पीसीवी का टीका दिलाएगा निमोनिया से निजात

Update: 2017-06-09 15:36 GMT
अभियान के बारे में जानकारी देते यूनिसेफ के अधिकारी।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने न्यूमोकोकल कॉन्ज्यूगेट वैक्सीन (पीसीवी) अभियान की शुरुआत की है। प्रदेश के छह जनपदों बलरामपुर, बहराइच, खीरी, सीतापुर, सिद्धार्थनगर और श्रावस्ती में ये टीकाकरण शुरू होगा। निमोनिया रोकने में प्रभावित यह टीका सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ़्त उपलब्ध है।

विश्व में निमोनिया से हर साल 10 लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है। भारत में यह आंकड़ा विश्व की तुलना में और भी खराब है। वर्ष 2010 की विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल भारत में 3.5 लाख बच्चे निमोकोकल निमोनिया से मरते हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में निमोनिया से 71 फीसदी मौतें होती हैं।

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एनएचएम के मिशन डायरेक्टर आलोक कुमार ने बताया, “वर्ष 2010 में पीसीवी को अमेरिका ने लॉन्च किया और 2017 में इसे भारत ने अपनाया है। टीकाकरण के अन्य कार्यक्रम लगातार चलते रहेंगे, जिसके साथ इसको भी शुरू किया गया है। आने वाले वक्त में न्यूमोकोकल निमोनिया में भारी गिरावट आएगी।”

रूथ लीआनो चीफ फील्ड ऑफिसर उत्तर प्रदेश ने कहा, “अगर विश्व अपने बच्चों को स्वस्थ रूप से फलता-फूलता देखना चाहता है, तो भारत को इसमें अपनी अहम भूमिका निभानी पड़ेगी और भारत तभी सफल होगा, जब उत्तर प्रदेश इसमें अपना भरपूर योगदान देगा।”परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ. नीना गुप्ता कहती हैं, “इस टीके को लगवाकर पांच साल से कम उम्र के बच्चों वाले परिवार निमोनिया से होने वाले समस्याओं से बच सकते हैं।”

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कब-कब कराएं टीकाकरण

टीकाकरण विशेषज्ञ डॉ. भृगु कपूरिया बताते हैं, “पीसीवी की पहली डोज़ छठवें हफ़्ते में, दूसरी 14वें हफ़्ते में जबकि तीसरी डोज़ 9वें महीने में बच्चों को लगवाएं। वैक्सीन लगाने के बाद बच्चे को हल्का दर्द, सूजन या बुखार की संभावना हो सकती है, लेकिन घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है।” आगे डॉ. भृगु बताते हैं, “देश में 20 फीसदी बच्चों की मृत्यु निमोनिया से होती है। इसमें भी करीब 30 फीसदी मौतों का कारण न्यूमोकोकल निमोनिया होता है।

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