मजदूरी करने को मजबूर मुख्यमंत्री की स्टार, कोई आर्थिक मदद नहीं

Update: 2015-10-28 05:30 GMT

गोंडा।मजदूरी करके सीमा भारती (21 वर्ष) ने अपने घर में शौचालय बनवाकर पूरे गाँव को प्रेरित किया| जल्द ही पूरे गाँव में शौचालय बन गए| इसके लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सीमा को सम्मानित किया| जिले के डीएम ने आर्थिक सहायता का आश्वासन दिया, लेकिन सीमा अभी भी मजदूरी करके घर चला रही है, और इसी कारण स्कूल भी नहीं जा पाती|

गोण्डा जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर उत्तर दिशा में तरबगंज के सुसेला गाँव की सीमा भारती ने इस बात को समझा कि लड़कियों को खुले में शौच जाने के लिए कितने दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, और इसे मुहिम में बदल दिया। वो बताती हैं, ''मैंनें मजदूरी करके पहले अपने घर में शौचालय बनवाया फिर गाँव वालों को समझाया कि खुले में शौच से कितनी बीमारियां होती हैं, सभी ने इस बात को समझा और अपने घरों में शौचालय बनवाया और उसे इस्तेमाल भी करते हैं।"

इस मुहिम के लिए देवीपाटन मंडल में सीमा को स्वच्छता का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। गोंडा जिले में डीएम ने उसे सम्मानित किया और लखनऊ में हुए एक समारोह में मुख्यमंत्री ने भी उसके प्रयास को सराहा। ''जब डीएम ने सम्मनित किया था, तो ये हुआ था कि एक लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा। लेकिन मुझे आज तक एक पैसा नहीं मिला कहीं से, अगर मिल जाता तो मैं अपनी पढ़ाई पूरी कर लेती," सीमा ने कहा|

सीमा के प्रयासों का ही नतीजा है कि प्रदेश के पंचायतीराज विभाग ने गोण्डा जिले के सुसेला पंचायत के प्रधान दीनदयाल को शौचालय निर्माण में आगे रहने के लिए सम्मानित किया। जिले की आकांक्षा समिति की मदद से सीमा को तरबगंज के डिग्री कॉलेज में बीए में दाखिला भी मिला। सीमा बताती हैं, ''मैनें बीए में एडमिशन कराया था। मैं गृहविज्ञान और समाजशास्त्र से पढऩा चाहती हूं, लेकिन अभी तक केवल दो बार कॉलेज जा पाई हूं। क्योंकि घर का खर्च चलाने के लिए मुझे खेतों पर मजदूरी करनी पड़ती है"|

सीमा की मां के निधन के बाद घर की जिम्मेदारी भी उस पर आ गई, पिता रिक्शा चलाते थे, लेकिन इधर दो वर्षों से बीमारी के कारण वो कोई काम नहीं कर पा रहे इसलिए सीमा को दो जून की रोटी के लिए दूसरों के खेतों पर मजदूरी करनी पड़ती है। इसके लिए उसे दिन भर के 150 रुपये मिलते हैं।

लेकिन बिना हार माने सीमा आज भी अपने मजबूत इरादों के साथ संघर्ष कर रही है। सीमा कहती हैं, ''आज कल तो धान काटे जा रहे हैं दिनभर दूसरों के खेतों पर धान काटते हैं, और रात में समय निकालकर थोड़ा पढ़ाई कर लेते हैं, क्योंकि मैं नहीं चाहती कि मैं फेल हो जाऊं और मेरी पढ़ाई रुक जाए।"

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