गुजरात और झारखंड के बाद यूपी सरकार ने गरीब सवर्णों को आरक्षण का प्रस्ताव किया मंजूर

बिना किसी के आरक्षण को छेड़े हुए, सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण की जो व्यवस्था केन्द्र सरकार ने की है, उस पर उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मुहर लगायी है

Update: 2019-01-18 09:44 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को दस फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव शुक्रवार को मंजूर कर लिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में यहां हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में यह महत्वपूर्ण फैसला किया गया।

बैठक के बाद राज्य सरकार के प्रवक्ता उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने संवाददाताओं को बताया, ''केन्द्र सरकार द्वारा 12 जनवरी 2019 को जारी अधिसूचना के माध्यम से भारत के संविधान में संशोधन करते हुए सरकारी सेवाओं की सभी श्रेणियों में नियुक्ति और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (गरीब सवर्णों) के लिए अधिकतम दस प्रतिशत का आरक्षण अनुमोदित किया गया है।''

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शर्मा ने कहा, '' उत्तर प्रदेश सरकार, भारत सरकार द्वारा निर्गत गजट अधिसूचना का अनुपालन करेगी। बिना किसी के आरक्षण को छेड़े हुए, सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण की जो व्यवस्था केन्द्र सरकार ने की है, उस पर उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने मुहर लगायी है।''

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शर्मा ने इसे 'सबसे बड़ा फैसला' बताते हुए सवालों के जवाब में कहा, ''व्यावहारिक रूप से सहमति दे दी है । आगे की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। सैद्धांतिक रूप से स्वीकृति दे दी गयी है।'' इससे पहले गुजरात और झारखंड सरकार भी इस आरक्षण को राज्य में लागू कर चुकी है। इस फैसले के लागू हो जाने के बाद राज्य के गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण मिलने का रास्ता साफ हो सकेगा। वहीं राज्य के समाज कल्याण विभाग ने सरकारी नौकरियों व सभी तरह की शिक्षण संस्थाओं (अल्पसंख्यक छोड़कर) में प्रवेश में गरीबों को आरक्षण देने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है। आज कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिलने के बाद इस आरक्षण को विभाग लागू कर देगा। 

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