जीएसटी बिल के मसौदे को उत्तर प्रदेश मंत्रिमण्डल से मंजूरी, आगामी विधानमंडल सत्र में होगा पारित 

Update: 2017-05-02 12:44 GMT
उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी

लखनऊ (भाषा)। उत्तर प्रदेश मंत्रिमण्डल ने आज माल एवं सेवा कर विधेयक (जीएसटी) के मसौदे को मंजूरी दे दी। इसे राज्य विधानमण्डल के 15 मई से शुरू होने वाले सत्र में पारित कराया जाएगा।

प्रदेश के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आज हुई राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने जीएसटी विधेयक के प्रारुप को मंजूरी दे दी। इसे आगामी 15 मई से शुरू हो रहे विधानमण्डल सत्र में पारित कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि जीएसटी लागू होने से प्रदेश में राजस्व बढ़ने की सम्भावना है, अगर इसकी वजह से किसी भी प्रकार राजकोष पर भार भी पड़ता है तो केंद्र सरकार अगले पांच साल तक उसकी भरपाई कराएगी। हालांकि, पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है।

खन्ना ने बताया कि मंत्रिमण्डल ने नई तबादला नीति को भी मंजूरी दी है, इसके तहत समूह ‘ख’ के अधिकारियों का तबादला विभागाध्यक्ष करेंगे और उससे उपर के अधिकारियों का तबादला शासन से होगा। अधिकतम 20 प्रतिशत सीमा तक तबादले किए जा सकते हैं, दिव्यांगजनों को इससे बाहर रखा गया है।

प्रदेश सरकार के प्रवक्ता स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने इस मौके पर बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में एक अधिसूचना जारी की थी। उसमें जिला स्तर पर खनिज न्यास बनना था। केंद्र ने कुछ दिशानिर्देश दिए थे, जिनमें खनन से मिलने वाली आय के बंटवारे की बात थी।

उन्होंने राज्य की पिछली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि खनन कार्य में लोगों के विस्थापन के कारण होने वाले आंदोलनों को देखते हुए केंद्र सरकार ने नियमों में कुछ संशोधन किए थे, मगर पूर्ववर्ती सपा सरकार ने उनकी अनदेखी की।

जितने भी प्रशासनिक विभाग हैं, उनमें मानव संचालित व्यवस्था को खत्म करके ई-टेण्डरिंग और ई-खरीद की व्यवस्था लागू होगी। तीन महीने के अंदर उसकी कार्यप्रणाली तैयार कर दी जाएगी। उसमें विशेष रूप से आईटी विभाग मदद करेगा।
सिद्धार्थनाथ सिंह प्रदेश सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री

उन्होंने बताया कि अभी तक जो प्रणाली चल रही थी, उसके तहत विभागों को अनुमति दी गई थी कि वे अपने विवेक के माध्यम से या तो मानव चलित या फिर ई-टेण्डरिंग के जरिए निविदा मांग सकते थे।

सिंह ने बताया कि पिछली सपा सरकार में चल रही अधिकारियों, औद्योगिक घरानों और नेताओं के बीच चल रही साठगांठ की व्यवस्था का आज अंत हो गया। यह एक शुभ संकेत है, दुनियाभर में देखा गया है कि जहां ई-टेण्डरिंग या ई-खरीद की व्यवस्था है, वहां विदेशी कम्पनियां भी ‘व्यावसाय कारोबार में सुगमता' के तहत आना पसंद करती हैं।

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उन्होंने बताया कि मंत्रिमण्डल ने गोरखपुर में उर्वरक एवं रसायन फैक्टरी के बारे में जुलाई 2016 में निर्णय लिया था कि उसमें साढ़े छह हजार करोड़ रुपए का निवेश किया जाए। हमारी सरकार की मंशा है कि किसानों को लाभ मिले और नौकरियां पैदा होनी चाहिए, लेकिन एक साल से जिस गति से काम होना चाहिए था, उस तेजी से काम नहीं हो रहा था। इसके लिए भूमि अन्तरण पर पिछली सरकार निर्णय नहीं ले पा ई थी।

आज मंत्रिमण्डल ने निर्णय लिया है कि भूमि अन्तरण के शुल्क से छूट दी जाए।

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