विकास के नाम पर पंचायतों में जमकर हुई करोड़ों की बंदरबांट, जारी हुए जांच के आदेश
ऋषि मिश्र
लखनऊ। पंचायतों के ज़रिए गांवों में विकास को लेकर हुई बंदरबांट अब जांच के घेरे में आएगी। इस संबंध में मंत्रालय स्तर पर कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। कई ग्राम पंचायतें तो ऐसी भी हैं जिनमें आवंटित बजट के हिसाब से तो हाथ खोलकर खर्चा किया गया मगर ज़मीन पर कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है। दूसरी ओर कुछ ऐसी भी पंचायतें हैं जहां आवंटित पैसों को खर्च ही नहीं किया गया और विकास से जुड़े सभी काम अधूरे ही रह गए।
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प्रदेश के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पंचायती एवं लोक निर्माण विभाग भूपेन्द्र सिंह ने सभी जिला पंचायतों के अपर मुख्य अधिकारियों को इसे लेकर कड़े निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि वे अपने लक्ष्यों को पूरा करें। इसके साथ ही अगर कोई अधिकारी ऐसा नहीं करता है तो उससे स्पष्टीकरण मांगा जाए। भूपेन्द्र सिंह ने जिला पंचायतों के अपर मुख्य अधिकारियों को हाल ही में हुई समीक्षा बैठक में ये निर्देश दिए।
इन जिलों के अफसर निशाने पर
जिला पंचायत गौतमबुद्ध नगर, फतेहपुर, अलीगढ़, सहारनपुर, मिर्जापुर, कौशाम्बी, एटा, मेरठ, इलाहाबाद, बलिया, प्रतापगढ़ और गोण्डा में शासन की ओर से निर्धारित लक्ष्य के हिसाब से 70 प्रतिशत से कम आय पाई गई है। आय से ज्यादा खर्च करने वाली 10 जिला पंचायतों में जिला पंचायत मऊ, आजमगढ़, आगरा, गाजीपुर, गौतमबुद्ध नगर, अलीगढ़, एटा, इलाहाबाद, गोरखपुर और कौशाम्बी हैं। अपर मुख्य अधिकारियों को खर्च में संयम न बरतने और आय को न बढ़ाने की वजह से कड़े निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में जांच भी होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे सभी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी जिन्होंने सबसे ज्यादा आय से बढ़कर खर्च किया है।
मंत्री ने राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की जिला पंचायतों को उपलब्ध कराई गई राज्य वित्त आयोग की धनराशि के उपभोग की भी समीक्षा की। इसमें 10 जिला पंचायतों गौतमबुद्ध नगर , जालौन, बांदा, झांसी, फैजाबाद, अलीगढ़, सहारनपुर, बरेली, फर्रूखाबाद और महोबा ने प्रदेश की बाकी सभी जिला पंचायतों के मुकाबले सबसे खराब प्रदर्शन किया। इसके साथ ही इनके उपभोग का प्रतिशत प्रदेश में सबसे कम रहा। ऐसे अपर मुख्य अधिकारियों को तत्काल नियमानुसार गुणात्तमक उपभोग करने के निर्देश मंत्री की ओर से दिए गए। उन्होंने कहा जो योजना दो साल पहले ही बन्द हो चुकी है उसका शत्-प्रतिशत उपभोग करके अप्रैल, 2017 तक उपभोग प्रमाण पत्र उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
कई पंचायतों ने विकास कार्यों के सापेक्ष कर वसूली के अपने लक्ष्यों की प्राप्ति नहीं की है। कमाई उतनी नहीं है, जितना खर्च किया गया है। ऐसा करने वाले अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है। जल्द ही कार्रवाई भी होगी।भूपेंद्र सिंह, राज्य मंत्री, पंचायतीराज विभाग
सारे निर्माणों की बनानी होगी सूची
पंचायती राज मंत्री ने सभी अपर मुख्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि 2014-15 से अब तक कराए गए निर्माण के कामों की सूची साल और योजना के मुताबिक तैयार कर शासन को उपलब्ध कराएं। इसके साथ ही उसकी एक फ़ोटोकॉपी जिला पंचायत में तैयार रखें। औचक निरीक्षण के समय यह सूची उपलब्ध करा सकें। उन्होंने एक वाउचर एण्ट्री न करने वाली पंचायतों को 15 अप्रैल तक फीडिंग कराने के भी निर्देश दिए।
पंचायतों के ये काम रह गए अधूरे
पंचायती क्षेत्रों में सफाई, पंचायत भवनों के निर्माण, सड़कों के निर्माण, ग्रामीण शौचालयों का निर्माण, सेनेट्री नेपकिन वितरण, सफाई कर्मियों की भर्तियां और ऐसे ही कई कामों में पंचायतों में गड़बड़ियां होने की बातें सामने आ रहीं हैं। इन्हीं सारे मुद्दों पर पंचायती राज विभाग के अफसर सामने आएंगे।
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