टीचर्स डायरी: 'सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों की धारणा बदली, बढ़ने लगी बच्चों की संख्या'

विपिन उपाध्याय, उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के प्राथमिक विद्यालय अमखेड़ा में शिक्षक हैं, उनके प्रयासों विद्यालय की तस्वीर बदल गई है, जिसके लिए उन्हें राज्य अध्यापक पुरस्कार से 2021 से भी सम्मानित किया गया है, टीचर्स डायरी के पढ़िए कैसा रहा है उनका एक टीचर के रूप में अनुभव

Update: 2023-02-10 07:57 GMT

मेरी नियुक्ति 2013 में कन्या प्राथमिक विद्यालय अमखेड़ा में हुई। जब विद्यालय पहुंचे तो सतत प्रयासों, जन सहयोग से एवं व्यक्तिगत प्रयासों से कन्या प्राथमिक विद्यालय अमखेड़ा को हम मॉडल विद्यालय बनाने में कामयाब रहे। लोगों में सरकारी विद्यालयों के प्रति बनी धारणा से लड़ाई लड़ना काफ़ी कठिन रहा लेकिन मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि यह लड़ाई हमने अच्छी तरह जीती और आज भी मेंटेन कर रखी है। तत्कालीन प्रधानाध्यापक श्री वीर सिंह जी का बहुत सहयोग मिला।

जब 2013 में विद्यालय पहुंचा तो छात्रांकन की बहुत समस्या देखनी पड़ी। चूंकि विद्यालय में सिर्फ छात्राएं थीं और गाँव में छात्राओं के शिक्षण पर अभिभावक उतने गंभीर नहीं दिखते थे। तो इस पर मैंने और वीर सिंह जी ने गंभीर विमर्श किया और यह तय किया कि सर्वप्रथम अभिभावकों को लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए जागरूक करना पड़ेगा। यह संघर्ष का पहला पड़ाव था। विभिन्न कार्यक्रमों, रैलियों से और सहयोग से हम कामयाब हुए एवं छात्रांकन आशानुरूप बढ़ने लगा।

इसके बाद दूसरी बड़ी समस्या थी विद्यालय में बच्चों को स्थाई करना जिससे वह प्रतिदिन विद्यालय आने को लालायित रहें और उनका मन लगे विद्यालय में।

इसके लिए विभिन्न प्रयास किए गए, विद्यालय का भौतिक वातावरण किसी अच्छे प्राइवेट विद्यालय से उच्च करने का प्रयास किया जाने लगा। विद्यालय में खेल का मैदान, प्रोजेक्टर, लाइब्रेरी, खेल सामग्री, आकर्षक कक्षाएं आदि की व्यवस्था धीरे-धीरे की जाने लगी। साथ ही निरक्षर ग्रामीणों को भी समय समय पर जागरुक करना और शिक्षा सामग्री उपलब्ध कराने का कार्य किया जाने लगा

इसमें ग्राम प्रधान का सहयोग और व्यक्तिगत खर्चे से विद्यालय को हाई टेक बनाया गया। जिसके परिणाम स्वरूप छात्राओं के सेलेक्सन विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी होने लगे। इस प्रकार छात्राओं के साथ हमने भी सफलताओं की सीढ़ी चढ़ी।

सुनने में आता था कि शिक्षकों की बहुत समस्याएं रहती हैं, जिससे वह अच्छी शिक्षा व्यवस्था बनाने में अक्षम हो जाते हैं। इसलिए शिक्षकों की समस्याओं के निस्तारण वर्ष 2017 में ब्लॉक स्तर पर शिक्षक संघ का चुनाव लड़ा और शिक्षकों के स्नेह से विजयी हुआ। और शिक्षकों की व्यक्तिगत एवं शिक्षण में आने वाली समस्याओं को दूर करने का मौका ब्लॉक स्तर पर मिला जिसे बखूबी निभाया जा रहा है।

तत्कालीन कन्या प्राथमिक विद्यालय अमखेड़ा में मेरा उद्देश्य लगभग पूर्ण हो चुका था। इसलिए वर्ष 2019 में एक मौका मिला विद्यालय ट्रांसफर का तो उसी गाँव का दूसरा विद्यालय प्राथमिक विद्यालय अमखेड़ा में स्थानांतरण ले लिया। और शिक्षा की ऐसी ही मुहिम प्राथमिक विद्यालय अमखेड़ा में चलाई गई। जिसमें प्रधानाध्यापक बालकृष्ण जी, साथी शिक्षक श्याम जी का सहयोग मिला।

अब ग्राम अमखेड़ा के दोनों विद्यालय राज्य स्तर के अच्छे विद्यालयों में अपनी जगह बनाए हुए हैं और इसी को देखते हुए मुझको, शिक्षकों को राज्य स्तर मिलने वाले सबसे बडे़ अवार्ड राज्य अध्यापक पुरस्कार से 2021 में सम्मानित किया गया।

मेरा उद्देश्य यही है कि शिक्षा, छात्रों और शिक्षकों का विकास होता रहे। इसी को लेकर आगे बढ़ रहा हूं। विद्यालय समय में छात्रों और शिक्षा के प्रति एवं उसके बाद शिक्षकों की सेवा में पूर्ण समर्पित रहने का प्रयास करता हूं।

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