मोदी-योगी की लहर में पार्षद का चुनाव भी बना हाई प्रोफाइल, एक एक वार्ड से 10-10 टिकट के दावेदार 

Update: 2017-04-22 21:02 GMT
नरेंद्र मोदी।

लखनऊ। प्रदेश भर के 14 नगर निगमों और नगर पालिकाओं के चुनाव सही कार्यकर्ताओं के चयन के लिए भाजपा नेतृत्व का सिरदर्द बन गया है। प्रदेश के हजारों कार्यकर्ताओं के टिकट के आवेदन वार्ड में आरक्षण तय होने से पहले ही आ चुके हैं। यही नहीं एक-एक वार्ड से टिकट के लिए 10-10 आवेदन आए हैं। सब अपनी अपनी गोटियां सेट करने में लगे हुए हैं, जिससे नेतृत्व हलाकान हैं। टिकट न मिलने से असंतुष्टों की बड़ी संख्या जमा होने की आशंका है।

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भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक एक और दो मई को राजधानी में होनी है। जिसमें वैसे मुख्य एजेंडे में तो गरीब कल्याण वर्ष को रखा गया है। निकाय चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए टिकट वितरण का क्या आधार हो, इस पर भी चर्चा होगी। बीजेपी के तमाम वर्तमान पार्षदों को नेतृत्व का एमसीडी फार्मूला डरा रहा है। दिल्ली में पार्टी द्वारा सभी वर्तमान पार्षदों के टिकट नहीं दिया गया। जबकि उनके नजदीकी रिश्तेदारों को भी टिकट देने से वंचित कर दिया गया।

बीजेपी सिंबल देकर भी चुनाव लड़ेगी। कार्यकारिणी की बैठक में वैसे तो एजेंडा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्मशती वर्ष को लेकर मनाया जाना वाला गरीब कल्याण वर्ष और उसके आयोजन होंगे। मगर निकाय चुनाव पर भी विभिन्न सत्रों में बातचीत संभव है।
राकेश त्रिपाठी, प्रदेश भाजपा प्रवक्ता

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आगामी 01 तथा 02 मई को लखनऊ में होगी। प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर ने बताया कि साइन्टिफिक कन्वेन्शन सेंटर चौक में बैठक होगी। इसमें प्रदेश कार्यकारिणी के सभी सदस्य उपस्थित होंगे। कार्यकारिणी की बैठक का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक मई को करेंगे। जबकि, समापन समारोह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह दो मई को करेंगे।

उल्लेखनीय है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रचंड जीत हासिल हुई है। जिसके बाद आगामी जून में प्रदेश के 14 नगर निगम और प्रदेश भर की नगर पालिकाओं में चुनाव किया जाना है। इस चुनाव में महापौर और पार्षद भी चुने जाएंगे। नगर निकाय के चुनाव में भाजपा की ओर से टिकट पाने की जुगत में अनेक नेता अभी से जुट हैं। उदाहरण के तौर पर लखनऊ के 110 वार्ड में प्रत्येक वार्ड में कम से कम 10 टिकट के इच्छुक उम्मीदवार हैं। यही हाल सभी नगर निगमों का है। ऐसे में नेतृत्व की मुश्किलें बढ़ रही हैं। सबसे अधिक दबाव वर्तमान पार्षदों का है। वे अपना पद नहीं छोड़ना चाहते हैं। मगर पिछले पांच साल में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के दौरान मेहनत करने वाले हजारों नये कार्यकर्ता आ चुके हैं, जो अब टिकट के इच्छुक हैं। ऐसे में नये पुराने दावेदारों के बीच सामंजस्य बैठा कर टिकट वितरण करना एक बड़ी चुनौती होगी।

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