यूपी के मकान मालिकों और किराएदारों के लिए बड़ी खबर- किराए बढ़ाने की सीमा तय, घर खाली कराने का भी बना नियम

उत्तर प्रदेश सरकार ने किरायेदारी विनियमन अध्यादेश-2021 को फिर से मंजूरी दे दे दी है। जिसके तहत रेंट एग्रीमेंट (किरायानामा) अनिवार्य हो गया है तो मकान मालिक साल में 5 फीसदी से ज्यादा रेंट नहीं बढ़ा सकेंगे। पढ़िए पूरी जानकारी

Update: 2021-04-06 07:45 GMT
प्रदेश सरकार का मत है कि इससे किरायेदार और मकान मालिक के बीच होने वाले विवाद कम होंगे।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मकान मालिक और किरायेदार के बीच अक्सर होने वाले विवाद को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश शहरी भवन अधिनियम 1972 की जगह उत्तर प्रदेश नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश-2021 को लागू कर दिया है। इसे पूरे प्रदेश में 11 जनवरी 2021 से ही लागू कर दिया था लेकिन बाद में इसे अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया गया था।

एक विज्ञप्ति के माध्यम से प्रदेश सरकार ने जानकारी दी कि उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन (द्वितीय) अध्यादेश, 2021 को फिर से लागू कर दिया गया है। सरकार का मत है कि इससे मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद कम होंगे और पुराने मामलों को जल्दी सुलझाया जा सकेगा।

किसी विवाद की स्थिति में विवाद के निपटारे के लिए रेन्ट अथॉरिटी और रेन्ट ट्रिब्युनल का प्राविधान इस अध्यादेश में किया गया है। रेन्ट अथॉरिटी एवं रेन्ट ट्रिब्युनल सामान्यतः 60 दिनों में वादों का निस्तारण करेंगे।

इस अध्यादेश का मकसद मनमाने किराये को बढ़ाने पर लगाम लगाना तो है ही इसके अलावा मकान मालिक को यह अधिकार भी दिया गया है कि वह निश्चित समय सीमा में किराया न मिले तो किरायेदार को हटा भी सकता है। वहीं, अब प्रदेश में किराए का मकान लेने के लिए अनुबंध करना अनिवार्य होगा।

उत्तर प्रदेश नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश-2021 ने 48 वर्ष पुराने उत्तर प्रदेश शहरी भवन (किराये पर देने, किराया तथा बेदखली विनियमन) अधिनियम-1972 की जगह लिया है। अध्यादेश के तहत लिखित करार (अनुबंध) के बिना अब भवन को किराए पर नहीं दिया जा सकेगा। करार के लिए भवन स्वामी और किरायेदार को अपने बारे में जानकारी देने के साथ ही भवन की स्थिति की भी जानकारी देनी होगी। एग्रीमेंट के 2 महीने के भीतर मकान मालिक और किराएदार को इसकी जानकारी ट्रिब्युनल को देनी होगी।

कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आवासीय भवनों के किराये में पांच फीसदी और गैर आवासीय भवनों के किराये में प्रतिवर्ष सात फीसदी ही किराया बढ़ाया जा सकेगा। किराया वृद्धि की गणना चक्रवृद्धि आधार पर होगी। अगर किराएदार दो माह किराया नहीं दे पाएगा तो मकान मालिक  उसे हटा सकेगा। एडवांस के मामले में आवासीय परिसर के लिए सिक्योरिटी डिपाजिट दो महीने से अधिक नहीं होगा और गैर आवासीय परिसर के लिए छह माह का एडवांस लिया जा सकेगा।

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