"गाँव का हर बच्चा ख़ूब पढ़े, अफ़सर बने और अच्छी नौकरी करे,"
महोबा जिले के बरा गाँव में दसवीं फेल युवा प्रधान की पहल, हर बच्चे को पढ़ाई के लिए कर रहे प्रेरित
महोबा (उत्तर प्रदेश)। भगवान दास (30 वर्ष) महोबा जिले के बरा गाँव में पिछले चार साल से ग्राम प्रधान हैं। दसवीं फेल होने की वजह से भगवान दास को अक्सर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वह नहीं चाहते कि आगे की पीढ़ी भी वही टीस महसूस करे जिसका वह सामना कर रहे हैं। इसलिए गाँव के लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के लिए कहते हैं।
भगवान दास कहते हैं, "लंबी छुट्टी के बाद जब विद्यालय खुलता है तो हम घर-घर जाकर बच्चों को समय पर स्कूल भेजने के लिए याद दिलाते हूं। मेरी यही कोशिश है कि गाँव का कोई बच्चा पढ़ाई से वंचित न रह जाए।"
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वहीं प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अर्चना गुप्ता कहती हैं, "हर गाँव में ऐसा ही युवा प्रधान होना चाहिए, हमने जब भी प्रधान जी से किसी मदद की आपेक्षा की है, वह तुरंत हमसे आकर मिले और समस्याओं का समाधान भी किया।"
एक फोन पर होते हैं उपस्थित
हेड प्रधानाध्यापिका के एक फोन पर ग्राम प्रधान विद्यालय पहुंच जाते हैं। शिक्षा मित्र आशा बताती हैं, "प्रधान जी की वजह से हमारे विद्यालय के एसएमसी सदस्य भी लगातार विद्यालय आते रहते हैं। यह लोग अक्सर मिड-डे-मील भी चेक करने पहुंच जाते हैं। इनके सहयोग से गाँव के कई अभिभावकों ने बालिकाओं का एडमिशन भी कराया है।"
गाँव के लोग शिक्षा के प्रति हो रहे सजग
भगवान दास अभिभावकों से मिलकर बताते हैं कि कैसे चौथी में पढ़ने वाले उनके बच्चे विकास और अमित नियमित रूप से विद्यालय जाते हैं। उनकी बातों से गाँव वाले भी प्रेरित होते हैं। ये लोग अब अपने बच्चों को बिना कारण छुट्टी नहीं लेने देते। प्रधान की सजगता की वजह से विद्यालयों में अब अधिकतम उपस्थिति होती है और ड्रॉप आउट रेट्स भी कम हुए हैं। एसएमसी सदस्य भी नियमित रूप से विद्यालय पहुंचते हैं और गांव वासियों को जागरूक करते हैं।
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विद्यालय में पढ़ने वाले अभिषेक की माँ सुनीता बताती हैं, "प्रधान जी घर आकर बच्चों को पढ़ने के लिए बुलाते हैं। इसमें तो हमारा ही भला है कि हमारे बच्चे पढ़ जाएं। अब अगर हमारा बेटा किसी दिन बोलता है की उसे स्कूल नहीं जाना तो हम उसे समझाकर स्कूल जरूर भेजते हैं।"
छात्राएं ज्यादा
प्राथमिक विद्यालय, बरा में कुल छात्र २९४ हैं जिनमे 165 लड़कियां और 129 लड़के सम्मिलित हैं.
जिले में ग्रामीण क्षेत्र में कुल 635 प्राथमिक विद्यालय और ३६ पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं, वहीँ नगरीय क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालय 335 और 16 पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं.
"हम पढ़े-लिखे नहीं इसलिए जानते हैं अशिक्षित होना कितना तकलीफदेह है। कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मेरी यही कोशिश है कि गाँव का हर बच्चा ख़ूब पढ़ें और अफ़सर बने, अच्छी नौकरी करे," भगवान दास, गाँव प्रधान कहते हैं.
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