प्रशासन की तैयारियां कागज़ी, ग्रामीणों में बढ़ी बेचैनी

Update: 2017-07-07 11:02 GMT
घाघरा नदी के बढ़ते जलस्तर से परेशान ग्रामीण।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

गोंडा। जिला मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर घाघरा नदी एल्गिन-चरसडी बांध के पास पांव पसार रही है। नदी में पानी बढ़ रहा है और प्रशासन की तैयारी कागजी है। बाढ़ खंड के पास कुछ करने का समय नहीं बचा है। अब सब कुछ भगवान के हाथ में है और यहां के इंतजाम देख ग्रामीणों ने अपना ठिकाना ढूंढना शुरू कर दिया है।

जिले की करनैलगंज तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों से पलायन शुरू हो गया है। कारण घाघरा में पानी बढ़ रहा है। दहशतजदा ग्रामीण अपने सामानों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने लगे हैं। मगर प्रशासन को लगातार बढ़ रहे जलस्तर के बावजूद कोई चिन्ता नहीं है। न ही बाढ़ पीड़ितों को प्रशासन पलायन के लिए कोई सुविधा ही मुहैया करा रहा है।

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एल्गिन-चरसडी बांध कटने के बाद सीधे घाघरा के मुहाने पर बसे करनैलगंज क्षेत्र के करीब दर्जन भर गाँवों में लोगों की धड़कने तेजी से बढ़ गई हैं। जैसे-जैसे घाघरा का जलस्तर बढ़ रहा है, ग्रामीण अपना आशियाना और सामान सुरक्षित करने में जुट गए हैं। घरों को खाली करने का काम शुरू हो गया है। कोई पक्के मकानों पर सामान रख रहा तो कोई घर के सामने मचान बनाने में लगा है। वहीं तमाम परिवार ऐसे हैं जो ट्रैक्टर-ट्राली से अपना सामान सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने में लगे हैं।

बाढ़ क्षेत्र होने के कारण संभावित बाढ़ से निपटने के इंतजाम किए जा रहे हैं। रही बात पक्के बांध की तो वह बाढ़ खंड ही बता सकता है।
अर्चना वर्मा, एसडीएम।

रायपुर समा चुका, नकहरा की बारी

बीते साल बांध टूटने से रायपुर गाँव का अस्तित्व खत्म हो गया और इस बार नदी के ठीक बगल नकहरा गाँव की बारी है। यहां के राजकुमार (35 वर्ष) का कहना है, “मई-जून में कोई काम बाढ़ खंड ने नहीं कराया इसलिये जुलाई में नदी का पानी बढ़ रहा है। अब बाढ़ खंड कुछ नहीं कर सकता।” वहीं इसी गाँव के अवधेश (45 वर्ष) का कहना है, “बीते दिनों मंत्री ने बांध का निरीक्षण किया, लेकिन कोई काम ज़मीन पर नहीं दिख रहा है। इसके बाद मुख्य अभियंता ने निरीक्षण किया, नतीजा सिफर।”

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