पिछले 158 वर्षों में परवान नहीं चढ़ सकी नदी जोड़ो परियोजना

Update: 2016-05-29 05:30 GMT
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नई दिल्ली (भाषा)। नदियों को जोड़ने की परियोजना कोई नई नहीं है।सबसे पहले यह विचार 158 वर्षों पहले एक अंग्रेज आर्थर थामस कार्टन ने रखा था, समय गुजारने के साथ इन डेढ़ सौ वर्षो में भी नदियों को आपस में जोड़ने की अवधारणा सिरे नहीं चढ़ सकी। 

अटल बिहारी वाजपेयी के समय भी नदी जोडो परियोजना पर जोरशोर से पहल की गई लेकिन यह तब भी अमल में नहीं आ सकी। नरेन्द्र मोदी सरकार के दौरान भी इस दिशा में प्रयास हुए हैं लेकिन इस दिशा में ठोस प्रगति नहीं दिखाई दे रही है।

जल संसाधन एवं नदी विकास मंत्री उमा भारती का हालांकि कहना है कि नदियों को जोड़ने की योजना पर काम हो रहा है। केन बेतवा नदी जोडो परियोजना पर कार्य पर्यावरण मंजूरी के स्तर पर है। साथ ही अन्य नदियों को जोडने की 30 परियोजनाओं पर विचार विमर्श चल रहा है क्योंकि हम राज्यों के साथ आमसहमति के आधार पर काम को आगे बढ़ाने के पक्षकार हैं।  

 इनोवेटिव इंडिया फाउंडेशन के सुधीर जैन ने बताया कि 1858 में सर आर्थर थामस कार्टन ने विदेशी माल ढुलाई का खर्च कम करने के लिये दक्षिण भारत की नदियों को जोडने का सुझव दिया था। इसके बाद, सन 1972 में डॉ. केएल राव ने गंगा और कावेरी नदी को जोडने का सुझाव दिया। लगभग 30 वर्षों तक प्रस्ताव विचार एवं परीक्षण के दौर से गुजरा और अंतत: आर्थिक तथा तकनीकी आधार पर अनुपयुक्त होने के कारण खारिज हुआ।

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