अटल जी की शख़्सियत हमेशा से प्रभावशाली रही है। सक्रिय राजनीति में उनके जैसा शांत चित्त, संवेदनशील और बेबाक वक्ता शायद ही कोई रहा हो। इस सब के अलावा उनके कलम में भी दम था। एक कवि के तौर पर उनकी रचनाएं भी बहुत पसंद की गईं।
उन्हीं कविताओं को लेकर साल 1999 में एक एल्बम रीलीज़ की गई, जिसकी भूमिका लिखी थी मशहूर गीतकार जावेद अख़्तर ने, कविताओं को आवाज़ दी थी मखमली आवाज़ के मालिक जगजीत सिंह ने और अदाकारी की थी शाहरुख ख़ान ने। कविता से पहले की भूमिका को आवाज़ दी थी अमिताभ बच्चन ने। इस एल्बम को बहुत पसंद किया गया था। अटल जी की सालगिरह के मौके पर आइये फिर से याद करें उन्हीं कविताओं को। (नीचे देखिए वीडियो)
कविता
क्या खोया क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में
मुझे किसी से नहीं शिकायत, यद्यपि छला गया पग पग में
एक दृष्टि बीती पर डाले यादों की पोटली टटोलें
अपने ही मन से कुछ बोले-अपने ही मन से कुछ बोले
पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी, जीवन एक अनंत कहानी
पर तन की अपनी सीमाएं, यद्यपि सौ सर्दों की वाणी
इतना काफी है अंतिम दस्तक पर खुद दरवाज़ा खोलें…अपने ही मन से कुछ बोले
जन्म मरण का अविरत फेरा, जीवन बंजारों का डेरा
आज यहाँ कल वहाँ कूच है, कौन जानता किधर सवेरा
अँधियारा आकाश असीमित प्राणों के पंखों को खोले…अपने ही मन से कुछ बोले
क्या खोया क्या पाया जग में, मिलते और बिछड़ते मग में
मुझे किसी से नहीं शिकायत, यद्यपि छला गया पग पग में
एक दृष्टि बीती पर डाले यादों की पोटली टटोलें
अपने ही मन से कुछ बोले-अपने ही मन से कुछ बोले !
अटल बिहारी वाजपेयी
सुनिए नीलेश मिसरा की आवाज में अटल बिहारी बाजपेई की कविताएं