देश के 12 राज्यों में अपने 40 हज़ार वालंटियर के साथ घर घर राशन और किताबें बांटता है।

Update: 2023-09-06 13:07 GMT

"मंदिर में रखी दान पेटी में दिया हुआ दान सिर्फ दान नहीं होता, दान देने का मतलब है, उनकी मदद करना जिनका कोई सहारा ना हो, जिनके पास खाना ना हो उन्हें खाना खिलाना।" इंदौर के यश गुप्ता अपनी इस सोच को जब बताते हैं तो उनके चेहरे पर तसल्ली का भाव दिखता है।

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 190 किलोमीटर दूर इंदौर में यश घर घर जा कर जरूरतमंदों तक खाना और सामान बांटते हैं।

हालही में बीटेक की पढ़ाई पूरी करने वाले यश गुप्ता का अब यही मुख्य काम है।


गाँव कनेक्शन से वे कहते हैं, "मैं उनकी मदद करता हूँ जिनके अपने होकर भी अपने नहीं होते हैं। सिर्फ खाना ही नहीं, स्लम ऐरिया में जरूरतमंद गरीब बच्चों को किताबें या घर में बेकार पड़े खिलौने भी जुटा कर देता हूँ। उनको मुझसे या हमारी टीम के लोगों से पढ़ना अच्छा लगता है। "

यश गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "वैसे तो मैंने 2018 में ही दानपात्र की शुरुआत की थी, लेकिन इसका महत्व मुझे लॉकडाउन के समय हुआ जब लोग काफी परेशान थे, उन दिनों मुझे सड़क पर एक 7 साल का बच्चा मिला जो सिर्फ 70 रुपये में अपने और अपने परिवार का गुजारा कर रहा था, उसे उसके माता पिता की कोई ख़बर नहीं थी। तीन छोटे छोटे भाई बहन और अपनी बुढी दादी को भी सम्भाल रहा था। "

"वो देखकर मुझे लगा अगर आप सक्षम हैं, तो आपको भी लोगों की मदद करनी चाहिए। बस फिर तब का समय और आज का समय है, मैंने उन लोगों के लिए काम करना शुरू किया जिनको हमारी ज़रूरत होती है।" यश ने गाँव कनेक्शन से कहा।


34 साल की शीतल जायसवाल भी पिछले दो साल से दानपात्र से जुड़ीं हैं। फेसबुक के जरिए इस संस्था के काम की जानकारी मिलने के बाद वो भी इस मुहिम का हिस्सा बन गईं।

शीतल गाँव कनेक्शन से बताती हैं, "हम अपनों के लिए तो करते ही रहते हैं लेकिन दूसरों के लिए करना बड़ी बात है।"

"लोगों को समझाती हूँ घर पर तो सभी जन्मदिन मनाते हैं स्लम एरिया के बच्चों के साथ जन्मदिन मनाने से आपका दिन भी स्पेशल हो जाएगा और बच्चों को भी केक मिलेगा जिनसे उनका भी दिन बन जाएगा।" शीतल ने कहा।

यश गुप्ता कहते हैं " सोशल मीडिया के जरिए भी हमारे पास काफी मदद के लिए मैसेज आते हैं। महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति जागरूक करना और नशा मुक्ति अभियान भी हमारा ध्येय है। अब तक दानपात्र ने 35 लाख लोगों की मदद की हैं, जिसमें दिवाली के 10 दिन के कैंप में एक दिन में ढाई लाख लोगों की मदद करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।"


यश बताते हैं "दिवाली के समय में लोग अपने घरों की सफाई करते हैं जिसमें काफी चीजें फेक देते हैं हमने उससे ही लोगों की मदद की तो इण्डिया बुक रिकार्ड में नाम दर्ज हो गया।

यश के मुताबिक 12 राज्यों में दानपात्र के 40 हज़ार वोलेनटियर हैं। यूपी, बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा काम हो रहा है।

यश बताते हैं, 'मैं मध्य प्रदेश के मन्सूर जिले के सुवासरा से हूँ , जहाँ पर लोग सिर्फ पैसा कमाने के बारे में सोचते हैं, जब मैंनें दानपात्र की शुरुआत की थी, तब लोगों को भरोसा नहीं होता था, उन्हें लगा पुराने सामानों को बेच कर मैं कुछ गलत काम करूँगा। धीरे -धीरे जब लोगों को हक़ीक़त पता चली तो काफी लोग जुड़ने लगे। लोग हमारे साथ अपनी खुशियों को सेलिब्रेट करते हैं अब दान करना चाहते हैं।"

Similar News