ATS के आईजी असीम अरुण से खास बात : यूपी में आंतकियों से निपटने के लिए बनेगी स्टेट एनएसजी

Update: 2017-08-21 18:14 GMT
असीम अरुण, आईजी, एसटीएफ

मनीष मिश्र/ अभिषेक पांडेय

लखनऊ। पिछले एक वर्ष से आतंकियों और अपराधियों को पकड़ने में उत्तर प्रदेश आतंक निरोधी दस्ता (यूपीएटीएस) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बड़ी सफलता हासिल की है। अब एटीएस आतंकियों से निपटने के लिए बड़ी कमांडो यूनिट बनाने जा रही है।

गाँव कनेक्शन से विशेष बातचीत में यूपी एटीएस प्रमुख असीम अरुण ने बताया, “इसके लिए स्पेशल पुलिस टीम (स्पॉट) बनाई जाएगी। यूपी पुलिस के सबसे अच्छे जो पुलिस के जवान होंगे, उन्हें हम लेंगे। स्टेट की एनएसजी की तौर पर हम फोर्स तैयार करेंगे। इसकी बिल्डिंग तैयार हो चुकी है, इसके लखनऊ यूनिट का गठन होने वाला है। पांच से छह महीने में हम राष्ट्रीय स्तर की संस्था तैयार कर लेंगे।”

यूपी पुलिस के सबसे अच्छे जो पुलिस के जवान होंगे, उन्हें हम लेंगे। स्टेट की एनएसजी की तौर पर हम फोर्स तैयार करेंगे।
असीम अरुण, हेड, एसटीएफ, यूपी पुलिस

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उत्तर प्रदेश आतंक निरोधी दस्ते ने हाल में दूसरे राज्यों में जाकर भी बड़ी-बड़ी आतंकी साजिशों को नाकाम किया है। असीम अरुण ने कहा, “एनआईए और आईबी के नेतृत्व में बहुत अच्छा समन्वय विभिन्न राज्यों के बीच में स्थापित हुआ है। जैसे अगर मेरे पास कोई सूचना है कि दूसरे राज्य में कोई गतिविधि है, तो मुझे बस एक कॉल या मेल करने की देरी है, जिस स्पीड से हम यहां काम कर रहे होते हैं, वहां कार्य शुरू हो चुका होता है,”।

उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में राज्य की पुलिस का आपसी समन्वय और केन्द्रीय एजेंसीज का नेतृत्व बहुत अच्छे स्तर पर मिला है। अगर दूसरे राज्यों में हम अच्छे से काम करते दिख रहे हैं तो ऐसे ही नहीं है, वहां की लोकल पुलिस और एटीएस से हमारी पार्टनरशिप डेवलप हुई है, भरोसा बढ़ा है।” वह आगे कहते हैं, “किसी बड़ी आतंकी वारदात से निपटने के लिए जरूरी है कि हम अपनी तकनीक को बढ़ाएं, सरकार इस ओर काम कर रही है।”

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यूपी एटीएस की त्वरित कार्रवाई करने की क्षमता को बताते हुए यूपी एटीएस प्रमुख ने कहा, “एटीएस में अधिकारियों को काफी सुविधाएं दी जाती हैं। हमारा इंस्पेक्टर भी फ्लाइट से जा सकता है, जो कि बाकी विभागों में नहीं हो सकता, कहीं सूचना मिलते ही, जो पहली उपलब्ध फ्लाइट होती है, उससे हम भेज के एक्शन शुरू कर देते हैं,”

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यूपी में एटीएस के एक्शन में बढ़ोत्तरी आने के बारे में असीम अरुण बताते हैं, “प्रदेश में आतंकी गतिविधि नहीं बढ़ी, उनका पकड़ा जाना बढ़ा है। जब जब ऐसी धरपकड़ होती है तो समझ आता है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कुछ आम दिक्कतें (एन्वायरमेंटल इश्यूज) हो सकती हैं। लोग आसानी से फर्जी आईडी तक बनवा लेते हैं। इन चीजों को रोकने के लिए पुलिस और अन्य विभाग को मिलकर काम करना पड़ेगा। चोरी की गाड़ी को खारीदना-बेचना, फर्जी आईडी बनवाना ये सब रुक जाए तो अपराधियों का अपराध करना मुश्किल हो जाएगा।”

एक तरफ पुलिस या एटीएस ऐसे रैकेट को पकड़ती है, या दंड दिलाती है, वहीं दूसरी ओर संबंधित विभाग को भी अपना प्रोसेस सही करना पड़ेगा। मुझे व्यक्तिगत रूप से पता है कि पासपोर्ट विभाग ने इसे दुरुस्त कर लिया है।

एटीएस की लखनऊ के अलावा दस जिलों में छोटी-छोटी इकाइयां बनी हुई हैं। एक तो पूरे भौगोलिक क्षेत्र को कवर करने के लिए है, दूसरे यह देखने के लिए कि किन-किन क्षेत्रों में गतिविधियां ज्यादा होती हैं। कभी-कभी यूनिट की पोजीशन भी चेंज की जाती है। जहां ज्यादा गतिविधियों की आशंका होती है, वहां भेज दिया जाता है।

असीम अरुण ने 2009 में अलीगढ़ जनपद में तैनाती के समय भारत की पहली जनपद स्तरीय टीम का किया गठन।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पदभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने आतंकवाद पर जनरल ब्रीफिंग में कहा था कि जो भी जरूरी संसाधनों की आवश्यकता है वो एटीएस की दिए जाएंगे।यूपी एटीएस प्रमुख असीम अरुण ने बताया, “एटीएस की सिविल पुलिस के जवानों की संख्या बढ़ाए जाने का प्रस्ताव शासन में लंबित है, जो जल्द स्वीकृत होने की उम्मीद है, दूसरे नए उपकरणों के लिए पैसा मांगा गया है वह जल्द ही स्वीकृत होने की उम्मीद है।”

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