मौसम बदलने से आपको हो सकती है एलर्जी, ये घरेलू नुस्खे दिलाएंगे आराम

Deepak AcharyaDeepak Acharya   10 Dec 2018 11:34 AM GMT

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मौसम बदलने से आपको हो सकती है एलर्जी, ये घरेलू नुस्खे दिलाएंगे आरामएलर्जी

मौसम में बदलाव के साथ कई बीमारियां दस्तक देती हैं और इन्हीं में से एक है एलर्जी। कुछ एलर्जी तो ऐसी होती हैं जो किसी व्यक्ति में पूरी ज़िंदगी के लिए होती हैं लेकिन कुछ ऐसी होती हैं जो मौसम के बदलने पर हो जाती हैं। ऐसी एलर्जी शरीर के सबसे संवेदनशील अंगों जैसे आंख, कान, नाक, गले और त्वचा को प्रभावित करती हैं। अगर आपको मौसम बदलने पर छींकें आने लगती हैं या त्वचा में खुजली होती है तो ये भी एलर्जी हो सकती है। चलिए हम आपको बताते हैं क्या होती है एलर्जी और कैसे इससे बचा जा सकता है।

हमारे हर्बल एक्सपर्ट डॉ. दीपक आचार्या बताते हैं, ''एलर्जी वास्तव में हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का ऐसा असर है जिसकी वजह से हमारे शरीर के संपर्क में आने वाले कुछ पदार्थों और रसायनों के प्रति संवेदनशीलता बहुत तेजी से दिखती है और कई बार इस संवेदनशीलता का असर काफी लंबे समय तक दिखायी देता है।'' वह कहते हैं कि जिस पदार्थ या रसायन की वजह से शरीर में एलर्जी होती है उसे एलर्जेन कहा जाता है और एलर्जेन्स कहीं भी पाए जा सकते हैं, भोजन, पेय पदार्थों से लेकर पेड़- पौधों और यहां तक कि दवाओं में भी इन्हें देखा जा सकता है। ज्यादातर एलर्जेन हानिकारक नहीं होते या यह कहा जा सकता है कि ज्यादातर लोगों पर इनका असर नहीं होता है, लेकिन जिनका शरीर एलर्जेन्स के प्रति संवेदनशील होता है, उनके लिए एलर्जी की समस्या बेहद घातक हो सकती है।

यदि आपका शरीर एलर्जेन्स के प्रति संवेदनशील है तो इसका अर्थ यह है कि आपका रोग प्रतिरोधक तंत्र किसी भी सामान्य एलर्जेन के आपके शरीर में प्रवेश के बाद उसे घातक मान बैठता है और उस पर आक्रमण कर देता है, उसे तहस-नहस करना चाहता है। इसी आक्रमण की वजह से शरीर पर लाल धब्बों, सूजन या चकत्तों का होना दिखाई देता है। दुनिया भर में लोगों में एलर्जी होना एक आम बात है। माना जाता है कि लगभग 15.-20 फीसदी लोग अपनी ज़िंदगी में किसी ना किसी तरह की एलर्जी से ग्रस्त होते हैं या उन्हें इस एलर्जी को ख़त्म करने के लिए इलाज़ की ज़रूरत पड़ती है।

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वास्तव में हमारा रोग प्रतिरोधक तंत्र एलर्जेन्स को पहचान लेता है और जैसे ही इन एलर्जेन्स से हमारे शरीर को खतरा महसूस होता है, हमारे शरीर में एंटीबॉडीस बनने लगती है ताकि ये एंटीबॉडीस इन एलर्जेन्स पर आक्रमण कर सके, इसे सेंसीटाईजेशन कहा जाता है। ये सेंसीटाईजेशन एक दिन से लेकर कई महीनों और सालों तक चलता है या चल सकता है। इस दौर में नाक का बंद होना, छींक आना, आंखों का लाल होना, खुजली होना, बदन पर चकते बनना, आंखों का सूजना, त्वचा पर दाग बनना, त्वचा का अचानक शुष्क होना, उल्टियां, दस्त से लेकर तमाम कई तरह के लक्षण देखे जा सकते हैं। कई तरह के खाद्यपदार्थों का सेवन, मौसम का बदलाव और पालतू पशुओं के संपर्क में आने से भी एलर्जी हो सकती है।

कुछ लोगों को किसी फल, अनाज़, धूल, मसाले, लकड़ी या पेंट की महक से एलर्जी होती है। बसंत ऋतु के आते ही कई लोगों को एलर्जी होते देखा जाना आम होता है। इस मौसम में पेड़ों पर नयी पत्तियों और फूलों का लदना शुरु हो जाता है और ऐसे में फूलों के परागकण हवाओं में तैरते रहते हैं और इन परागकणों के सम्पर्क में आकर कई बार लोगों को एलर्जी हो जाती है और अलग अलग तरह की समस्याओं जैसे दमा, खांसी, छींक और आंखों में लालपन से जूझना होता है। बसंत ऋतु में होने वाली एलर्जी के लक्षण कई बार गर्मियों में भी होते दिखायी देती हैं।

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जानवरों को छूने से या उनके आसपास होने के कारण खुजली होना भी एलर्जी है। फेल डी वन (Fel d 1) नामक प्रोटीन बिल्लियों की लार में पाया जाता है, कई लोग इसकी गंध मात्र से एलर्जी महसूस करते है। इसी तरह पालतु पशुओं की पेशाब, लार, बालों और मल से भी एलर्जी होने की गुंजाइश रहती है। कुछ दवाइयों के कारण भी एलर्जी हो सकती है। मौसम बदलने पर हवा में संक्रमण बढ़ जाता है और हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है इसीलिए किसी भी तरह का संक्रमण हमें आसानी से अपनी गिरफ्त में ले लेता है। आंखों में जलन होना या बार - बार पानी आना। नाक बहना, छींकें आना, सांस लेने में तकलीफ होना, खुजली होना, दाने निकलना जैसी एलर्जी मौसम बदलने से हो जाती हैं। वैसे तो एलर्जी की कई दवाएं आती हैं लेकिन कुछ घरेलू उपचार भी हैं जिनसे इस समस्या से निपटा जा सकता है।

अगर मौसम बदलने से आपकी त्वचा में खुजली हो रही है तो आप नारियल के तेल में कपूर मिलाकर इसको खुजली वाली जगह पर लगाइए, राहत मिलेगी।

त्वचा पर होने वाली एलर्जी में एलोवेरा भी राहत देता है। एलोवेरा में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं इससे खुजली में आराम मिलती है त्वचा पर मौजूद कीटाणु मर जाते हैं। इसके लिए एलोवेरा की पत्ती को बीच से काटकर उसमें से जेल निकाल लेना चाहिए और उस जेल को त्वचा पर लगाना चाहिए। एलोवेरा की पत्तियों को पीसकर भी त्वचा पर लागने से आराम मिलता है। ऐसा दिन में तीन से चार बार करना चाहिए।

नीम भी एंटीबैक्टीरियल होता है जो कीटाणुओं से लड़ने में मदद करता है। इसके पत्तों को रात में पानी में भिगोकर रख दें और सुबह उन्हें पीस कर खुजली वाली जगह पर लगाएं। आप चाहें तो नीम के पत्तों को उबालकर उसके पानी से नहा भी सकते हैं। कुछ लोग नीम के पत्तों को उबालकर उसका जूस भी पीते हैं लेकिन ऐसा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए। डॉ. दीपक आचार्या बताते हैं कि मार्च अप्रैल के महीने में जब नीम के पेड़ पर कच्ची कोंपलें निकलती हैं तब आदिवासी इनके सेवन की सलाह देते हैं। करीब 20 ग्राम पत्तियों को कुचलकर 100 मिली पानी के साथ मिलाकर रोज सुबह 30 दिनों तक लेने की सलाह दी जाती है। इनके अनुसार, जो व्यक्ति ऐसा करता है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो जाती है और किसी भी तरह की एलर्जी से शरीर को बचाने में ये असरकारक होता है।

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प्रदूषित वाहनों के धुएं, रसायनयुक्त त्वचा उत्पादों आदि के उपयोग, या साबुन आदि के इस्तमाल से भी एलर्जी होती है। इन एलर्जी की वजह से त्वचा पर अचानक दाग, धब्बे या कालापन दिखायी देने लगते हैं। जब भी अचानक एलर्जी के इस तरह के दुष्प्रभाव त्वचा पर दिखायी दें, जैतून का तेल जरूर लगाएं, संक्रामक रसायनों के असर को कम करने के अलावा जैतून का तेल दाग-धब्बों को त्वचा से दूर करने में काफी मददगार साबित होता है। एलर्जी की वजह से त्वचा पर होने वाली खुजली को दूर करने के लिए तुलसी की पत्तियों को पीस लिया जाए और इसमें लहसुन की कुचली हुयी दो कलियों को भी मिला दिया जाए। करीब आधा चम्मच जैतून का तेल इसमें डालकर एलर्जी से ग्रस्त अंगों पर लगाया जाए, आराम मिल जाता है। सदाबहार नामक पौधे की पत्तियों के रस को भी त्वचा पर खुजली, लाल निशान या किसी तरह की एलर्जी होने पर लगाया जाए तो आराम मिल जाता है।

एलर्जी की वजह से हे फीवर (Hay Fever), आंखों का लालपन, सर्दी खांसी, कंजक्टिवायटिस, हाईव्स या अर्टिकेरिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। नाक से पानी निकलना, अचानक खांसी का तेज हो जाना या गले में खराश का होना भी एलर्जी की निशानी है। एलर्जी होने की कोई खास एक वजह तय नहीं होती, इसके होने की संभावनाओं के लिए अनेक वजहें हो सकती है और इससे बचने के लिए कुछ पारंपरिक तरीकों को अपनाकर काफी हद तक इसके बुरे असर से बचा जा सकता है। पारंपरिक जानकारी के अनुसार गाय के दूध से बना शुद्ध घी करीब 25 ग्राम लिया जाए और इसे गर्म किया जाए। इसमें 5 से 6 काली मिर्च के दानों को डाल दिया जाए। जब काली मिर्च कड़कड़ा जाए तो इसे आंच से उतारकर इसमें करीब २ चम्मच शक्कर मिला दी जाए। एलर्जी महसूस होने पर इस मिश्रण का सेवन करें, ऐसा दिन मे कम से कम 3 बार किया जाए, एलर्जी छू मंतर हो जाएगी।

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अगर आपकी आंखों में जलन या खुजली हो रही है तो आंखों को ठंडे पानी या गुलाब जल से धोएं। घर से बाहर निकलने से पहले अपनी आंखों को धूप वाले चश्मे से ढक लें। आप खीरा काटकर भी आंखों पर रख सकते हैं, इससे भी आराम मिलता है।

नाक में एलर्जी हो गई है या छींकें आ रही हैं तो अदरक, लौंग, दालचीनी मिलाकर काढ़ा बना लें और इसे पी लें। ऐसा दिन में कम से दो बार करें फायदा मिलेगा। तुलसी, अदरक, लौंग, कालीमिर्च आदि मिलाकर बनाई गई चाय पीने से भी आराम मिलता है।

आदिवासी अंचलों में अर्टिकेरिया नामक एलर्जी (शरीर पर लाल चकत्तों का बनना) से निपटने के लिए ताजे अदरक को कुचलकर रस तैयार किया जाता है और इसका लेप सारे शरीर पर दिन में कम से कम 4 बार किया जाता है। जानकारों का मानना है कि ऐसा लगातार नियम से करने से समस्या में आराम मिल जाता है। कुछ इलाकों में आदिवासी महुए की फल्लियों से प्राप्त तेल को शरीर पर लगाते हैं। इनका मानना है कि यह तेल शरीर के बाहरी हिस्सों पर हुयी किसी भी तरह की एलर्जी को दूर करने में बेहद कारगर होता है।

एलर्जी होने पर नमक के पानी से गरारा करने पर आप के नाक और मुंह में फसे हुए धूल के कण और बलगम बाहर निकल जाता है. जिसके कारण आपके नाक की एलर्जी की समस्या दूर हो जाती है अपने आसपास साफ सफाई रखें क्योंकि ज्यादातर एलर्जी बैक्टीरिया के कारण चलती है।

खुजली वाले जानवरों से दूर रहें और साफ-सुथरे कपड़े पहने क्योंकि इनमें बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो की एलर्जी का कारण होते है इसलिए हमेशा नहाना जरूरी है और साफ-सुथरे कपड़े पहनना भी जरूरी है और ये एलर्जी का घरेलू इलाज है।

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