पुरानी किताबें जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे 'पुस्तक मित्र'

छोटे-छोटे अपनी पुरानी किताबों को कर रहे डोनेट, जरुरमंद बच्चों को मिल रही पुस्तकें

Update: 2019-04-13 06:26 GMT

लखनऊ। हमारे देश में हर साल लाखों बच्चे पास होकर अगली कक्षा में पढ़ने चले जाते हैं। इस दौरान उनकी पिछली कक्षा की किताबें बेकार होकर रद्दी में चली जाती हैं। वहीं कुछ ऐस गरीब और जरुरतमंद बच्चे होते हैं जिनके पास इतना पैसा नहीं होता है कि वे नई किताबें खरीद सकें। ऐसे ही जरुरतमंदों की मदद के लिए लखनऊ के गोमती नगर की रहने वाली कुछ महिलाएं बच्चों के साथ मिलकर 'पुस्तक मित्र' बुक बैंक से पुरानी किताबें जरूरतमंद बच्चों को मुहैया करा रही हैं।

इनर व्हील क्लब ऑफ बाराबंकी की सदस्य डॉक्टर नीता मिसरा ने बताया, " हम लोग एक कैंपेन चलाते हैं जिसके तहत स्कूल के बच्चों से उनकी पुरानी किताबें ले लेते हैं और जिन बच्चों को उनक किताबों की जरूरत होती है उनको दे देते हैं। हमारी इस मुहिम में बच्चों-बड़ों का काफी सहयोग मिल रहा है।"

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क्लब की सदस्य रेनू आहूजा ने बताया, " हम लोग पर्यावरण संरक्षण को लेकर कई आयोजन करते रहते हैं। हमारी इस मुहिम का सबसे बड़ा फायदा पर्यावरण को पहुंचा हैं। किताब और कॉपी बनाने के लिए हमारे देश में हर साल लाखों पेड़ काट दिए जाते हैं। हमने सोचा कि अगर पुरानी किताबें रददी में जाने से बच जाएं तो नई किताबों की ज्यादा मांग नहीं होगी। ऐसे में कागज बनाने लिए लोग पेड़ नहीं काटेंगें। "

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बुके डोनटे करने वाली कक्षा छह की छात्रा अदिति सिंह ने बताया, " हर साल मैं नए क्लास में चली जाती हूं। ऐसे में मेरी पिछली क्लास की किताब बेकार हो जाती थी। मुझे नहीं पता था कि मेरी पुरानी किताबें किसी के काम आ सकती हैं। आंटी ने मुझे बताया कि कैसे हम लोगों की पुरानी किताबें दूसरों के काम आ सकती हैं। मुझे इस बात की खुश है कि मेरी किताबों से कोई और पढ़ेगा। "


डॉक्टर नीता मिसरा ने बताया, " हम लोगों ने बाराबंकी के गांव धमौरा रामपुर में रेनबो नाम की एक लाइब्रेरी खोल रखी है। इस लाइब्रेरी से गांव के जरुरतमंद लोग और बच्चे किताबे ले सकते हैं और पढ़ने के बाद वापस कर सकते हैं। लाइब्रेरी में इस समय करीब 500 पुस्तकें हैं, जिनमें कहानी, संस्कृत, जीके, गणित, अंग्रेजी और महापुरुषों की जीवनी की किताबें हैं।" 

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