वो 10 लोग जिन्हें हिंदी कविता कभी नहीं भुला पाएगी ... 

Update: 2020-01-10 06:46 GMT
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यूं तो हिंदी साहित्य में कविता लिखने वाले अनगिनत सितारे रहे हैं जिनकी कलम ने हर दौर में हिंदी को एक से बढ़कर एक बेहतरीन रचनाएं दीं। कविता हिंदी साहित्य की वो विधा है जो खूबसूरत से खूबसूरत विचार को कम शब्दों में कहना जानती है। 'गांव कनेक्शन' की साथी अनुलता राज नायर ने कोशिश की है ऐसी ही 10 बेहतरीन शख्सियतों को याद करने की, जिनकी कविताओं को साहित्य संसार सदियों तक याद रखेगा।

1. माखनलाल चतुर्वेदी

्र्रफMakhan Lal Chauturvedi 

हिन्दी साहित्य को जोशो-ख़रोश से भरी आसान भाषा में कवितायें देने वाले माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद ज़िले में चार अप्रैल 1889 को हुआ था। वो कवि होने के साथ-साथ पत्रकार भी थे| उन्होंने 'प्रभा, कर्मवीर और प्रताप का सफल संपादन किया। 1943 में उन्हें उनकी रचना 'हिम किरीटिनी' के लिए उस समय का हिंदी साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार 'देव पुरस्कार' दिया गया था। हिम तरंगिनी के लिए उन्हें 1954 में पहले साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाज़ा गया। राजभाषा संविधान संशोधन विधेयक के विरोध में पद्मभूषण की उपाधी लौटाने वाले कवि ने 30 जनवरी 1968 को आख़िरी सांस ली।

2. मैथिलीशरण गुप्त

मैथलीशरण गुप्त

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 3 अगस्त 1886 में यूपी के झांसी ज़िले में चिरगाओं में हुआ था। उन्होंने अपनी कविताओं में खड़ी बोली का खूब इस्तेमाल किया। उनका महाकाव्य साकेत हिन्दी साहित्य के लिए एक मील का पत्थर है। जयद्रथ वध, भारत-भरती, यशोधरा उनकी मशहूर रचनाएं हैं। पद्मविभूषण सम्मान से नवाज़े इस कवि ने 12 दिसंबर 1964 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

3. हरिवंशराय बच्चन

Harivansh Rai Bachchan 

आधुनिक छायावाद के कवियों में सबसे आगे हरिवंश राय बच्चन का नाम आता है। इनका जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद में हुआ था। उनकी लिखी मधुशाला का नशा आज भी लोगों के सर चढ़ कर बोलता है। बच्चन अपना परिचय इस तरह दिया करते थे-

मिट्टी का तन, मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय....
हरिवंश राय बच्चन

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भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के पद पर रहते हुए उन्होंने ओथेलो, मैकबेथ, रुबाइयाँ, भगवत गीता और यीट्स की कविताओं का अनुवाद किया। उनकी चार हिस्सों में लिखी गयी आत्मकथा - क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक, उनकी शानदार रचनाओं में गिनी जाती हैं। साहित्य अकादमी, सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार, पद्मभूषण से नवाज़े इस बेहतरीन कवि की 18 जनवरी 2003 को मृत्यु हो गयी।

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4. महादेवी वर्मा

महादेवी वर्मा 

सन 1907 में फ़र्रुखाबाद यूपी में जन्मीं महादेवी वर्मा को छायावाद के प्रमुख कवियों में गिना जाता है। वे तकरीबन सारी उम्र प्रयाग महिला विद्यापीठ में पढ़ाती रहीं। आधुनिक मीरा के नाम से मशहूर महादेवी की कुछ ख़ास रचनाएँ हैं - दीपशिखा, हिमालय, नीरजा, निहार, रश्मि गीत। उनकी कविताओं की एक शानदार किताब यामा को ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाज़ा गया था। महादेवी बौद्ध धर्म से भी प्रभावित थीं। उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया। 11 सितम्बर 1987 को इलाहाबाद में उन्होंने आख़री सांस ली।

5. सुमित्रानंदन पंत

सुमित्रानंदन पंत

हिंदी साहित्य में छायावाद के चार स्तंभों में से एक सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म 20 मई 1900 में हुआ था। झरने, बर्फ, फूल, भौंरे और वादियों वाले खूबसूरत कुमांउ, अल्मोड़ा में जन्म लेने की वजह से उनकी रचनाओं में प्रकृति और उससे जुड़ी खूबसूरत बातों का बखूबी ज़िक्र हुआ है। कुछ समय श्री अरबिंदो के सानिध्य में रहने से उनकी कुछ कविताओं में दार्शनिकता भी झलकती है। 1961 में उन्हें पद्मभूषण और 1968 में "चिंदबरा" के लिए ज्ञानपीठ से नवाज़ा गया। उनके लिखे पल्लव, वीणा, ग्रंथि, गुंजन को खूब शोहरत मिली। उन्हें "कला और बूढ़ा चाँद" के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला। 28 दिसंबर 1977 को वो दुनिया से रुख़्सत हो गए।

6. जयशंकर प्रसाद

जय शंकर प्रसाद 

निराला, पंत, महादेवी के साथ जयशंकर प्रसाद भी हिंदी साहित्य के छायावाद के चौथे स्तंभ माने जाते हैं। ये 30 जनवरी 1989 में उत्तरप्रदेश के वाराणसी में पैदा हुए। इन्होंने साहित्य को इबादत समझा और इन्हे हिन्दी के अलावा संस्कृत उर्दू और फ़ारसी का भी ज्ञान था। प्रसाद ने रूमानी से लेकर देशभक्ति तक की कवितायें लिखीं। इनकी सबसे ज़बरदस्त रचना है 'कामायनी'। 48 साल की उम्र में ही 14 जनवरी 1937 को बीमारी के बाद इनकी मौत हो गयी।

7. सूर्यकांत त्रिपाठी

सूर्य कांत त्रिपाठी निराला

इनकी पैदाइश मिदनापुर बंगाल में 16 फरवरी 1896 को हुई। बंगाल में परवरिश होने की वजह से ये रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद और टैगोर से प्रभावित रहे। इनकी रचनायें कल्पनाओं की जगह ज़मीनी हकीक़त को दिखाती हैं। शुरू में ये बंगाली में लिखते रहे मगर बाद में इलाहाबाद आये और हिंदी में लिखना शुरू किया। सरोज शक्ति, कुकुरमुत्ता, राम की शक्ति पूजा, परिमल, अनामिका इनकी ख़ास रचनाएं हैं। इन्होंने बांगला से हिंदी अनुवाद भी खूब किया है। 15 अक्टूबर 1961 को इन्होने आख़री सांस ली।

8. रामधारी सिंह दिनकर

रामधारी सिंह दिनकर

23 सितम्बर 1908, सिमरिया बिहार में जन्में राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर को वीर रस का सर्वश्रेष्ठ कवि माना जाता है, जिसका सबूत है उनका लिखा- 'कुरुक्षेत्र' लेकिन उनकी रचना 'उर्वशी' जिसे ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है, प्रेम और आपसी संबंधों पर रची गयी है। पद्मविभूषण दिनकर की और शानदार रचनाएं हैं – परशुराम की प्रतीक्षा, संस्कृति के चार अध्याय। देश की पहली संसद में उन्हें राज्यसभा सदस्य चुना गया था, फिर वे दो बार और मनोनीत हुए। 24 April, 1974 को उनकी मृत्यु हुई।

9. अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना

अब्दुल रहीम खान ए खाना, रहीम

अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना को आमतौर पर 'रहीम' के नाम से ही जाना जाता है। 17 दिसम्बर 1556 याने मुग़ल काल में पाकिस्तान में रहीम का जन्म हुआ। आप अकबर के दरबार के नौं रत्नों में एक थे। रहीम अवधी और बृज दोनों भाषा में लिखते थे। उनकी रचनाओं में कई रस मिलते हैं। उनके लिखे दोहे, सोरठे और छंद बेहद मशहूर हैं। रहीम मुसलमान थे और कृष्ण भक्त भी। रहीम ने बाबर की आत्मकथा का फ़ारसी में अनुवाद भी किया था। 1627 में रहीम इस दुनिया को छोड़ गए

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय। टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ परि जाय॥
रहीम

10. कबीर

कबीर दास जी 

हिन्दी भाषा के लेखन में निर्गुण भक्ति आन्दोलन की शुरुआत करने वाले संत कबीर का जन्म 1440 ईस्वी में हुआ था। माना जाता कि उनका जन्म काशी में हुआ

काशी में परगट भये,रामानंद चेताये
कबीर

कबीर ने एकदम सरल और सहज शब्दों में राम और रहीम के एक होने की बात कही। उन्होंने कबीर पंथ चलाया। कबीर ने साखियाँ, शबद और रमैनी भी लिखी। साखी में शिक्षाप्रद बातें हैं, शबद संगीतमय है, प्रेम से भरी इन रचनाओं को आज भी गाया जाता है। रमैनी में दार्शनिक विचार हैं| कबीर जुलाहे का काम करते थे, वो लिखना नहीं जानते थे। माना जाता है कि वो बस कहते जाते और शिष्य लिखते रहे। माया मरी ना मन मरा, मर-मर गए। शरीर, आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर। माना जाता है कि सन 1518 के आसपास कबीर की मृत्यु हुई|

- अनुलता राज नायर लेखिका हैं, रेडियो के लिए कहानियां लिखती हैं और 'गाँव कनेक्शन' की साथी हैं, इनकी किताब 'इश्क़ तुम्हे हो जाएगा' पाठकों ने काफी पसंद की।

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