उत्तर प्रदेश: बकाया राशि पर ब्याज की मांग को लेकर गन्ना किसानों का प्रदर्शन

Update: 2019-07-15 08:45 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के बकाया राशि पर ब्याज देने की मांग लंबे समय से की जा रही है। इसी मांग को लेकर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के बैनर तले प्रदेश के गन्ना किसानों ने जिला मुख्यालयों और तहसीलों में विरोध प्रदर्शन किया। संगठन का आरोप है कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी चीनी मिलें ब्याज का भुगतान नहीं कर रही हैं।

सोमवार को राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा, "अदालती आदेश के बावजूद गन्ना किसानों को पिछले कई वर्षों से उनके बकाया राशि पर ब्याज नहीं दिया जा रहा है। किसानों को कम से कम 7 फीसदी ब्याज देने की मांग को लेकर लखनऊ में प्रदेश मुख्यालय सहित प्रदेशभर में जिला और तहसील स्तर पर किसानों ने धरना दिया।"

क्या है मामला

प्रदेश के गन्ना मंत्री को भेजे गये पत्र में वीएम सिंह ने लिखा है कि हाईकार्ट ने इस पांच फरवरी 2019 को गन्ना आयुक्त संजय भूसरेड्डी को तलब किया कि वे ब्याज भुगतान के उनके आदेश का तत्काल पालन करें या पांच अप्रैल को अवमानना मामले के अदालत की कड़ी कार्रवाई का सामना करने के लिए पेश हो जाएं। बावजूद इसके अभी तक किसानों को ब्याज का भुगतान नहीं किया गया है।


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इस पत्र में वीएम सिंह ने सह भी लिखा है कि वे पिछले 25 वर्षों से यह केस लड़ रहे हैं। सबसे पहले अगौती चीनी मिल के किसानों की ओर से मामला दायर किया गया थ। इसमें वर्ष 1995-96 और 1996-97 के दौरान गन्ने के भुगतान में देरी का मुद्दा उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक मई 1997 को ब्याज समेत बकाए के भुगतान का आदेश दिया। इसके बाद बकाए का भुगतान तो कर दिया गया लेकिन ब्याज नहीं दिया गया। इस पर जब अवमानना का मुकदमा हुआ तो मिल मालिक को गिरफ्तार किया गया। 12 तक सुनवाई इसके बाद नवंबर 2009 में केस तब समाप्त जब मिल मालिक ने किसानों को 2 करोड़ 18 लाख रुपए का ब्याज का भुगतान किया।


सिंह आगे कहते हैं, "वर्ष 2011-12, 2012-13, 2013-14 और 2014-15 के दौरान भुगतान में हो रही देरी को लेकर दो याचिकाएं हाईकोर्ट दाखिल की गई थीं। इन पर अदालत ने ब्याज देने का आदेश दिया। लेकिन ब्याज नहीं दिया गया।"

"15 फीसदी ब्याज की मांग की थी जबकि सरकार ने सात फीसदी देने का फैसला किया है। इस पर अदालत में आपत्ति जताई गई है। लेकिन सात फीसदी ब्याज देने के सरकार के फैसले को भी अभी तक लागू नहीं किया गया है। सरकार इस फैसले को तत्काल लागू करवाए। तीन सीजनों में भुगतान में देरी के लिए इतना ब्याज देने से ही किसानों को प्रति एकड़ 8000-10000 रुपए ब्याज मिल सकता है। इसके अलावा वर्ष 2011-12 और 2015-16 के लिए 15 फीसदी ब्याज दिलाया जाए।" वीएम सिंह आगे कहते हैं।

पिछले दिनों राज्यसभा में भी उठा था मामला

पिछले दिनों राज्यसभा में सपा के सुरेंद्र सिंह नागर ने प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाये का ब्याज सहित भुगतान करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि 2018-19 में किसानों का चीनी मिलों पर 10,000 करोड़ रुपया बकाया है और मूल रकम पर इसका ब्याज करीब 2,000 करोड़ रुपए होता है। यह राशि किसानों को तत्काल दी जानी चाहिए।

नागर ने कहा "एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुना करने की बात करती है। लेकिन गन्ना किसानों का बकाया ही अब तक नहीं दिया गया है तो आय दोगुना होना बहुत ही मुश्किल है।" उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 42 चीनी मिलों पर किसानों का 5,000 करोड़ रुपए बकाया है।

सपा सदस्य ने मांग की कि राज्य सरकार गन्ना किसानों का बकाया भुगतान, ब्याज के साथ शीघ्र करे। उन्होंने कहा "यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसानों का भुगतान, निर्धारित 14 दिनों की अवधि के अंदर किया जाए।" विभन्नि दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया।

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