‘डेढ़ सौ वर्षों से बदल रही है बुंदेलखंड की मिट्टी’

Update: 2018-02-09 17:45 GMT
बुंदेलखंड की मिट्टी।

बुंदेलखंड की उत्पादन और मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को लेकर बांदा कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय में मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन में विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ. देव कुमार से बात की गाँव कनेक्शन के शेखर उपाध्याय ने।

प्रश्न- बुंदेलखंड में खेती की हालत कैसी है और अगर सिंचाई को छोड़ दें तो इनके और क्या कारण हैं?

उत्तर- बुंदेलखंड की मिट्टी में निरंतर बदलाव पिछले 100-150 वर्षों से होता आ रहा है और इसके कई कारण हैं। इसका पहला कारण है अधिक तापमान और मिट्टी में लंबे समय से सूखेपन की वजह से उसके तत्व और संरचना में काफी बदलाव आया है, जिसकी वजह से उसकी उपज क्षमता में काफी गिरावट आयी है। दूसरी वजह है मृदा अपरदन, ऊपरी सतह में नमी न होने के कारण वह सूखकर भुरभुरी हो गई है और नदी के तट पर नदियों द्वारा मिट्टी का कटान ने नदियों के आस-पास की जमीन को भी उपजाऊ नहीं छोड़ा है। तीसरी वजह है बुंदेलखंड में जमीन का समतल न होना।

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प्रश्न- क्या किसानों के खेती के तौर तरीकों ने भी यहां की मिट्टी की उर्वरता घटाई है?

उत्तर- हां, किसानो का लंबे समय तक एक ही फसल को उगाना और फसल का चक्रिकरण न करना भी एक कारण है, लेकिन यहां की मिट्टी आज भी बहुत उपजाऊ है, क्योंकि बुंदेलखंड के किसानों ने रासायनिक उर्वरक का बहुत कम प्रयोग किया है। अगर सिंचाई की अच्छी व्यवस्था हो जाए तो आज भी यहां की मिट्टी में सोना देने का दम है।

प्रश्न- सरकार आजकल बुंदेलखंड में सोयाबीन की खेती के लिए बहुत जोर दे रही है और सोयाबीन के अलावा और कौन-कौन से चीजों की खेती की जा सकती हैं?

उत्तर- अभी वर्तमान समय में बुंदेलखंड की मिट्टी सोयाबीन के खेती के लिए बहुत अनुकूल है और सोयाबीन के अलावा अंगूर, नींबू की बागवानी के लिए भी यह मिट्टी बहुत उपयुक्त है।

प्रश्न- सिंचाई के मद्देनज़र सरकार ने बुंदेलखंड के लिए अपनी महत्वकांक्षी नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन और बेतवा नदी को जोड़ने शुरू किया है क्या इससे बुंदेलखंड की सूरत में कोई बदलाव आएगा?

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उत्तर- इस परियोजना से लोगों को कुछ हद तक लाभ पहुंचेगा पर बहुत लंबे समय में क्योंकि अभी सिर्फ नदियों के मिलन का काम शुरू हुआ है और अगर इस परियोजना को सच में बुंदेलखंड के लिए जीवनदायी बनाना है तो सरकार को कई बड़ी-छोटी नहरों का निर्माण कर बुंदेलखंड के आतंरिक इलाकों तक पानी पहुंचाना होगा और ये काम इतना आसान नहीं होगा क्योंकि बुंदेलखंड पहाड़ी इलाका है वरना यह परियोजना बहुत सीमित रह जाएगी। इस परियोजना के अलावा जो हम कर सकते वो हैं जैसे पुराने तालाबों को पुनः जीवित कर और कुछ नए बड़े तालाब खुदवा कर इनको आपस में पारम्परिक रूप से जोड़ना जो की बुंदेलखंड जैसे पहाड़ी इलाकों के लिए आसान और अधिक लाभकारी है।

(यह इंटरव्यू वर्ष 2016 में किया गया था जब गाँव कनेक्शन की टीम ने बुंदेलखंड में 1000 घंटे गुज़ारे थे।)

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