फसल बीमा योजनाओं में सुधार की जरुरत : योगी

अलग-अलग फसलों के प्रीमियम निर्धारण को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए, ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके।

Update: 2018-06-05 11:41 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसानों की मदद के लिए चलायी जा रही फसल बीमा योजनाओं में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग फसलों के प्रीमियम निर्धारण को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए, ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि किसानों की सुविधा के लिए इस योजना के तहत बीमा कवर देने वाली कम्पनियों के कार्यालय जनपद स्तर पर स्थापित किये जाएं, जहां लैण्डलाइन टेलीफोन सुविधा उपलब्ध हो। साथ ही, किसानों की मदद के लिए एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नम्बर भी स्थापित किया जाए।



एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया मुख्यमंत्री ने यह बातें शास्त्री भवन में आयोजित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की प्रगति की समीक्षा बैठक के दौरान कही। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत किसानों के हितों के अनुरूप सुधार की आवश्यकता पड़ने पर केन्द्र से अनुरोध किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना के तहत सेवा प्रदाता बीमा कम्पनियां अपनी योजनाओं और सेवाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनश्चिति करें। इनके सम्बन्ध में ब्लॉक स्तर पर कृषक गोष्ठियां भी आयोजित की जाएं और उनमें कृषकों को योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाए। इन गोष्ठियों में सम्बन्धित फसल बीमा कम्पनियों के प्रतिनिधि कृषकों को जानकारी देने के लिए मौजूद रहें।



प्रवक्ता के मुताबिक मुख्यमंत्री ने कहा कि जो किसान ऋण नहीं ले रहे हैं, उन्हें भी फसल बीमा करवाने की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। उन्होंने कृषि में अभिनव प्रयोगों जैसे-आर्गेनिक खेती, उत्पादकता बढ़ाने तथा फसल को कीटों और रोगों से बचाने के लिए गौमूत्र के प्रयोग तथा गोबर की खाद के उपयोग की बात कही। प्रवक्ता के मुताबिक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री को प्रमुख सचिव कृषि अमित मोहन प्रसाद ने अवगत कराया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्राकृतिक आपदाओं, रोगों, कीटों से फसल की क्षति की स्थिति में कृषकों को बीमा कवर के रूप में वत्तिीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से लागू की गई है। इसके तहत खरीफ तथा रबी की फसलें बीमित हैं। फसली ऋण लेने वाले कृषक अनिवार्य रूप से इस योजना में कवर किये जाते हैं। प्रमुख सचिव ने बताया कि खरीफ मौसम 2016 के दौरान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 35.84 लाख किसान बीमित थे, जबकि खरीफ 2017 के दौरान 25.56 लाख कृषक बीमा योजना के दायरे में थे। इसी प्रकार रबी 2016-17 के दौरान 29.81 लाख किसान बीमित थे, जबकि रबी 2017-18 के दौरान यह संख्या 28.01 लाख किसान रह गई।

Similar News