डॉक्टर से नहीं पंडित जी से पूछ कर करा रहे डिलीवरी

Update: 2017-08-23 17:17 GMT
पंडित जी बता रहे डिलीवरी की तारीख।

लखनऊ। कुछ समय से एक नया ट्रेंड देखने को मिला है, मां बाप एक विशेष दिन और विशेष तारीख पर ही अपने बच्चे को जन्म देना चाहते हैं और इसके लिए वो पंडितजी से मुहूर्त निकलवाकर डॉक्टर से उसी दिन सीजेरियन डिलीवरी करवाने के पीछे अड़ जाते हैं। आश्चर्य की बात ये है कि ये करने वाले शहर के शिक्षित व संभ्रांत लोग हैं।

“कुछ दिन पहले ही मेरे पास एक बड़े पद पर कार्यरत व्यक्ति आए, उन्होंने कहा एक चाइनीज धार्मिक गुरु ने बताया था कि अगर आपकी पत्नी की डिलीवरी फलां दिन और फला समय पर हुई तो होने वाला बेटा आपका नाम रोशन करेगा। ऐसा कुछ पंडितों ने भी कहा था।”
डॉ. शिवानी चतुर्वेदी, स्त्री रोग विशेषज्ञ, आगरा

डॉ. शिवानी आगे बताती हैं, “डिलीवरी की डेट पास थी तो मैंने ऑपरेशन कर दिया पर बाहर आकर जब ये कहा कि जाइए आप अपनी चक्रवती बेटी को देख सकते हैं तो उनके चेहरे का रंग ही उड़ गया। बेटे की जगह ये बेटी कहां से हो गई मूहूर्त निकलवाने के बाद भी।”

गर्भ में बच्चे के कम से कम 36 हफ्तों में फेफड़े पूरी तरह से विकसित होते हैं। इसलिए सर्जरी कराने से पहले इन सभी बातों का खास ख्याल रखना जरूरी होता है। अगर महिला सामान्य दर्द सहने में असमर्थ है तो सर्जरी का रास्ता अपनाया जाता है लेकिन यह विकल्प भी डॉक्टर की सलाह पर लेना चाहिए न कि घरवालों के कहने पर।

केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के पैनल में शामिल निजी अस्पतालों से मिली जानकारी के अनुसार प्रसव के 31,296 मामलों में 17,450 मामले सी-सेक्शन या सिजेरियन डिलीवरी के थे। यानी इन मामलों की संख्या 55.75 प्रतिशत है। आश्चर्य की बात ये है कि ऐसा करने वाले परिवार गाँवों के न होकर शहर के पढ़े लिखे संभ्रांत लोग हैं।

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अभिभावकों को लगता है यदि बच्चे के जन्म के पहले ही मनपसंद कुंडली बन जाये तो उनकी संतान जरूर दुनिया में एक मुकाम हासिल करेगी। लखनऊ की रहने वाली प्राची सिंह के पति पेशे से इंजीनियर हैं और उन्होंने अपनी पत्नी की डिलीवरी जन्माष्टमी के दिन करवाई है क्योंकि उनके पंडित ने ऐसा कहा था। प्राची बताती हैं, “हमारे पंडित जी ने कहा था अगर जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर बच्चा हुआ तो बहुत तेजस्वी व बुद्धिमान होगा।”

बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए अभिभावक पूछते हैं मुहूर्त

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य पंडित परमानंद आचार्य बताते हैं, “भारतीय ज्योतिष में जन्म एवं परिस्थितियों का महत्वपूर्ण स्थान है। जन्म समय से लग्न का निर्माण होता है, जो जन्म का शरीर है। इसी जन्म लग्न के आधार पर बच्चे के सम्पूर्ण जीवन का भावी नक्शा तैयार होता है इसलिए आज कल मां-बाप ये पूछने आते हैं कि डिलीवरी कब कराई जाए कि होने वाले बच्चे का भविष्य उज्जवल होगा।” आचार्य आगे कहते हैं, “हम माता पिता की कुंडली देखकर ग्रहों का योग देख बताते हैं कि बच्चे के जन्म के लिए कौन सा समय उचित होगा।”

जान जोखिम में डालने वाला ट्रेंड

इस ट्रेन्ड के आगे लोग गर्भवती महिला की जान तक जोखिम में डाल देते हैं। लखनऊ की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. रीता दास बताती हैं, “कई बार ऐसे केस आते हैं, जो चाहते हैं कि उनके पंडित के दिए हुए मूर्हूत के हिसाब से डिलीवरी हो। अगर इसमें कोई खतरा होता है तो कुछ डॉक्टर ऐसा करने से मना कर देते हैं। किस्मत अच्छी है और उनके पंडित की बताई तारीख उसी शेड्यूल पर है तो डॉक्टर को कोई परेशानी नहीं होती।”

डॉ दास कहती हैं कि किसी भी तरह के मुहूर्त का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है। शुभ मुहूर्त का चलन इतना ज्यादा बढ़ गया है कि अगर पंडित जी ने रात में कोई शुभ मुहूर्त बता दिया तो लोग रात को उसी निश्चित समय पर सर्जरी कराने की जिद करते हैं। अब लोग सामान्य डिलीवरी कराने को ज्यादा तवज्जो नहीं देते।

सीजेरियन डिलीवरी की बढ़ रही संख्या।

हर चीज पर अपना नियंत्रण चाहता है इंसान

पढ़े लिखे लोग भी ज्योतिष और मूर्हूत के चक्कर में आकर ऐसी जिद करते हैं जिसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। इस बारे में लखनऊ की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. शाजिया सिद्दिकी बताती हैं, “धर्म और शिक्षित होना दोनों अलग-अलग बातें हैं। पढ़े लिखे लोगों की भी धार्मिक मान्यता होती है। इसलिए वो ऐसा करते हैं।”

इंसान हर चीज को प्लान करके चलना चाहता है धीरे-धीरे वो प्रकृति पर भी नियंत्रण चाहता है वो सोचता है कि सब कुछ उसके नियंत्रण में हो। इसलिए अब वो बच्चे भी अपने मर्जी से पैछा करवाना चाहते हैं।
लखनऊ की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. शाजिया सिद्दिकी

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