यूपी : पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी सिंचाई योजना का 6 महीने से किसानों को नहीं मिल रहा फायदा , ये है वजह

Arvind ShuklaArvind Shukla   7 Sep 2017 7:37 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
यूपी :  पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी सिंचाई योजना का 6 महीने से किसानों को नहीं मिल रहा फायदा , ये है वजहतकनीकी हीलाहवाली के चलते के चलते किसानों को नहीं मिल रहा लाभ।

प्रधानमंत्री 2020 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात करते हैं। इजराइल तक से समझौते की बात होती है। माइक्रो और ड्रिप इरीगेशन पर 90 फीसदी तक सब्सिडी देते हैं, सरकारी फाइलों से किसान के खेत तक जो रफ्तार है वो निराश करती है।

लखनऊ। किसानों की लागत कम करने और मुनाफा बढ़ाने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी कृषि सिंचाई योजना का यूपी में बुरा हाल है। पिछले 6 महीने में ड्रिप, स्प्रिंकल समेत दूसरी माइक्रो सिंचाई योजना का किसानों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।

बूंद-बूंद पानी का उपयोग करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पर ड्राॅप मोर क्राॅप योजना से ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोड़ने के लिए सब्सिडी बढ़ाकर 90 फीसदी तक कर दी, लेकिन विभागों के आपसी सामंजस्य और तकनीकी हीलाहवाली के चलते नए वित्त वर्ष में किसान इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

पीएमकेएसवाई के तहत लघु और सीमांत किसानों (2 हेक्टेयर से कम) को 90 फीसदी जबकि सामान्य किसान (2 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन वाले) किसानों को 80 फीसदी अऩुदान मिलता है, जबकि पहले ये सिर्फ 56 और 67 फीसदी था। प्रधानमंत्री की तवज्जों के बाद योजना लगभग मुफ्त हो गई। नई व्यवस्था अप्रैल 2017 से लागू है लेकिन बूंद-बूंद और फव्वारा सिंचाई योजना पर सब्सिडी का लाभ लेने के लिए कृषि विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है, पोर्टल अपडेट न होने से किसान को पावती, पुरानी योजना (सब्सिडी) की मिलती है, जिसके चलते योजना का भी लाभ नहीं मिल रहा है। जबकि चालू सत्र का लगभग आधा समय निकल चुका है।

ये भी पढ़ें- ‘ पढ़े लिखे लड़के से नौकरी कराते हो और पढ़ाई में कमजोर बच्चे को किसान बनाते हो ?

कन्नौज के जिला बागवानी विभाग में पिछले वर्ष 76 किसानों को लाभ मिला था और इस बार ऑनलाइन 251 आवेदन आए हैं। जिला बागवानी अधिकारी कन्नौज, “मनौज कुमार बताते हैं, इस वर्ष आए आवेदकों को लाभ नहीं मिला है क्योंकि पोर्टल अपडेट नहीं है, पता चला है 2-3 दिन में काम शुरु होगा।” उत्तर प्रदेश पीएमकेएसवाई के नोडल अधिकारी एनएलएम त्रिपाठी ने माना कि पोर्टल अपेडट न होने से किसानों को दिक्कत हो रही थी लेकिन जल्द शुरु कर दिया जाएगा। वो बताते हैं, “पिछले महीने ही चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में कमेटी ने नई व्यवस्था पर मुहर लगाई है, जिसके बाद हमने कृषि विभाग को पोर्टल अपडेट करने को बोला है। जल्द ही इस पर काम शुरु हो जाएगा।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने दावा कर रहे हैं। जबकि देश के कई राज्यों में किसान आदमनी को लेकर सड़कों उतर चुके हैं। खुद यूपी में सरकार 86 लाख किसानों का 36 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ कर चुकी है। ऐसे में प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना की ये रफ्तार खुद पीएम के मिशन पर ब्रेक लगा सकती है।

योजना में आ रही दिक्कतों को लेकर गांव कनेक्शन ने केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के दफ्तर से लेकर योजना से जुड़े कई अधिकारियों से बात की। एक अधिकारी ने फोन पर न छापने की शर्त पर बताया, हमने (केंद्र सरकार) ने काफी पहले सभी राज्यों को अपडेट गाइड लाइंस भेज दी थीं, कहीं से कोई शिकायत नहीं मिली। अगर यूपी में ऐसा है तो इस पर ध्यान दिया जाएगा।”

ये भी पढ़ें- खेत खलिहान में मुद्दा : नीतियों का केंद्र बिंदु कब बनेंगे छोटे किसान ?

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पर ड्रॉप मोर क्रॉप ) में पोर्टल की दिक्कत मौजूदा है लेकिन इसमें कई और खामियां हैं जिससे किसानों में उत्साह नहीं आ रहा है। ड्रिप और स्प्रिंकल दोनों तक तरह की विधियों के लिए सरकार ने सब्सिडी की भारी भरकम दी है लेकिन इसमें पहले पैसा किसान को लगाना होता है।

उदाहरण के लिए एक हेक्टेयर खेत में मिनी स्प्रिंकल (फव्वारा) लगाने की करीब 98 हजार की लागत (यूनिट कास्ट) आती थी, जो अब जीएसटी (18 फीसदी) के बाद एक लाख 29 हजार हो गई है। ये पूरा पैसा पहले किसान को लगाना होता है, जिसके बाद सब्सिडी डीबीटी के माध्यम से सरकार किसान के खाते में छूट का पैसा भेजती है। इस पूरी प्रक्रिया में 15 दिन से 2 महीने तक का समय लग सकता है। ऐसे में लघु और सिमांत किसानों के लिए सिर्फ सिंचाई के लिए इतना पैसा जुटाना मुश्किल हो सकता है। बाराबंकी में रसूलपुर के किसान राम लोटन (61 वर्ष) ने पिछले दिनों बताया था, , “ड्रिप सिस्टम तो बहुत अच्छा है, इससे बहुत लाभ है, परंतु मेरे पास पहले पैसे लगाने के लिए पूंजी नहीं है।”

ये भी पढ़ें- गरीबी का एक कारण ये भी : कृषि की नई तकनीक अपनाने में पीछे हैं यूपी और बिहार के किसान

गांव कनेक्शन ने जब इस समस्या से दिल्ली में कृषि विभाग के अधिकारियों को बताया तो एक अधिकारी ने कहा, सब्सिडी के तहत सरकार 90 फीसदी तक पैसा वापस कर रही है। लेकिन किसानों के लिए इतनी बड़ी जुटाने में मुश्किलों को भी समझा जा सकता है। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों ने नई व्यवस्था अपनाई है, वहां किसान का भाग (हिस्सा) सबसे आखिर में आता है। यूपी में भी इसी तरह की व्यवस्था अपनाई जा सकती है। एक साथ भार कर पड़ेगा तो किसान ज्यादा आएंगे।”

कृषि जानकारों के अनुसार माइक्रो इरीगेशन पद्धति को अपनाने से किसान जहां 40-50 फीसदी पानी बचा सकते हैं वहीं उत्पादन में भी 30-40 फीसदी की बढ़ोतरी और उपज की गुणवत्ता में सुधार होता है। पिछले दिनों खेती की तकनीकी के मामलों में सबसे आगे देश इजराइल पहुंचे पीएम मोदी ने सिंचाई की नई पद्दतियों पर बात की थी वो मन की बात में भी किसानों से इसे अपनाने और विभाग से इसे प्रमोट करने की बात कर चुके हैं।

ये भी पढ़ें- आखिर गुस्से में क्यों हैं किसान ? वाजिब दाम के बिना नहीं दूर होगा कृषि संकट

कृषि विभाग का पोर्टल अपडेट न होने से जहां हजारों किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है वहीं इरीगेशन के क्षेत्र में कार्यरत 24 निजी कंपनियों के कारोबार पर असर पड़ने की चर्चा है। पिछले वर्ष यूपी के कई जिलों से लाखों रुपए का बजट वापस चला गया था क्योंकि किसानों ने सब्सिडी के बावजूद इसमें रुचि नहीं दिखाई थी।

5 फीसदी से बढ़कर 18 फीसदी हुई जीएसटी

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में सरकार ने एक तरफ जहां सब्सिडी को बढ़ाकर 90 फीसदी तक दिया हैं वहीं नई कर प्रणाली जीएसटी के तहत 5 फीसदी की जगह अब 18 फीसदी टैक्स लगेगा। पर ड्रॉप मोर क्रॉप के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली में पाइप आदि मशीनरी का काफी इस्तेमाल होता है।

सरकार इस पर भी अब वैट हटाकर 18 फीसदी टैक्स लगा दिया है, जिसका खर्च किसान पर पड़ रहा है। मामला कृषि मंत्रालय से लेकर वित्त मंत्रालय तक पहुंच चुका है और उद्योग से जुड़े लोगों ने मुलाकात भी की है। कृषि विभाग, दिल्ली के एक अधिकारी ने बताया, कृषि विभाग की कुछ चीजें जीएसटी की ऊंची दरों में आईँ थीं, काफी कुछ हटवाया गया है, सिंचाई सिस्टम को लेकर भी वार्ता जारी है, ताकि किसानों पर ज्यादा बोझ न पड़े।”

हालांकि एक इरीगेशन कंपनी से जुड़े लोगों के मुताबिक जो पाइप सिंचाई के लिए खेत में इस्तेमाल होता है, वो इसी कच्चे माल से बनता है जो इंडस्ट्री में लगने वाले पाइप के काम आता है, ऐसे में ये कैसे तय होगा कि कंपनियां सब्सिडी पर कच्चा माल लेकर उसे सिर्फ कृषि के लिए इस्तेमाल करेंगी। इसलिए मुश्किल है सरकार टैक्स में कटौती करे।” अतिरिक्त सहयोग- रवींद्र वर्मा, कम्यूनिटी जर्नलिस्ट

ये भी पढ़ें- संसद में पूछा गया, सफाई कर्मचारियों की सैलरी किसान की आमदनी से ज्यादा क्यों, सरकार ने दिया ये जवाब

ये जरूर पढ़ें- किसान का दर्द : “आमदनी छोड़िए, लागत निकालना मुश्किल”

ये भी पढ़ें - क्या किसान आक्रोश की गूंज 2019 लोकसभा चुनाव में सुनाई देगी ?

                      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.