26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बारे में दिल्ली पुलिस की FIR में क्या लिखा है?

गणतंत्र दिवस के दिन संयुक्त किसान मोर्चा की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा और अराजकता पर दिल्ली पुलिस ने अलग-अलग थानों में कुल 21 एफआईआर दर्ज की हैं।

Update: 2021-01-28 10:51 GMT

- दया सागर, अरविंद शुक्ला

26 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा और अराजकता पर दिल्ली पुलिस ने कड़ा रूख अपनाया है। दिल्ली के अलग-अलग थानों में इस मामले कुल 21 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिसमें किसान नेताओं और आंदोलनकारियों पर हिंसा, आपराधिक षड्यंत्र, घातक हथियारों का प्रयोग, हत्या के प्रयास, सरकारी काम में बाधा, सरकारी संपत्ति को नुकसान, पुलिस से मारपीट, महिला पुलिस से मारपीट और छेड़छाड़, संरक्षित स्मारकों को नुकसान, राष्ट्र ध्वज का अपमान और महामारी एक्ट के तहत कुल 13 धाराओं में मामले दर्ज हुए हैं।

दिल्ली पुलिस ने इन सभी मामलों में 37 किसान नेताओं पर भी केस दर्ज किए हैं, जिसमें दर्शन पाल सिंह, राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, गुरूनाम सिंह चढ़ूनी, वीएम सिंह, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, बूटा सिंह और जोगिंदर सिंह का नाम प्रमुख है। इसके अलावा दीप सिद्धू और किसान मज़दूर संघर्ष समिति का नाम भी इन एफआईआर में जोड़ा गया है, जिन पर आरोप है कि इन्होंने किसानों को उकसाकर उन्हें लाल किले की तरफ मोड़ा और फिर लाल किले पर धार्मिक झंडा फहराया। इन लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने लुकआउट नोटिस जारी किया है और उनके पासपोर्ट ज़ब्त करने के आदेश दिए हैं।

दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने 27 जनवरी को प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर इस पूरे मामले की जानकारी दी और बताया कि इस हिंसा में कुल 394 पुलिसवाले घायल हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हिंसा करने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है और उनसे पूछताछ की जा रही है। बताया जा रहा है कि अब तक 200 लोगों को हिरासत में लिया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।

हालांकि अभी तक किसी बड़े किसान नेता या आंदोलनकारी की गिरफ्तारी नहीं हुई है लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख दर्शन पाल सिंह और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को एक नोटिस जारी कर यह पूछा गया है कि किसान मोर्चा ने दिल्ली पुलिस से हुए समझौते से वादा खिलाफी क्यों की और तयशुदा रूट को क्यों तोड़ा? इन नेताओं को तीन दिन के भीतर दिल्ली पुलिस को जवाब देना है।

इस संबंध में दायर कुछ एफआईआर के मूल दस्तावेज़ गांव कनेक्शन को मिले है, जिसमें सिलसिलेवार ढंग से हुई घटनाओं और पुलिस के आरोपों का ब्यौरा लिखा हुआ है। एक एफआईआर बुराड़ी पुलिस चौकी में तैनात मुख्य कॉन्स्टेबल अनिल की तहरीर पर दर्ज हुई है, जिसमें अनिल ने कहा है कि वह अपनी टीम के सीनियर और जूनियर साथियों के साथ बुराड़ी फ्लाइओवर पर ड्यूटी दे रहे थे। दोपहर 12 बजे प्रदर्शनकारियों का एक जत्था मुकरबा चौक की तरफ से आने लगा। प्रदर्शनकारियों को पुलिस ने लाउडस्पीकर पर आवाज़ देकर रोकने की भी कोशिश की लेकिन वे नहीं रूके।

अनिल ने आगे बताया है कि इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने 30 के लगभग लगे दिल्ली पुलिस के बैरीकेड्स को तोड़ दिया और पुलिस से धक्का-मुक्की और मार-पीट भी की। इस दौरान उनकी वर्दी भी फट गई और कई साथी पुलिस वालों को भी चोटें आईं। इसके बाद प्रदर्शनकारी सरकारी संपत्ति, दिल्ली पुलिस की गाड़ियों और डीटीसी के बसों को नुकसान पहुँचाते हुए आगे बढ़ गए। 

कुछ ऐसी ही एफआईआर आईपी स्टेट थाने में दर्ज हुई है, जिसे थाने में ही तैनात असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर सिकंदर सिंह ने दर्ज कराया है। उन्होंने लिखा है कि उनके थाना क्षेत्र के अंदर सिर्फ गणतंत्र दिवस परेड की इजाज़त थी, जबकि किसानों को अलग रूट पर परेड की इजाज़त दी गई थी, जो कि उनके थाना क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता है। लेकिन दोपहर सवा बारह बजे के करीब करीब 500 से 600 ट्रैक्टर और 9,000 से 10,000 लोग बहादुर शाह जफ़र मार्ग होते हुए आईटीओ की तरफ बढ़ने लगे। इस दौरान पुलिस ने लाउडस्पीकर पर आवाज़ लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन वे नहीं रूके और बैरीकेड्स तोड़कर आगे बढ़ने लगे।

इस दौरान एक ट्रैक्टर से गिरकर एक आंदोलनकारी की मौत भी हो गई, क्योंकि वह तेज़ स्पीड में अपने ट्रैक्टर से बैरीकेड्स को तोड़ रहा था। सिकंदर सिंह ने लिखा है कि आंदोलनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोल छोड़े और फिर वाटर कैनन का भी प्रयोग किया, लेकिन संख्या अधिक होने के कारण वे उन्हें रोक नहीं पाएं और आंदोलनकारियों ने उनके लगभग दो दर्जन साथियों को चोट पहुंचाई, जिसमें से कुछ अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं।

ठीक इसी तरह समयपुर बादली थाने में दर्ज हुई एफआईआर में गाजीपुर बॉर्डर (यूपी गेट) से आने वाले आंदोलनकारियों का मामला दर्ज है। इस एफआईआर में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत का भी नाम आया है। फिलहाल दिल्ली पुलिस ने जिन कुल 37 किसान नेताओं पर एफआईआर दर्ज की है, उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया है। पुलिस इन लोगों के पासपोर्ट भी ज़ब्त करने की तैयारी में है। गाजीपुर बॉर्डर पर भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात हो गए हैं, जहां पर राकेश टिकैत आंदोलन कर रहे हैं।


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