महिलाएं सेहतमंद रहने के लिए समय-समय पर कराएं ये जांचें 

Update: 2017-11-04 12:57 GMT
महिलाएं कराएं ये जांचें।

लखनऊ। अक्सर महिलाएं अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक नहीं रहती वो पूरे घर की जिम्मेदारी ताे उठा लेती हैं लेकिन खुद की सेहत को लेकर लापरवाही बरतती हैं।

अपने स्वास्थ्य के प्रति बहुत कम ही जागरूक होती हैं। उन्हें पता नहीं होता कि कब कौन से हेल्थ टेस्ट करवाने चाहिए। हम यहां उम्र के मुताबिक कराये जाने वाले टेस्ट्स के बारे में बता रहे हैं, ताकि आप रहें सतर्क।

घर परिवार की जरूरतों को पूरा करने की जद्दोजहद में फंसी महिलाएं अपने स्वास्थ्य के प्रति कम ही सचेत रहती हैं, जिसकी वजह से बीमारियों की चपेट में आसानी से आ जाती हैं। हर महिला को अपनी सेहत के प्रति जागरूक होना चाहिए और साल में एक बार जरूरी परीक्षण अवश्य करा लेने चाहिए ताकि बीमारियों का शुरू में ही पता चल सके और इलाज करके गंभीर परिणामों से बचा जा सके।

सवाल उठता है कि किस उम्र से महिला को कौन-कौन से टेस्ट और कब-कब कराने चाहिए। यह बता रही हैं स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ.पुष्पा जायसवाल-

इस आयुवर्ग की महिलाओं को तीन चीजों के टेस्ट कराने की जरूरी होता है-

एनीमिया

आजकल बड़ी संख्या में महिलाएं एनीमिया की शिकार हो रही हैं। ब्लड में हीमोग्लोबिन की कमी होने से एनीमिया की शिकायत होती है। यह शरीर में आयरन की कमी से होता है। ऐसे में महिलाओं का वजन तेजी से घटने लगता है। आंखों के नीचे काले घेेरे, रोग प्रतिरोधक क्षमता का घटना और हथेलियों, पैरों के तलुवे और नाखूनों की रंगत सफेद होना इसके मुख्य लक्षण हैं।

इसके लिए कंम्पलीट ब्लड काउंट टेस्ट (सीबीटी) और आयरन प्रोफाइल जरूर करवाएं। अगर जांच में हीमोग्लोबिन का स्तर 12 ग्राम से कम हो तो डॉक्टर की सलाह से आयरन और मल्टी विटामिन गोलियां खाएं। खान-पान की आदतें सही करें।

ब्रेस्ट कैंसर

कैंसर की शिकार इसलिए होती हैं क्योंकि वे अपने स्वास्थ्य को गंभीरता से नहीं लेती हैं और हल्की गांठ को सामान्य मानकर नजरंदाज करती रहती हैं। डॉ. रितु कहती हैं कि चालीस साल से पहले मैमोग्राफी नहीं करानी चाहिए क्योंकि इस उम्र तक ब्रेस्ट हैल्दी रहते हैं और मैमोग्राफी द्वारा उनको नुकसान पहुंच सकता है। अत: इस उम्र में अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए। जिन महिलाओं के परिवार में मां, मौसी, नानी आदि को ब्रेस्ट कैंसर रहा हो उनका चिकित्सक जेनेटिक स्क्रीनिंग और ब्लड टेस्ट करवाते हैं। स्क्रीनिंग द्वारा ही पता चल जाता है कि उक्त महिला हाईरिस्क पर है या लो रिस्क पर। उसी आधार पर जल्दी-जल्दी या कुछ अंतराल बाद स्क्रीनिंग कराई जाती है।

पैप स्मीयर टेस्ट

इस टेस्ट के जरिये गर्भाशय के मुख पर असामान्य कोशिकाओं का पता लगाया जाता है ताकि पता चल सके कि कहीं सॢवक्स का कैंसर तो नहीं है। इस टेस्ट में महिला चिकित्सक यूटरस की आउटर लेयर पर जमा हुए सेल्स को निकालकर उनकी जांच करवाती हैं।

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