अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: महिलाओं के प्रति पत्रकारिता के छात्रों की सोच बदलाव के दौर से गुजर रही है: अध्ययन 

Update: 2017-03-08 15:54 GMT
कॉलेज परिसर में छात्राएं।

नई दिल्ली। एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि भारत में पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले छात्रों में महिलाओं के प्रति रवैये में बदलाव आ रहा है और उनकी सोच भी बदल रही है, हालांकि, यह अभी संक्रमण काल है जिसमें महिलाओं से जुड़ी कुछ बातों को स्वीकार किया जा रहा है जबकि कुछ अन्य बातों के बाबत धारणा अब भी मजबूत बनी हुई है।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मीडिया स्टडीज ग्रुप (एमएसजी) ने देश के 11 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में महिलाओं को लेकर युवा पत्रकारों की सोच जानने के लिए एक अध्ययन किया, जिसमें कई दिलचस्प निष्कर्ष सामने आए। वरिष्ठ पत्रकार और एमएसजी के अध्यक्ष अनिल चमड़िया ने बताया, ‘‘इन विश्वविद्यालयों में एमएसजी के सदस्यों ने सीधे छात्रों के बीच जाकर अध्ययन किया।'' उन्होंने बताया कि अध्ययन की इस कवायद की समन्वयक शोधार्थी चेतना भाटिया हैं।

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अध्ययन से पता चला कि महिलाओं की बाहरी सुंदरता को लेकर अब पत्रकारिता के छात्रों की सोच में बदलाव आया है और वे आंतरिक सौंदर्य की बात को स्वीकार करने लगे हैं। महिलाओं के घूमने-फिरने की आजादी को लेकर उनकी सोच थोड़ी राहत देने वाली प्रतीत हो रही हैं। इस अध्ययन के दौरान करीब 29 प्रतिशत छात्रों ने माना कि महिलाओं की बाहरी सुंदरता कोई मायने नहीं रखती, हालांकि, 23 प्रतिशत छात्र इस बात से असहमत नजर आए।

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दूसरी तरफ, पत्रकारिता के ज्यादातर छात्रों में अब भी यह सोच कायम है कि महिलाओं का बैंक खाता उनके अपने पति के साथ संयुक्त तौर पर ही रहे। करीब 31.8 प्रतिशत छात्रों की राय है कि महिलाओं का बैंक खाता संयुक्त ही रहे जबकि 24 प्रतिशत छात्र ऐसे भी है जो महिलाओं के अलग से खाता होने के पक्षधर हैं। चमड़िया के मुताबिक, संयुक्त बैंक खाता इस बात की ओर इशारा करता है कि समाज अभी भी महिलाओं को आर्थिक तौर पर पूरी आजादी देने के पक्ष में नहीं है।

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इस अध्ययन के मुताबिक, पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे ज्यादातर छात्रों का मानना है कि महिलाओं का विवाह करना जरूरी है। करीब 61.8 फीसदी छात्रों ने माना कि वंश बढ़ाने और मां बनने के लिए महिलाओं को शादी करनी चाहिए। चमड़िया ने बताया, ‘‘इस अध्ययन में देश भर के 11 शिक्षण संस्थानों- भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी), जामिया मिलिया इस्लामिया, श्री गुरु नानक देव खालसा कॉलेज और भीम राव अंबेडकर कॉलेज (दोनों दिल्ली विश्वविद्यालय), विवेकानंद इंस्टीच्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज (विप्स), काशी विद्यापीठ, शारदा विश्वविद्यालय, ओड़िशा विश्वविद्यालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय, जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय और गुरु घासीदास विश्वविद्यालय को शामिल किया गया. इस अध्ययन में 150 छात्रों की भागीदारी रही।'' इस अध्ययन में महिलाओं से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर पत्रकारिता के छात्रों की सोच जानने के लिहाज से सवाल तैयार किए गए थे।

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