ग्रामीण भारत में ज्यादातर महिलाओं को स्तन कैंसर बीमारी की जानकारी ही नहीं होती

Update: 2018-03-24 13:38 GMT
ग्रामीण महिला

लंदन। भारत के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली ज्यादातर महिलाओं को स्तन कैंसर की बीमारी की जानकारी ही नहीं है। देश के ग्रामीण इलाकों में महिलाएं स्तन कैंसर के इलाज में काफी देर करती है और ज्यादातर मामलों में इसका कारण इलाज महंगा होना होता है। ऐसा स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी के अध्ययन में दावा किया गया है।

यह अध्ययन स्वीडन में ऊमेओ विश्वविद्यालय के छात्र नीतिन गंगाने ने किया है। इसमें पाया गया कि ज्यादातर भारतीय महिलाओं को अपने स्तन में होने वाली गांठों का खुद से पता लगाने का तरीका नहीं मालूम है। गंगाने ने कहा, स्तर कैंसर के सफल इलाज के लिए समय रहते उसके बारे में पता चलना अहम होता है। अत: महिलाओं को इसके लक्षणों तथा इसके इलाज के बारे में जागरूक करना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा, अशिक्षा, नजरअंदाज करना, गरीबी और अंधविश्वास के कारण कई महिलाएं अस्पताल जाने में बहुत देर करती हैं। गंगाने ने मुख्यत: महाराष्ट्र के ग्रामीण जिले वर्धा में महिलाओं पर दो अध्ययन किए हैं। अध्ययन में शामिल महिलाओं में से बमुश्किल ही किसी को अपने स्तनों में गांठों का पता लगाने का तरीका मालूम था। इसमें पाया गया कि हर तीसरी महिला ने कभी भी स्तन कैंसर के बारे में नहीं सुना था। दूसरी ओर, काफी महिलाओं ने इसके बारे में और अधिक जानने में काफी रूचि दिखाई।

महिलाएं शुरुआत में ही इलाज क्यों नहीं कराती है, इसकी सबसे आम वजह यह पाई गई कि उन्हें स्तन में होने वाली गांठ में कोई दर्द महसूस नहीं हुआ। साथ ही पाया गया कि इसका इलाज महंगा होने के कारण भी महिलाएं इलाज में देरी करती हैं।

पॉपुलेशन बेस्ड कैंसर रजिस्ट्री (पीबीसीआर) के अनुसार, भारत में एक साल में करीब 1,44,000 नए स्तन कैंसर के रोगी सामने आ रहे हैं। गलत जीवनशैली और जागरूकता की कमी के चलते भारत में स्तन कैंसर रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

कैंसर रिसर्च की इंटरनेशनल रिसर्च एजेंसी ग्लोबेकेन में सामने आया है कि इंडिया में 2012 में 1,44,937 स्तन कैंसर रोगी महिलाएं इलाज के लिए सामने आई। वहीं इस साल 70,218 स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं ने दम तोड़ दिया। इस रिपोर्ट में सामने आया कि देश में स्तन कैंसर से पीड़ित हर दूसरे रोगी की मृत्यु हो रही है।

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इनपुट भाषा

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