एसएमसी सदस्यों को बताई जाएंगी जिम्मेदारियां

"हमने अभी चित्रकूट के 60 विद्यालयों में असेसमेंट किया है। बाकी विद्यालयों में भी यह प्रक्रिया चल रही है। अक्टूबर तक सभी प्राथमिक विद्यालयों में असेसमेंट समाप्त हो जाएगा। जिसमें विद्यालयों की आधारिक संरचनाओं के साथ शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी बारीकी से ध्यान दिया जाएगा।"

Update: 2018-10-30 03:45 GMT

चित्रकूट के जिलाधिकारी विशाख जी अय्यर से गांव कनेक्शन संवाददाता ने खास बातचीत की।

सवाल: क्या चित्रकूट के विद्यालयों में प्रबंधन समिति के पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है?

जवाब: प्रबंधन समिति के चयन की प्रक्रिया सभी विद्यालयों में लगभग पूरी हो चुकी है और शेष बचे हुए विद्यालयों में जल्द पूरी हो जाएगी। जैसे ही समिति सदस्य चुन लिए जाएंगे, उनमें से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष चुना जाएगा और फिर उनको जिम्मेदारियों और ड्यूटी (कर्तव्यों) के बारे में बताया जाएगा।

सवाल: बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए आपकी क्या योजनाएं हैं?

जवाब: विद्यालयों की आधारिक संरचना और साथ ही गुणवत्ता के लिए हम लगातार कार्यरत हैं। हमने अभी चित्रकूट के 60 विद्यालयों में असेसमेंट किया है। बाकी विद्यालयों में भी यह प्रक्रिया चल रही है। अक्टूबर तक सभी प्राथमिक विद्यालयों में असेसमेंट समाप्त हो जाएगा। जिसमें विद्यालयों की आधारिक संरचनाओं के साथ शैक्षणिक गुणवत्ता पर भी बारीकी से ध्यान दिया जाएगा।

सवाल: नयी प्रबंधन समिति से क्या-क्या अपेक्षाएं होंगी?

जवाब: हम विभिन्न गतिवधियों में जैसे मीना मंच और अन्य कमेटी के संघटन के लिए, उनकी भागीदारी की अपेक्षा करेंगे। हम कोशिश करेंगे की विद्यालय में होने वाली एक्टिविटी में हम चयनित सदस्यों को शामिल कर पूरी प्रक्रिया बताएं। इससे वे सम्मानित महसूस करें और शिक्षा व्यवस्था में अधिकतम सहयोग करें। ज्यादातर अभिभावक कम पढ़े-लिखे होते हैं। ऐसे में विद्यालय की प्रबंधन समिति में शामिल होकर वे ट्रेनिंग लेंगे और पढ़ाई लिखाई का काम समझेंगे। 

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सवाल- गाँव के अल्प शिक्षित या अशिक्षित लोगों को प्रबंधन समिति में शामिल करने से क्या आपको लगता है कि कोई बदलाव लाएगा?

जवाब- ध्येय तो यही है कि बदलाव आये और सकारात्मक बदलाव आए। अशिक्षित अभिभावक जब अपने बच्चों को स्कूल में जाकर पढता हुआ देखेंगे तो हो सकता है उनमें भी शिक्षा की ललक आएगी। वो बेशक चाहेंगे की उनका बच्चा पढ़े और समाज में उनका नाम रौशन करे। कई विद्यालयों के बच्चे अपने अनपढ अभिभावकों को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी भी निभा रहे हैं।

सवाल- विद्यालयों में शिक्षकों और प्रबंधन समिति का आपस में कैसा तालमेल रहता है?

जवाब- कई बार नए शिक्षकों को सबसे ज़्यादा सहयोग समिति सदस्यों से ही मिलता है। समिति सदस्य उसी गाँव के लोकल नागरिक होते हैं और बच्चों व उनके अभिभावकों को पहले से जानते हैं तो इससे नए छात्रों की नामांकन में भी आसानी होती है। यह सब मिल कर विद्यालयों को बेहतर तरीके से समझ कर उसमे सक्रियता से कार्यरत होते हैं। SMC सदस्य जब तक यह नहीं समझेंगे की वह विद्यालय के महत्त्वपूर्ण अंग हैं वह गुणवक्ता ला ही नहीं पाएंगे। 

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