रामगंगा में ई-कचरा फेंकने पर देना होगा एक लाख रुपए का मुआवजा : एनजीटी

Update: 2017-05-03 16:45 GMT
रामगंगा में ई-कचरा फेंकने पर देना होगा एक लाख रुपए का मुआवजा। 

नई दिल्ली (भाषा)। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने आज कहा कि जो भी उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में रामगंगा नदी के किनारे इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-कचरा) फेंकते हुए पाया गया तो उसे पर्यावरण मुआवजे के तौर पर एक लाख रुपए देने होंगे। एनजीटी अध्यक्ष न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने नदी किनारे पड़े कचरे को तुरंत हटाने के लिए संबंधित विभागों के प्रतिनिधियों की एक समिति भी गठित की और दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है। समिति में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सदस्य सचिव, मुरादाबाद के जिला मजिस्ट्रेट, उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि, मुरादाबाद नगर निगम और संबंधित इलाके के पुलिस उपाधीक्षक शामिल होंगे।

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पीठ ने कहा, ‘‘हमारे संज्ञान में यह लाया गया था कि विभिन्न उद्योगों से पाउडर के रूप में निकलने वाले हानिकारक ई-कचरे का बड़ी मात्रा में मुरादाबाद में रामगंगा नदी के किनारे निपटारा किया जा रहा है।'' पीठ ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त जांच में इसकी विधिवत पुष्टि की गई। पीठ ने कहा कि कि यह खतरनाक कचरा अत्यधिक प्रदूषित है और इसमें मजबूत धातु हैं जो मानव के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिए हानिकारक है और सभी अधिकारी कचरे के निपटान की जिम्मेदारी से बच रहे हैं तथा ‘‘एक-दूसरे पर दोष मढ़ रहे हैं।''

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एनजीटी ने कहा, ‘‘ऐसे ई-कचरे का अवैध तरीके से निपटान करते हुए पाए जाने पर सभी उद्योगों को हर घटना पर एक लाख रुपए का पर्यावरण मुआवजा देना होगा।'' पीठ ने उल्लंघनकर्ताओं से मुआवजा वसूलने की जिम्मेदारी संबंधित इलाके के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट को सौंपी। पीठ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पर्यावरण मुआवजा 50 हजार से एक लाख रुपए तक होगा जो नदी में फेंके जाने वाले कचरे की मात्रा पर निर्भर करेगा। एनजीटी ने गंगा नदी की सफाई से जुडे एक मामले की सुनवायी के दौरान यह आदेश दिया जब यूपीपीसीबी की ओर से पेश हुए वकील ने ई-कचरे के उचित निपटान के संबंध में निर्देश देने की मांग की।

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