जब भी महिला प्रधान का नाम आता है तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में यहीं आता है कि उनका काम वो नहीं प्रधानपति करते होंगे। लेकिन कोठी ग्राम पंचायत की महिला प्रधान माहेज़बी अपने दम पर स्वच्छ भारत अभियान को अपने प्रयासों से एक नई दिशा दे रही है।
"मैं पिछले दो वर्षों से प्रधान हूं और मेरा यही प्रयास रहता है कि हमारी ग्राम पंचायत साफ और स्वच्छ रहें। इसके लिए मैंने जगह-जगह पर कूड़ादान रखवाए है और नालियों को समय-समय पर साफ कराते रहते है। इसके साथ सभी गाँव में शौचालय की व्यवस्था की है।" ऐसा बताती हैं, महिला प्रधान माहेज़बी।
बाराबंकी जिला मुख्यालय से 30 कि.मी दूर सिद्धौर ब्लॉक के कोठी ग्राम पंचायत में 12 गाँव है जिनमें करीब चार हजार ज्यादा आबादी है। माहेज़बी अपने सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताती हैं, "अभी भी लोगों में जागरूकता की कमी है। गाँव में उनको साफ-सफाई के फायदें बताना, शौचालय न बनवाने से होने वाली बीमारियों के बारे में बताते रहते है ताकि गाँव वाले साफ-सफाई को लेकर जागरुक हो। लेकिन अभी भी कुछ लोग ऐसे है जो इन चीज़ों को समझना भी नहीं चाहते है।"
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कोठी ग्राम पंचायत में करीब 16 कूड़ेदान रखे हुए है, जिनमें ग्रामीण नियमित कूड़ा डालते है और उस कूड़े को समय-समय पर सफाईकर्मी हटाते है।कूड़ेदान रखने से होने वाले लाभ के बारे में कोठी ग्राम पंचायत में रहने वाले जय शंकर मिश्रा बताते हैं, "अब हमारी ग्राम पंचायत साफ रहती है। गली-गली जो कूड़े का ढ़ेर लगा रहता था वो अब नहीं लगता है। कूड़े की वजह गाँव में बरसात के समय पर पानी भरा रहता था और बदबू आती थी पर अब ऐसा नहीं है।"
अपनी ग्राम पंचायत में ग्रामीणों को जागरुक करने के लिए माहेज़बी बनैर पैम्पलेट भी लगवाती है। माहेज़बी बताती हैं, "साफ-सफाई को लेकर गाँवों की दीवारों में जगह-जगह स्लोगन लिखवाए है। पर्चें बनवाए है उनमें सफाई क्यों जरुरी है क्या बीमारियां होती है इसकी जानकारी भी दे रखी है। मैं 12 गाँव देखती हूं। सभी घरों में मैंने खुद पर्चें दिए है।"
माहेज़बी न सिर्फ कूड़ेदान की व्यवस्था की है बल्कि गाँव को स्वच्छ बनाने के लिए नालियों को ढ़कवा दिया है। माहेज़बी के इन प्रयासों से आज उनके गाँव में लोग साफ-सफाई को लेकर जागरुक हो रहे है।