लखनऊ: लूट की वारदात का चोरी की धाराओं में हो गया खुलासा

Update: 2017-04-13 19:39 GMT
लखनऊ पुलिस वारदात के संबंध में पत्रकारों से बात करती हुई।

लखनऊ। राजधानी के प्रतिष्ठित न्यूरोसर्जन में शुमार व केजीएमयू के पूर्व प्रोफेसर डा. रविदेव के महानगर स्थित क्लीनिक में एक सप्ताह पूर्व हुई लूट की घटना खुलासा तो पुलिस ने कर दिया पर खुलासा करते समय अधिकारियों ने डकैती की इस वारदात को महज चोरी की ही वारदात बना दिया। यही नहीं दर्ज मुकदमें में भी पुलिस ने लूट य फिर डकैती की धारा नहीं लगायी है। हां एक बात जरूर रही कि घटना में लूटे गए रुपयों की बरामदगी संतोषजनक रही जिससे यह कह सकतें हैं कि खुलासा गलत नहीं है।

महानगर में एक सप्ताह पूर्व हुई डाक्टर के घर देर रात लूट की वारदात जिसमें लुटेरे करीब पांच लाख रुपए लूट ले गये थे और क्लीनिक के चौकीदार को बदमाशों ने बंधक बना दिया था। पहले तो उसके भी घटना में शामिल होने की बात कही जा रही थी पर जांच में उसकी भूमिका नहीं मिलने पर पुलिस ने उसे क्लीन चिट दे दी थी। वारदात के बाद एसएसपी मंजिल सैनी इस घटना को बेहद चुनौतीपूर्ण मानते हुए कहा था कि इसमें किसी करीबी का हाथ है और कप्तान ने इसकी जांच में सर्विलांस के साथ क्राईम ब्रांच की टीम को भी लगाया।

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गुरुवार को घटना का खुलासा यूं तो कप्तान को करना था और यही सूचना प्रसारित कर मीडिया को बुलाया भी गया पर बाद में पता चला कि मैडम तो हैं ही नही जानकारी देने के लिए एएसपी क्राईम डा.संजय सिंह व एएसपी टीजी दुर्गेश कुमार के साथ सीओ विनय त्रिपाठी आये। हद तो तब हो गयी जब पत्रकारों से बात कर रहे एएसपी क्राइम को चुप रहने का इशारा कर एएसपी टीजी ने खुद मोर्चा संभाल लिया और जवाब किसी भी सवाल का नही दिया। जब पूछा गया कि आरोपित पकड़ में कैसे आये तो सिर्फ जवाब इतना कि कॉल ट्रेस से और फिर कोई स्पष्ट जवाब नही मिला।

ऐसे हुआ खुलासा

लूट की वारदात के खुलासे के बाबत जब पीड़ित डाक्टर रविदेव से बात की गई तो उन्होने पुलिस को बधाई देते कहा कि अगर पुलिस इसी तरह से काम करे तो अपराधी बच ही नहीं सकते। उन्होंने सर्विलांस व क्राइम ब्रांच की टीम की तारीफ की। डाक्टर रविदेव ने बताया कि जिस दिन घटना हुई उसी के बाद से उन्हे शक अपने ड्राइवर पर था पर उन्होने इसे जाहिर नही होने दिया और सर्विलांस व क्राईम ब्रांच को इसकी जानकारी दी पर उनसे घटना खुलने तक इसे सार्वजनिक न करने का भी आग्रह किया। डाक्टर द्वारा ड्राईवर पर शक जताने के बाद सर्विलांस ने जब ड्राइवर का नम्बर ट्रेस किया तो घटना के समय उसकी लोकेशन घटनास्थल ही मिली जिसके बाद पुलिस ने उसकी घेराबंदी की और फिर जब ड्राईवर पकड़ा गया तो फिर उसकी निशान देही पर लूटी गयी तिजोरी व और उसके अन्य दो साथी व लूटे गये नोट बरामद होने में समय नही लगा।

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