MBA पास युवक ने खेती में लगाया ज्ञान- अदरक और स्वीट कॉर्न की जैविक फसल ने दिलाई पहचान

Update: 2019-01-28 04:50 GMT
पढ़िए मध्य प्रदेश के सिद्धार्थ चिचौंदिया की कहानी।

सागर (मध्य प्रदेश)। सिद्धार्थ चिचौंदिया एमबीए फाइनल सेमेस्टर की पढ़ाई कर रहे थे, पढ़ाई पूरी करके वो किसी अच्छी जगर पर नौकरी करना चाहते थे, लेकिन हुआ कुछ उल्टा। उन्होंने अपनी पढ़ाई तो पूरी की लेकिन उन्होंने नौकरी करने के बजाय खेती करना सही समझा और नौकरी करने के सपने को भुलाकर खेती करनी शुरू कर दी।

सिद्धार्थ मध्यप्रदेश के जिला और ब्लॉक सागर के पंबोरी रईगाँव के रहने वाले हैं, जो सागर जिले से करीब पांच किमी दूर है। सिद्धार्थ बताते हैं, ''मेरे पापा खेती करते थे, लेकिन मैं खेती नहीं करना चाहता था, क्योंकि जिस तरह से तब हमारे यहां खेती की जाती थी उसमें खर्चा अधिक आता था और फायदा बहुत कम होता था। कभी-कभी तो नुकसान भी हो जाता था। इसलिये मैं एमबीए करके अच्छी जगह पर नौकरी करना चाहता था।''

वो आगे बताते हैं, ''जब मेरा एमबीए का फाइनल सेमेस्टर था उस समय मुझे जैविक तरीके से खेती करने के बारे में पता चला, जब तक मेरा सेमेस्टर पूरा हुआ तब मैंने जैविक तरीके से खेती करना ठीक-ठाक सीख लिया था और फिर मैने खेती करना शुरू कर दी।''

यह भी पढ़ें : भारत में जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा, भारत को मिली जैविक कृषि विश्व कुंभ की मेजबानी

सिद्धार्थ ने वर्ष 2016 में पहली बार करीब आधा एकड़ खेत से जैविक खेती करनी शुरू की, जिसमें उन्होंने पारम्परिक फसलों (गेहूं और सोयाबीन) के बजाए अदरक की बुवाई की। सिद्धार्थ ने अप्रैल 2016 में अदरक की बुवाई की और उसी के अगले दिन उसी खेत में स्वीट कॉर्न की बुवाई कर दी। एक खेत में एक साथ दो फसलों की खेती करने को इंटरक्रॉपिंग कहते हैं।

सिद्धार्थ अपने खेत को दिखाते हुए कहते हैं, ''फसल की बुवाई करने से पहले जुताई करके तीन ट्रॉला गोबर की खाद डाली थी और उसके साथ एक कुंतल फास्फो कम्पोज्ड मिला कर डाल दिया था।'' वो बताते हैं कि पहले इतने खेत में कितना खर्चा आता था मुझे नहीं पता लेकिन इस बार जैविक खेती करने में करीब 55 हजार रुपए का कुल खर्च आया था। सिद्धार्थ ने अदरक के साथ जो स्वीट कॉर्न की बुवाई की थी वो करीब दो महीने में तैयार हो गई, जो 13000 रुपए की बिकी।

यह भी पढ़ें: बिना मिट्टी के उगाए 700 टन फल और सब्ज़ियां, कमाया 30 लाख रुपये से ज़्यादा मुनाफा

सिद्धार्थ ने बताया, ''छह महीने में जब अदरक खोदने के लिये तैयार हुई उस समय मैंने उसके रेट पता किये तो सिर्फ 35 रुपए किलो थे इस लिए मैने उसकी खुदाई नहीं की उसी में मैने ककड़ी की बुवाई कर दी। ककड़ी की फसल लेने के बाद अब अदरक की खुदाई कर रहा हूं। अभी तक करीब आधे खेत की अदरक की खुदाई हो चुकी है, जिसमें 24 कुंतल अदरक निकली है जो 40 रुपए किलो बिकी है। अभी आधी फसल की खुदाई करनी है उसमें भी करीब 24-26 कुंतल अदरक निकलेगी।''

यह भी पढ़ें : 17 साल का ये छात्र यू ट्यूब पर सिखा रहा है जैविक खेती के गुर

गाँव कनेक्शन के रिपोर्टर ने जब सिद्धार्थ से पूछा कि आपने जब अदरक की खुदाई का समय था उस समय खुदाई नहीं की उससे कोई नुकसान नहीं हुआ? इस पर उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, ''बिल्कुल नहीं, बल्कि और अधिक फायदा हुआ।'' उन्होंने बताया, ''देर से खुदाई की तो फसल की कीमत भी पहले से अच्छी मिल गई उसके अलावा जो देर से खुदाई की इस वजह से करीब इतने खेत में (आधा बीघे से थोड़ा ज्यादा खेत) करीब 6 कुंतल अदरक का आधिक उत्पादन हुआ है। इस लिये घाटा नहीं फायदा हुआ है।''

सिद्धार्थ इस बार पांच एकड़ में जैविक खेती कर रहे हैं जिसमें उन्होंने अदरक (दो एकड़ में), लहसुन (दो एकड़ में) और प्याज (एक एकड़ में) की बुवाई की है।

वीडियो में देखिए मल्टीलेयर खेती के फायदे

Full View

यह भी पढ़ें : एक महिला इंजीनियर किसानों को सिखा रही है बिना खर्च किए कैसे करें खेती से कमाई

सलाखों के पीछे भी की जा रही है जैविक खेती

जैविक खेती कर बनायी अलग पहचान, अब दूसरों को भी कर रहे हैं प्रेरित

Similar News