गोरखपुर में बन सकता है यूपी का पहला रेशम अनुसंधान केंद्र

Update: 2017-06-18 15:07 GMT
सेंट्रल सिल्क बोर्ड

गोरखपुर (भाषा)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर को राज्य का पहला रेशम अनुसंधान केंद्र मिल सकता है। सूबे के बुनकर समुदाय की मांगों की पूर्ति करने और रेशम के राष्ट्रीय उत्पादन में अपनी भागीदारी बढ़ाने की राज्य सरकार की मंशा को देखते हुए इसकी सम्भावनाएं प्रबल हैं।

केंद्रीय रेशम बोर्ड के अध्यक्ष केएम हनुमंतरायप्पा ने यहां बताया कि रेशम उत्पादन के लिये एक एकड़ में शहतूत के पौधे लगाने से प्रतिवर्ष एक लाख रुपये से ज्यादा की आय प्राप्त की जा सकती है, जो ज्यादातर कृषि फसलों से होने वाली आमदनी से ज्यादा है।

उत्पादन में यूपी का महज तीन फीसदी योगदान

उन्होंने कहा कि अच्छी गुणवत्ता वाला कोकून मिलने के बावजूद देश के कुल रेशम उत्पादन में उत्तर प्रदेश का योगदान महज तीन प्रतिशत है, जो 270 मैट्रिक टन के करीब है। हनुमंतरायप्पा ने कहा, 'हमारा उद्देश्य इसे 15-20 प्रतिशत तक ले जाना है। हम इसके लिये गोरखपुर में क्षेत्रीय रेशम अनुसंधान केंद्र खोलेंगे। प्रदेश में यह अपनी तरह का पहला अनुसंधान केंद्र होगा।' उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में महिला किसानों को चिह्नित करके उन्हें रेशम उत्पादन की विभिन्न गतिविधियों के लिये प्रशिक्षित किया जाएगा।

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कोकून बाजार है जरूरी

हनुमंतरायप्पा ने कहा कि प्रदेश में कोकून बाजार स्थापित किया जाना बहुत जरूरी है। इसके अलावा विपणन के लिये एक संगठित सहयोग जरूरी है, क्योंकि उत्तर प्रदेश के किसान अपने कोकून को मजबूरन कम दाम पर पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में बेचते हैं। वाराणसी जैसे क्लस्टर समूहों में मांग की पूर्ति के लिये गुणवत्तापूर्ण रेशम उत्पादन को बढ़ाया जाना चाहिये।

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