दो परिवारों को टूटने से बचाने के लिये आगे आया आशा ज्योति केंद्र

Update: 2017-04-10 10:15 GMT
महिलाओं की बातें सुनती आशा ज्योति केंद्र की सदस्य।

आभा,स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

कन्नौज। ‘‘गाँव के किसी व्यक्ति ने अब्बू को बताया होगा कि अगर बेटी के सुसराल में दिक्कत है तो आशा ज्योति केंद्र से मदद मांगो। मामला निपट जाएगा। फिलहाल थाने-अदालत के चक्कर से भी बच जाओगे। अब मेरे और पति के बीच ही नहीं बल्कि बहन और उसके पति के बीच का विवाद भी निपट गया है। मैं आशा ज्योति केंद्र की टीम को धन्यवाद देती हूं।’’

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यह कहना है जिला मुख्यालय से करीब 53 किमी दूर बसे सौरिख थाना क्षेत्र के कबीरपुर निवासी एक मुस्लिम युवती का। शहर के विनोद दीक्षित अस्पताल परिसर में बने निजी भवन में चल रहे रानी लक्ष्मी बाई आशा ज्योति केंद्र की सीआईसी सामाजिक कार्यकर्ता किरन सागर बताती हैं, ‘‘केंद्र पर 15 मार्च को सौरिख के कबीरपुर निवासी दो सगी बहनों ने प्रार्थना पत्र दिए थे। उसमें कहा गया था कि उनको ससुराल में दिक्कत है। दहेज की भी मांग है।

पहले पीड़ित और आरोपी की बात सुनी जाती है। काउंसिलिंग होती है। अगर फिर भी मामला नहीं सुलझता तो एफआईआर समेत अन्य कार्रवाई आगे बढ़ती है।
नीलम पांडेय, प्रभारी आशा ज्योति केंद्र

अन्य भी कई पारिवारिक कारण से उसकी बहन भी परेशान रहती है।’’ किरन आगे कहती हैं, “इस मामले में सात अप्रैल को दोनों बहनों और उनके पति समेत परिजनों को केंद्र में बुलाया गया। मामले को समझा गया और काउंसिलिंग की गई। एक दिन बाद मामला निपट गया और दोनों बहनों को उनके पति राजी से ले गए।” डायल 181 काउंसलर श्रद्धा सिंह भदौरिया कहती हैं, ‘‘दोनों बहनों की शादी दिल्ली में सगे भाइयों के साथ वर्ष 2011 में हुई थी। दोनों के ही एक-एक बच्चे हैं। पारिवारिक विवाद निपटने के बाद उन्होंने आशा ज्योति केंद्र को धन्यवाद भी दिया है।’’

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