लखनऊ। हस्तशिल्पियों के तैयार किए गए उत्पादों की वाजिब कीमत दिलाने और बेहतर मार्केटिंग के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने शुरूआत की है। उद्योग और उद्यम प्रोत्साहन विभाग की तरफ से स्थानीय एक्सपो मार्ट, निर्यात भवन, कैण्ट रोड पर हस्तशिल्प प्रदर्शनी आयोजित की गई है, जो 15 दिसम्बर तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।
इस प्रदर्शनी में प्रदेश भर से आए शिल्पी अपने-अपने उत्पादों को प्रदर्शित किए हैं। इसमें लगभग हस्तशिल्प के 70 से अधिक स्टाल लगाए गए हैं। इस प्रकार की प्रदर्शनी पहली बार राज्य स्तर पर लगाई गई है। इस बारे में जानकारी देते हुए निदेशक संस्कृति हीरालाल ने बताया '' उत्तर प्रदेश आबादी की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है और जनपद में कोई न कोई बहुमूल्य हस्तशिल्प का उत्पादन होता है। ऐस में हस्तशिल्पियों को बाजार देने के लिए इस प्रदर्शनी का आयेाजन किया गया है।
उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी से प्रदेश के कोने-कोने में रहने वाले हस्तशिल्प बाजार तक पहुंचेगे और हस्तशिल्पियों को प्रोत्साहन भी मिलेगा। उत्तर प्रदेश में विभिन्न हस्तशिल्प को आगे बढ़ाने की असीमित सम्भावनाएं हैं। इससे अर्थ व्यवस्था में मजबूती लाने के साथ ही हस्तशिल्पियों को आमदनी में भी बढ़ोत्तरी होगी।
श्री योगेश कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उ0प्र0 व्यापार प्रोत्साहन प्राधिकरण ने बताया कि राज्य सरकार ने शिल्पियों की सुविधा के लिए कई कदम उठाए हैं, कारीगर अधिक से अधिक प्रदर्शनी में भाग ले सकें। प्रदर्शनी में शिल्पियों के लिए निःशुल्क स्टाल आवंटित किये गये हैं। इस प्रदर्शनी की सफलता को देखते हुए अगले वर्ष से बड़े पैमाने पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा।
इस प्रदर्शनी में स्टेट अवार्डी लखनऊ के सलाउद्दीन सिद्दीकी की बोनकार्वी और अब्दुल सईद की जरी जरदोजी मुख्य आकर्षण का केन्द्र हैं। इनके अलावा उन्नाव की आर्टिफीशियल ज्वैलरी और चिकन, रामपुर के गुलाब नवाज का पैचवर्क एप्लिक वर्क, वाराणसी के गुलाम मुहम्मद की बनारसी साड़ी (सिल्क), सीतापुर का हैण्डप्रिंट टेक्सटाइल्स और कानपुर के लेदर क्राफ्ट सहित अन्य जनपदों से आए शिल्पियों की कारीगरी भी काफी दर्शनीय हैं।