और किसानों की दिवाली काली कर गई बाढ़

अक्टूबर में यूपी में हुई अतिवृष्टि और बाढ़ ने किसानों की फसलें तो बर्बाद की ही उनके त्योहारों को भी फीका कर दिया है। किसानों के मुताबिक फसल अच्छी होती तो दिवाली भी मनाते लेकिन अब तक काफी नुकसान हो गया है। यूपी सरकार के मुताबिक प्रदेश में करीब 180 करोड़ रुपए की फसलें बर्बाद हुई हैं। बाकी आंकलन जारी है।

Update: 2021-10-29 15:10 GMT

कन्नौज (यूपी)। राम विलास के पास सवा 2 एकड़ हरी धनिया की फसल थी, उसका अच्छा भाव मिलने लगा था, उन्हें उम्मीद थी दिवाली तक अच्छी कमाई हो जाएगी तो त्योहार अच्छे से मना सकेंगे। लेकिन त्योहार पर खुशियों से पहले इलाके में बाढ़ आ गई और उनकी पूरी फसल बर्बाद हो गई। राम विलास की दिवाली सूनी जाएगी। अकेले कन्नौज जिले में ही में ऐसे किसानों की संख्या हजारों में है।

32 साल के राम विलास उत्तर प्रदेश में कान्नौज जिले के कासिमपुर गांव के रहने वाले हैं जहां 25 अक्टूबर को गंगा में बाढ़ आ गई थी। 26 अक्टूबर को गंगा का जलस्तर कन्नौज में चेतावनी बिंदू 124.940 मीटर को पार करके 125.700 मीटर पर बहने लगा, जिसके चलते गंगा के किनारे बसे 18 गांव चपेट में आ गए। इनमें से 7-8 गांवों बुरी तरह प्रभावित हुए। धान, मक्का,धनिया, अगैती आलू, अगैती सरसों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। गंगा में ये बाढ़ चौधरी चरण सिंह बैराज (नरौरा बांध) से पानी छोडे जाने के चलते आई थी। सिंचाई विभाग के आंकड़ों के मुताबिक एक सप्ताह में 11 लाख क्यूसेक से अधिक पानी गंगा में छोड़ा गया।

राम विलास कहते हैं, "पानी बढ़ने से धनिया की फसल खराब हो गई है। गंगा में पांच दिन से पानी बढ़ रहा था। 12 बीघा (सवा दो एकड) में धनिया की थी। लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। राई (सरसों) भी बेकार हो गई।'

किसानों और ग्रामीणों के मुताबिक पांच साल पहले गंगा में बाढ़ आई थी लेकिन उस वक्त बरसात (मानसून) का सीजन था। दीवाली के पहले तो वर्षों बाद ऐसा कोई हुआ है।

कन्नौज के एडीएम सदर उमाकांत तिवारी ने गांव कनेक्शन से कहा, "पानी तेजी से घटा है। कासिमपुर इलाके में कुछ जगहों पर सडक पर मुश्किल से आधा फीट पानी था। गंगा का पानी करीब एक किलोमीटर पीछे जा चुका है। लेकिन खेतों में पानी है।"

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गंगा का पानी तेजी से घटा है लेकिन खेतों में पानी तबाही के निशान छूट गए हैं। इलाके के लोगों में मायूसी है। क्योंकि त्योहार से पहले उनकी फसल चली गई। 63 साल की रामदुलारी कहती हैं. "10 बीघा राई और दो बीघा धनिया बेकार हो गई। पहले बरसात में फसल को नुकसान हुआ। अब बाढ़ आ गई। इस तरह परिवार का गुजारा कैसे होगा। इन दिनों धनिया बिक्री का सीजन चल रहा था, लेकिन बरसात से तबाही मच गई है।"

बाढ़ की नहीं थी बिल्कुल उम्मीद

तहसील सदर कन्नौज क्षेत्र के गांव बख्शीपुर्वा निवासी 33 साल के रमेश कुमार के मुताबिक इस मौसम में बाढ की कोई उम्मीद ही नहीं रहती। लेकिन पानी इतना आ गया था कि घर तक डूब गए थे। उस दिन की त्रासदी वो बताते हैं, "जब पानी आया तो खेतों में धनिया उखाड़ रहे थे। बच्चे घर पर ही थे। रात में डोंगी (नाव) वाले को फोन किया तो बाहर ले जाने के लिए दो हजार रुपए मांगे। अगले दिन सुबह 1200 रुपए देकर बाहर आए। मशीन व धंधा सब चला गया।'

गंगा किनारे 18 गांव हाई फ्लड में आते, अलर्ट

गंगा किनारे 18 गांव ऐसे हैं जो हाई फ्लड में आते हैं। इन गांव में चौधरियापुर, कटरी फिरोजपुर, दरियापुर चंदई, सलेमपुर रमई, महाबली, जलालपुर अमरा, कपूर कटरी, तेरारागी, कटरी अमीनाबाद, कटरी डूंगरपुर, दरियापुर पट्टी, गुगरापुर बांगर, सढ़ियापुर बांगर, मिश्रीपुर, बलीदादपुर, कन्नौज कछोहा, मेहंदीपुर, कासिमपुर हैं।

35 जिलों के लिए 160 करोड रुपए का मुआवजा जारी

यूपी सरकार के मुताबिक बाढ और बारिश से प्रदेश में करीब 180 करोड की फसलों का नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार ने बृहस्पतिवार को 35 जिलों के 1 लाख किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए 160 करोड रुपए की राशि राज्य आपदा मोचक निधि से जारी की। इससे पहले 22 अक्टूबर को भी राज्य सरकार ने 2021-22 में आई बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 77 करोड़ रुपए और 25 अक्टूबर को 30 करोड़ रुपए जारी किए गए थे।


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