नई उड़द बाजार में, फिर भी महंगी

Update: 2016-06-17 05:30 GMT
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लखनऊ। दालों की बढ़ती कीमत थमने का नाम नहीं ले रही हैं, बाजार में नई उड़द आने के बाद भी कीमत पर नियंत्रण नहीं हो रहा है। लखनऊ की खुदरा बाजार में उड़द और अरहर की दाल 130 से 150 रुपए और चना दाल 90 से 100 रुपए किलो तक पहुंच गई है। कारोबारियों की माने तो सूखे के कारण खरीफ की दालों का उत्पादन पर असर पड़ने से उपभोक्ताओं को राहत की उम्मीद कम है।

प्रदेश में खरीफ की उड़द बाजार में आ चुकी है, लेकिन इस बार प्रदेश में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष करीब 70 फीसद उत्पादन हुआ है। लखनऊ दाल एवं राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण अग्रवाल ने बताया, “अरहर की दाल पहले से कमी थी। वहीं इस बार खरीफ की उड़द की फसल सूखे से बर्बाद हो गई। लिहाजा अरहर के साथ उड़द की दाल का भी आयात करना पड़ रहा है। देश में वर्मा से उड़द और अरहर का आयात किया जा रहा है। इसके कारण महंगी बिक रही है।” 

मानसून से बंधी उम्मीद

सूखे से जूझ रहे देश को इस बार बेहतर मानसून होने से उम्मीद बधी है। मौसम और कृषि वैज्ञानिक इस बार मानसूनी बारिश अच्छी होने की उम्मीद जता रहे है। कृषि विशेषज्ञ डॉ केएन सिंह की माने तो मानसूनी बारिश होने से जायद की फसल अच्छी होगी।

जागी केंद्र सरकार

दालों की बढ़ती कीमत पर नियंत्रण पाने के लिए केंद्र सरकार दालों का बफर स्टॉक बढ़ाने जा रही है। सरकार इसकी सीमा 1.5 टन से बढ़ाकर 8 लाख टन करने निर्णय लिया है। इसके अलावा दाल उत्पादक राज्यों में जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए भी अभियान चलाने वाली है।

दालों की मांग है 226 लाख

देश में दाल की मांग 226 लाख टन है। इस बार दालों को उत्पादन 171 लाख टन हुआ था। मौजूदा समय 55 लाख टन की कमी है। वहीं अगले वर्ष यह मांग बढ़कर 236 लाख टन रहने का अनुमान है।

फिलहाल केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम बिलास पासवान कीमत पर नियंत्रण पाने के लिए राज्यों से 66 रुपए किलो की दर से अरहर और 68 रुपए किलो की दर से उड़द की दाल लेकर बिक्री करने को कह चुकी है। 

रिपोर्टर - जसवंत सोनकर

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