By Gaon Connection
प्राकृतिक आपदाएँ सिर्फ खेत नहीं उजाड़तीं, बल्कि किसानों की सालभर की मेहनत और उम्मीदें भी बहा ले जाती हैं। संसद में पेश हुए आंकड़ों में बताया गया कि हर साल लाखों किसान तूफ़ान, बाढ़ और बारिश की मार झेल रहे हैं।
प्राकृतिक आपदाएँ सिर्फ खेत नहीं उजाड़तीं, बल्कि किसानों की सालभर की मेहनत और उम्मीदें भी बहा ले जाती हैं। संसद में पेश हुए आंकड़ों में बताया गया कि हर साल लाखों किसान तूफ़ान, बाढ़ और बारिश की मार झेल रहे हैं।
By Gaon Connection
जब सिक्कों के बजाए “बीजों की गुल्लक” भरने वाला किसान बने देश की असली धरोहर। मध्य प्रदेश के गाँव में बाबूलाल दहिया ने जो दास्तान लिखी है, वो सिर्फ कृषि की नहीं, पहचान, संस्कृति और भविष्य की है। जानिए कैसे एक छोटे से सीड बैंक ने हज़ारों बीजों, बीत चुके वक़्त और आने वाली पीढ़ियों की ज़रूरतों को संजो रखा है।
जब सिक्कों के बजाए “बीजों की गुल्लक” भरने वाला किसान बने देश की असली धरोहर। मध्य प्रदेश के गाँव में बाबूलाल दहिया ने जो दास्तान लिखी है, वो सिर्फ कृषि की नहीं, पहचान, संस्कृति और भविष्य की है। जानिए कैसे एक छोटे से सीड बैंक ने हज़ारों बीजों, बीत चुके वक़्त और आने वाली पीढ़ियों की ज़रूरतों को संजो रखा है।
By Divendra Singh
World Weather Attribution की नई स्टडी बताती है कि ईरान, इराक और सीरिया पिछले पाँच वर्षों से जिस भयंकर सूखे से जूझ रहे हैं, वह प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। ईरान में जलाशय खाली हो रहे हैं, शहर पानी की कगार पर हैं, और COP30 के बीच यह रिपोर्ट वैश्विक सिस्टम को झकझोरने वाली चेतावनी देती है।
World Weather Attribution की नई स्टडी बताती है कि ईरान, इराक और सीरिया पिछले पाँच वर्षों से जिस भयंकर सूखे से जूझ रहे हैं, वह प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। ईरान में जलाशय खाली हो रहे हैं, शहर पानी की कगार पर हैं, और COP30 के बीच यह रिपोर्ट वैश्विक सिस्टम को झकझोरने वाली चेतावनी देती है।
By Divendra Singh
खरीफ 2025-26 के प्रथम अग्रिम अनुमान बताते हैं कि जलवायु चुनौतियों के बावजूद भारतीय कृषि ने असाधारण प्रदर्शन किया है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 1733.30 लाख टन पहुँचने की उम्मीद है, जिसमें चावल, मक्का, दलहन और तेलहन सभी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
खरीफ 2025-26 के प्रथम अग्रिम अनुमान बताते हैं कि जलवायु चुनौतियों के बावजूद भारतीय कृषि ने असाधारण प्रदर्शन किया है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 1733.30 लाख टन पहुँचने की उम्मीद है, जिसमें चावल, मक्का, दलहन और तेलहन सभी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
By Manvendra Singh
By Gaon Connection
By Gaon Connection
यूएनईपी की नई रिपोर्ट ने बताया कि अगर मौजूदा हालात नहीं बदले, तो सदी के अंत तक धरती का तापमान 2.5°C तक बढ़ सकता है। हालांकि कुछ सुधार दिखे हैं, लेकिन असल कार्रवाई अभी बहुत पीछे है। COP30 से पहले यह रिपोर्ट पूरी दुनिया को चेतावनी और उम्मीद दोनों देती है।
यूएनईपी की नई रिपोर्ट ने बताया कि अगर मौजूदा हालात नहीं बदले, तो सदी के अंत तक धरती का तापमान 2.5°C तक बढ़ सकता है। हालांकि कुछ सुधार दिखे हैं, लेकिन असल कार्रवाई अभी बहुत पीछे है। COP30 से पहले यह रिपोर्ट पूरी दुनिया को चेतावनी और उम्मीद दोनों देती है।
By Gaon Connection
ब्राज़ील ने 2024 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17% की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी कमी है। यह सफलता मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई घटने से मिली। लेकिन सूखे और जंगल की आग ने नए खतरे भी पैदा किए हैं - जो बताते हैं कि जलवायु की जंग अभी जारी है।
ब्राज़ील ने 2024 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17% की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी कमी है। यह सफलता मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई घटने से मिली। लेकिन सूखे और जंगल की आग ने नए खतरे भी पैदा किए हैं - जो बताते हैं कि जलवायु की जंग अभी जारी है।
By Gaon Connection
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि दुनिया जलवायु संकट से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। विकासशील देशों को हर साल 310 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन मिल रहे हैं सिर्फ़ 26 अरब। अगर अब भी निवेश नहीं बढ़ा, तो आने वाले सालों में सिर्फ़ तापमान ही नहीं, नुकसान भी कई गुना बढ़ जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि दुनिया जलवायु संकट से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। विकासशील देशों को हर साल 310 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन मिल रहे हैं सिर्फ़ 26 अरब। अगर अब भी निवेश नहीं बढ़ा, तो आने वाले सालों में सिर्फ़ तापमान ही नहीं, नुकसान भी कई गुना बढ़ जाएगा।
By Gaon Connection
भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, (IGFRI) ने किसानों और पशुपालकों के लिए ऐसी चारा किस्में विकसित की हैं, जो अत्यधिक गर्मी, सूखा और कीटों जैसी जलवायु चुनौतियों को भी झेल सकती हैं। ये किस्में अलग-अलग राज्यों और मौसमों के लिए उपयुक्त हैं और टिकाऊ पशुपालन की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही हैं
भारतीय चरागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान, (IGFRI) ने किसानों और पशुपालकों के लिए ऐसी चारा किस्में विकसित की हैं, जो अत्यधिक गर्मी, सूखा और कीटों जैसी जलवायु चुनौतियों को भी झेल सकती हैं। ये किस्में अलग-अलग राज्यों और मौसमों के लिए उपयुक्त हैं और टिकाऊ पशुपालन की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही हैं