पाश ये कविता आज के दौर में लिख सकते थे? 

Update: 2017-03-23 17:55 GMT
पाश 

आज अवतार सिंह संधू उर्फ ‘पाश’ की पुण्य तिथि है | साल 1988 में आज ही की तारीख यानि 23 मार्च को, इस क्रांतिकारी जन-कवि की, आतंकवादियों ने उनके अपने ही गांव में गोली मारकर हत्या कर दी थी | पंजाब के जालंधर जिले में सन 1950 में जन्में ‘पाश’ की कविताएं हमेशा से क्रांतिकारी रहीं। उनकी बातें न तो सरकार को पसंद आती थी न आतंकवादियों को। पाश की पहली कविता 1967 में छपी थी, इस वक्त वो कम्यूनिस्ट पार्टी से जुड़े थे। और इसी वक्त जेल से ही उन्होंने अपनी कविता संग्रह प्रकाशित होने के लिए भेजा जिसका नाम था 'लौह कथा'। इस कविता संग्रह में कुल 36 कविताएं थी। इस संकलन के आने के बाद पाश पंजाबी कवियों की पहली पंक्ति में खड़े हो गए। साल 1971 में जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने तमाम कविताएं और नज़्में लिखीं। उन्होंने एक हाथ से लिखी हुई पत्रिका 'हाक' का संपादन भी किया। 21 साल की काव्य यात्रा में उन्होंने कई पुराने प्रतिमानों को तोड़ा और नई शैली को गढ़ा। पेश है अवतार सिंह संघू पाश की एक मशहूर कविता

यदि देश की सुरक्षा यही होती है

कि बिना जमीर होना ज़िन्दगी के लिए शर्त बन जाए

आँख की पुतली में हाँ के सिवाय कोई भी शब्द

अश्लील हो

और मन बदकार पलों के सामने दण्डवत झुका रहे

तो हमें देश की सुरक्षा से ख़तरा है ।

हम तो देश को समझे थे घर-जैसी पवित्र चीज़

जिसमें उमस नहीं होती

आदमी बरसते मेंह की गूँज की तरह गलियों में बहता है

गेहूँ की बालियों की तरह खेतों में झूमता है

और आसमान की विशालता को अर्थ देता है

हम तो देश को समझे थे आलिंगन-जैसे एक एहसास का नाम

हम तो देश को समझते थे काम-जैसा कोई नशा

हम तो देश को समझते थे कुरबानी-सी वफ़ा

लेकिन गर देश

आत्मा की बेगार का कोई कारख़ाना है

गर देश उल्लू बनने की प्रयोगशाला है

तो हमें उससे ख़तरा है

गर देश का अमन ऐसा होता है

कि कर्ज़ के पहाड़ों से फिसलते पत्थरों की तरह

टूटता रहे अस्तित्व हमारा

और तनख़्वाहों के मुँह पर थूकती रहे

क़ीमतों की बेशर्म हँसी

कि अपने रक्त में नहाना ही तीर्थ का पुण्य हो

तो हमें अमन से ख़तरा है

गर देश की सुरक्षा को कुचल कर अमन को रंग चढ़ेगा

कि वीरता बस सरहदों पर मर कर परवान चढ़ेगी

कला का फूल बस राजा की खिड़की में ही खिलेगा

अक़्ल, हुक्म के कुएँ पर रहट की तरह ही धरती सींचेगी

तो हमें देश की सुरक्षा से ख़तरा है ।

अवतार सिंह संधू ‘पाश’

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