क़िस्सा मुख़्तसर - मीना कुमारी की आवाज़ में

Update: 2019-08-01 07:15 GMT
माना कुमारी 

हिंदी फिल्मों में अपना अदाकारी का लोहा मनवा लेने वाली मीना कुमारी ने अपने वक्त के सभी बड़े अदाकारों के साथ काम किया। उनकी एक्टिंग हकीकत के इतने करीब होती थी कि ये दर्शक उनके हर संवाद को खुद से जोड़ कर महसूस करते थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि मीना कुमारी का असली नाम महजबीं बानो था। उनके पिता अली बक्श भी फिल्मों में और पारसी रंगमंच के एक मँझे हुये कलाकार थे और उन्होंने कुछ फिल्मों में संगीतकार का भी काम किया था। उनकी माँ इकबाल बानो भी एक मशहूर डांसर और अदाकारा थी जिनका ताल्लुक टैगोर परिवार से था। माहजबीं ने पहली बार किसी फिल्म के लिये 6 साल की उम्र में काम किया था।

मीना कुमारी

साल 1953 तक मीना कुमारी की तीन कामयाब फिल्में आ चुकी थीं जिनमें, दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं। परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया दौर शुरु हुआ। उस फिल्म में उनके किरदार ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था हालांकि इसी फिल्म के बाद उनकी छवि ज़्यादातर संजीदा और ग़मज़दा किरदार तक सीमित हो गई।

मीना कुमारी और दिलीप कुमार 

कहा जाता है कि मीना कुमारी की आवाज़ में वो बात थी कि बात दिल से दिल तक पहुंचती थी। वो शायरी भी करती थी। उनके इंतकाल के बाद उनकी अलमारी से एक डायरी मिली थी जो उन्होंने गुलज़ार के लिए छोड़ी थी। मीना कुमारी की आवाज़ का एक हिस्सा हम आपको सुनाने जा रहे हैं, ये अंश उस इंटरव्यू का है जो मीना कुमारी ने अमीन सियानी को दिया था। इस हिस्से में उन्होंने साल 1955 में आई फिल्म आज़ाद की शूटिंग के दौरान एक छोटे से किस्से को याद किया है।

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