यूपी: गन्ने का रेट 25 रुपए कुंटल बढ़ा, सरकार ने कहा बढ़ेगी आमदनी, प्रियंका गांधी से लेकर टिकैत तक ने दी ये प्रतिक्रिया

गन्ने के रेट Sugarcane rate में 25 रुपए प्रति कुंटल की बढ़ोतरी करते हुए सरकार ने कहा इससे प्रदेश के किसानों की करीब 8 फीसदी आमदनी बढ़ेगी। वहीं डीजल-उर्वरक और बिजली की महंगाई को देखते हुए किसान नेताओं ने इसे नाकाफी बताया है।

Update: 2021-09-26 12:19 GMT

उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने के रेट में 25 रुपए प्रति कुंटल की बढ़ोतरी की है। अब गन्ना किसानों को एक ग्रेड गन्ने के लिए 350 रुपए प्रति कुंटल का भुगतान किया जाएगा। लखनऊ में आयोजित किसान सम्मेलन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ Yogi Adityanath ने इसकी घोषणा की है। सरकार ने अपने बयान में कहा कि प्रदेश सरकार गन्ना किसानों के जीवन में मिठास घोल रही है। गन्ना मूल्य भुगतान में वृद्धि के निर्णय से किसानों की आय में लगभग 08 फीसदी की वृद्धि होगी। वहीं किसान नेताओं ने 25 रुपए प्रति कुंटल बढ़ोतरी को नाकाफी बताया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार ने गन्ने का मूल्य (Sugar cane rate)  बढ़ाने का फैसला किया है। जिस गन्ने का रेट अभी तक 325 रुपए कुंटल मिल रहा था उसका अब 350 रुपए प्रति कुंटल की दर से भुगतान होगा। इसके अलावा सरकार ने तय किया है जो सामान्य गन्ने का जो 315 रुपए का भाव था उसमें भी 25 रुपए कुंटल की बढ़ोतरी होगी और 340 का रेट मिलेगा। इसके अलावा जो अनुपयुक्त गन्ना गन्ना है, जो मुश्किल से 1 फीसदी बचा है उसके रेट भी 25 रुपए कुंटल की बढ़ोतरी होगी। हमारी कोशिश है कि किसानों को उन्नत गन्ना बीज और तकनीकी मिले।

उत्तर प्रदेश में गन्ने के राज्य समर्थित परामर्श मूल्य (SAP) को लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं। 25 अगस्त को गन्ने की एफआरपी घोषित होने के बाद कई राज्यों के गन्ना किसान अपनी अपनी सरकारों की तरफ देख रहे थे। यूपी से पहले पंजाब और हरियाणा सरकार ने अपने एसएपी घोषित किए थे।

प्रदेशभर से आए किसानों को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक देश ब्राजील में चीनी उद्योग ठप हो गया था। महाराष्ट्र में आधे से ज्यादा चीनी मिलें बंद थीं, कर्नाटक में भी कुछ मिलें बंद हो गई थीं लेकिन यूपी सरकार ने अपनी सभी 119 मिलें चालू रखी थीं।

इस दौरान उन्होंने अपनी पूर्ववर्ती सरकारों पर भी हमला बोला और गन्ना किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया। सीएम ने कहा कि बसपा के शासनकाल में 21 चीनी मिलें बंद की गईं और समाजवादी पार्टी के शासन के दौरान 11 चीनी मिलें बंद कर दी गईं। जब हम (भाजपा) सत्ता में आए, हमने बंद मिल को फिर से शुरू किया और गन्ना किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।

गन्ना रेट बढ़ोतरी को  विपक्ष और किसान नेताओं ने नाकाफी बताया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, "भाजपा ने उप्र के गन्ना किसानों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। 4.5 सालों में 35 रू की मामूली बढ़ोत्तरी के बाद अब गन्ना किसानों को मात्र 350 रू/क्विंटल देने की घोषणा हुई है, जबकि किसानों की लागत बहुत बढ़ चुकी है। उप्र के गन्ना किसानों को 400रू/क्विंटल से एक रुपया भी कम नहीं चाहिए।"

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गन्ना मूल्य में की गई 25 रुपए कुंटल की घोषणा नाकाफी ही नहीं किसानों के साथ मजाक भी है। तीन सरकारों के कार्यकाल की यह यह सबसे कम वृद्धि है। किसान इस मजाक को भूलेगा नहीं। राकेश टिकैत ने एक दिन पहले 400 रुपए प्रति कुंटल की मांग करते हुए कहा था अगर सरकार ऐसा नहीं करेगी तो किसान विरोध करेगा।

टिकैत ने अपने बयान में कहा, "उत्तर प्रदेश के बराबर के राज्य (हरियाणा) में गन्ना 362 रुपए है। बिजली दरें भी कम हैं। उत्तर प्रदेश की गन्ना मूल्य परामर्शदात्री समिति द्वारा उत्तर प्रदेश में गन्ने पैदा करने की उत्पादन लागत 350 रुपए बतायी थी। भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने भी गन्ना मूल्य 400 रुपए कुंतल किये जाने की मांग करते हुए सरकार को पत्र लिखा था।"

उन्होंने आगे कहा, "किसान पहले से ही कह रहे है कि भाजपा कॉरपोरेट की सरकार है किसान हितों से इसका कोई वास्ता नही है। साढ़े चार साल पहले अपने चुनावी घोषणा पत्र में गन्ने का रेट 370 और 14 दिन में गन्ने का भुगतान कराने का वादा करने वाली यूपी सरकार केवल जुमलेबाज सरकार ही साबित हुई और बरगलाकर किसानों का वोट लेकर उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया। देश में किसान आंदोलन की भी परवाह न कर बीजेपी सरकार ने किसानों के पेट पर लात मारी है इसका जवाब किसान और मजदूर बिरादरी चुनाव में जरूर देगी।"

राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन में जनपद खीरी में आईटीसेल के अध्यक्ष अंजनी कुमार दीक्षित ने कहा, "3 वर्ष बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मात्र 25 रुपए बढ़ाकर चुनावी वर्ष में यह साबित कर दिया है सरकार चीनी मिल मालिकों की गोद में बैठी है। डीजल के दाम अत्यधिक महंगे हुए हैं मजदूरी कीटनाशक खाद के दाम भी बढ़े हैं। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को घोर निराशा हुई है सरकार को गन्ना रेट घोषित करने में पुनः विचार करना चाहिए।"

वर्ष 2007 में बनी बसपा सरकार ने अपने कार्यकाल में सबसे अधिक गन्ने के रेट में कुल मिलाकर 115 रुपये का इजाफा किया था। अखिलेश यादव की सरकार में गन्ने का रेट 65 रुपये बढ़ा था। योगी आदित्यनाख सरकार ने 2017 में 10 रुपए कुंटल की बढ़ोतरी की थी, जिसके बाद से किसानों को रेट बढ़ाए जाने का इंतजार था।


पंजाब ने 50, हरियाणा ने 12 और यूपी ने 25 रुपए प्रति कुंटल की बढ़ोतरी की

25 अगस्त को केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने कृषि एवं लागत मूल्य आयोग की सिफारिश गन्ने की एफआरपी 5 रुपए कुंटल बढ़ाई थी। केंद्र सरकार ने कहा था कि गन्ना का रेट बढ़ाए जाने से देश के 5 करोड़ गन्ना किसान उनके परिवार और चीनी मिलों के साथ ही सहायक गतिविधियों में कार्यरत 5 लाख श्रमिकों को इसका फायदा मिलेगा। ये निर्णय गन्ना किसान और उपभोक्ता दोनों के हितों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

24 अगस्त को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य बढ़ाकर 362 रुपए प्रति कुंटल किया था। इससे पहले पंजाब में अगैती गन्ने के 310 रुपए मिलते थे। वहां पर सरकार ने पहले गन्ने के रेट में 15 रुपए कुंटल की बढ़ोतरी की थी लेकिन किसान संगठनों के विरोध के बाद 50 रुपए कुंटल की बढ़ोतरी की गई थी।

इसके बाद 9 सितंबर हरियाणा ने गन्ने की एसएपी में 12 रुपए प्रति कुंटल की बढ़ोतरी की थी। हरियाणा में गन्ने का रेट अब 362 रुपए प्रति कुंटल है।

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